♥माँ का आँचल ...♥
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ का आँचल ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दूध भरा जिसके आँचल में, और जिसका मन गंगाजल है!
जो अपने आशीष भेजकर, संतानों में भरती बल है!
इस दुनिया में ढूंढे से भी, नहीं हमे मिल सकता देखो,
जितना पावन, जितना कोमल, इस दुनिया में माँ का दिल है!
माँ के दिल की करो वंदना, माँ के दिल की करो इबादत!
माँ के दिल में प्यार वफ़ा है, माँ के दिल में नहीं तिज़ारत !
माँ का दामन प्यार भरा है और माँ की ममता निश्छल है!
दूध भरा जिसके आँचल में, और जिसका मन गंगाजल है!
हर संतान उसे प्यारी है, नहीं किसी को कमतर आंके!
सही गलत का भेद कराती, संतानों के दिल में झांके!
कभी बेटियों की चोटी की, माँ अच्छे से करे सजावट,
और कभी बेटों की खातिर, वो गिरते बटनों को टांके!
आशाओं की जोत जलाती, अपनी संतानों के मन में!
निश दिन ईश्वर से कहती है, ठेस लगे न उनके तन में!
माँ की बोली शहद सी मीठी, माँ का मुखड़ा बड़ा धवल है!
दूध भरा जिसके आँचल में, और जिसका मन गंगाजल है!
माँ अपनी संतान का गुस्सा, हँसकर के टाला करती है!
अपना दुख और भूख भूलकर, बच्चों को पाला करती है!
"देव" जहाँ में माँ के दिल सा, बड़ा नहीं कोई दिल होता,
मा संतानों के क़दमों में, अपना सुख डाला करती है!
माँ की कोई जात नहीं है, न शहरी न ही देहाती!
मा का मज़हब बस ममता है, न कोई दीवार उठाती!
माँ की ममता सुर्ख गुलाबी, माँ की ममता श्वेत कमल है!
दूध भरा जिसके आँचल में, और जिसका मन गंगाजल है!"
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माँ-एक चरित्र जिसका जन्म हुआ है ममता का प्रेषण करने के लिये, माँ के अपनत्व क निर्धारण हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्धिस्ट एवं अन्य के आधार पर नहीं, अपितु ममता के आधार पर होता है, माँ के प्रखर स्वरूप को नमन "
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