Monday, 1 May 2017

माँ तेरा वो आँचल कहाँ से लाऊं….

माँ तेरा वो आँचल कहाँ से लाऊं….

दिल चाहे फिर, बच्चा बन जाऊं
तितली पीछे भाग भाग के खेलूं, कुदुं, मौज उडाऊं
गुस्से में जब देखे नजरे किसी की
माँ तेरे आँचल में जा छुप जाऊं
माँ तेरा वो आँचल कहाँ से लाऊं
 झूठ झूठ में सच्ची बात बताऊँ
ना बोल के भी सब बोलता जाऊं
जो बात किसी को कह नहीं  पाऊं
तेरे आगे माँ खुली किताब बन जाऊं
जो सुने समझे मेरी सारी अनकहीं बातें
माँ तेरा वो आँचल कहाँ से लाऊं

लब्जो में जो मैं कह नहीं  पाऊं
तब मै माँ आँखों से नीर बहाऊं
लम्बी नीद जबभी सोना चाहूँ
माँ तेरी गोद में आकर  बिछ जाऊं
बचपन की वो प्यारी बाते अब कहाँ से मै पाऊं
माँ तेरा वो आँचल, कहाँ से लाऊं
 तेरे आँचल में छुपी है, जाने  कितनी यादे
उन यादों को फिर से,मैं  जीना चाहूँ
बचपन में गुजरे साथ,  पल जो  तेरे
अपना वो बिता कल, आज कहाँ से लाऊं
जिस आँचल में सिमटी है, मेरी सारी यादे
माँ तेरा वो आँचल कहाँ से लाऊं
 जिस आँचल से  लिपट लिपट खेलने आऊं
कभी  तेरे आंचल  से मै लिपटू
कभी  आँचल को खुद से  लिपटाऊँ
भीगे जो कभी पलके मेरी
आँसूं तेरे जिस आँचल में गिराऊं
माँ तेरा वो आँचल कहाँ से लाऊं

हँसी, ख़ुशी, सब  माँ तेरे आँचल में छुपाऊँ
तेरे आँचल में छुपने को मै  माँ
दिल चाहे आज फिर बच्चा बन जाऊं
जिस आँचल में छुपी है वो मीठी यादें
उस आँचल को कहीं और ना पाऊं
माँ तेरा वो आँचल कहाँ से लाऊं

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