Monday, 1 May 2017

।।।माँ का आँचल।।।



।।।माँ का आँचल।।।

शहर की धुप में ,तेरा  आँचल ठंडी पवन लगता है,
तुजसे दूर हो कर मेरा दिल रो उठता है।।
 
जगमग तारो को देख एक ख़ुशी आ जाती है,
नज़र के सामने तेरी  मुस्कान याद आ जाती है।।
 
मज़बूरी है तुजसे दूर रहना वर्ना,
पानी के बिना  कोई मछली कैसे रह सकती है,
माँ  के बिना  कोई औलाद कैसे रह सकती है।।
 
अब भी तेरे आँचल को महसूस करता हूँ,
तुजे अपने पास समज के आराम से सो जाता हूँ।।
 
परेशानियों से लड़ कर मे ने जीना सीख लिया है,
तेरे यादो के साथ जीना सीख लिया है।।
 
तूने भगवान से कुछ नहीं मागा है,
मुझेही सबसे बड़ा वरदान माना है।।
 
तू मुझसे इतना प्यार करती है,
तरेा क़र्ज़ कैसे उतारूँगा ,ज़माने से भी लड़ कर
तरेा साथ मरतेदम तक नहीं छोडुंगा।।
 
आज भी मै तेरा हु, कल भी मै तेरा हूँ,
अपने आँचल को सजो के रखना,
तेरे पास आकर उसमेही सोनेवाला हूँ।।
।।माँ तेरे पास जल्दी आने वाला हूँ।।।

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