तेरह की गिनती
तेरह की गिनती |
तेरह तक की गिनती
गिन ना पाई
तेरह की होते होते
तेरह हिस्सों में बट गयी
खुद से हो कर पराई।
गुड़िया को दुल्हन बनने से पहले ही बन गयी किसी की दुल्हन
लाल चुनर के रंगीन
सपने हवा बन के उड़ गए।
सात रंगो वाले सपने
धूमिल हो गए
से मिटटी धूल भी न पाए थे
की चढ़े मेहँदी के रंग।
...... कहते थे..........
सभी झील सी
आँखों वाली खुद झील
बन कर रह गई
सुन ना पाई परियो की कहानी
ज़िन्दगी खुद कहानी बन गयी।
सावन में डालो पे झूला देख कर
बचपन याद आता रहा पर
कोख का पलना
खुद झूला बन गया।
भूल कर मीठे सपने खुद को
रसोई में भुला दिया
रिश्तों को समझने की उम्र में
रिश्तों को निभाने लगी
सतरंगी ख्वाब आसमां बन कर
पहुँच से दूर हो गए।।
गिन ना पाई
तेरह की होते होते
तेरह हिस्सों में बट गयी
खुद से हो कर पराई।
गुड़िया को दुल्हन बनने से पहले ही बन गयी किसी की दुल्हन
लाल चुनर के रंगीन
सपने हवा बन के उड़ गए।
सात रंगो वाले सपने
धूमिल हो गए
से मिटटी धूल भी न पाए थे
की चढ़े मेहँदी के रंग।
...... कहते थे..........
सभी झील सी
आँखों वाली खुद झील
बन कर रह गई
सुन ना पाई परियो की कहानी
ज़िन्दगी खुद कहानी बन गयी।
सावन में डालो पे झूला देख कर
बचपन याद आता रहा पर
कोख का पलना
खुद झूला बन गया।
भूल कर मीठे सपने खुद को
रसोई में भुला दिया
रिश्तों को समझने की उम्र में
रिश्तों को निभाने लगी
सतरंगी ख्वाब आसमां बन कर
पहुँच से दूर हो गए।।
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