Monday 22 May 2017

दांपत्य जीवन की वास्तविकता....


दांपत्य जीवन की
वास्तविकता....
की कुछ मिसाले बताता हु
जरा गौर फरमाइयेगा...!

(1)....
प्रेम यानी...
अजी सुनते हो
से लेकर
बहरे हो गए हो क्या..?
तक का सफ़र.....
(2)....
प्रेम यानी...
यहाँ तो आओ
से लेकर
अब हटो भी जरा...
तक का सफ़र...
(3)....
प्रेम यानी
आप मिले मेरे नसीब,
से लेकर
नसीब फूटे थे जो आप मिले...!
तक का सफ़र...
(4)....
प्रेम यानी
आप रहने दो
से लेकर
महेरबानी करके आप तो
रहने ही दो...!
तक का सफ़र...
(5)....
प्रेम यानी
मान भी जाओ ना,
से लेकर
भाड़ में जाओ
तक का सफ़र....
(6)...
प्रेम यानी
कहाँ गई थी जान,
से लेकर
कहाँ मर गई थी...!
तक का सफ़र....
(7)....
प्रेम यानी
कुछ बात करोना...
से लेकर
अब बाते बनाना बंध करो
तक का सफ़र...
(8)...
प्रेम यानी
तेरे जेसा कोई नहीं...
से लेकर
तेरे जेसे बहोत देखे...!
तक का सफ़र....
(9)....
प्रेम यानी
तुझको ही याद कर रहा था
से लेकर
याद करने के आलावा भी
बहोत काम हे दुनिया में...!
तक का सफ़र...
(10)
प्रेम यानी
एक दूसरे के वास्ते
से लेकर
एक दूसरे के रास्ते..
तक का सफ़र...

कभी खट्टा कभी मीठा,
कभी ऊँचा कभी निचा,
कभी कम कभी ज्यादा,
कभी सुख कभी दुःख,
बस विशवास की डोर
टूटने नहीं देना...
बाकि सब नोंक झोंक
तो दाम्पत्य जीवन के रस है ।

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