हुई शाम
हुई शाम उनका ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया
अभी तक तो होंठों पे था
तबस्सुम का एक सिलसिला
बहुत सदमे में थे हम उनको भूला कर
अचानक ये क्या हो गया
के चहरे पे रंग-ए-मलाल आ गया
हुई शाम उनका ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया
हमें तो यही था ग़ुरूर
ग़म-ए-यार है हमसे दूर
वही ग़म जिसे हमने किस-किस जतन से
निकाला था इस दिल से दूर
वो चलकर क़यामत की चाल आ गया
हुई शाम उनका ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया......
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया
अभी तक तो होंठों पे था
तबस्सुम का एक सिलसिला
बहुत सदमे में थे हम उनको भूला कर
Hui Shaam हुई शाम |
के चहरे पे रंग-ए-मलाल आ गया
हुई शाम उनका ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया
हमें तो यही था ग़ुरूर
ग़म-ए-यार है हमसे दूर
वही ग़म जिसे हमने किस-किस जतन से
निकाला था इस दिल से दूर
वो चलकर क़यामत की चाल आ गया
हुई शाम उनका ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया......
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