दर्द
दर्द
लिखती हुँ अपने अनुभवों के कलम से
एक - एक शब्दों के जोड़ से टपकता है दर्द
|
दर्द |
हर शब्द चित्कार कर सुना रहे है
अपने दिल की दास्तां
मैँ कवि नहीं रचनाकार नहीं
लेकिन अपनी ख़ामोशी को
शब्दों का रूप दे देती हुँ
अपने दर्द के शब्दों को
लफ्जो में बयां कर देती हुँ
कोई सुने ना सुने
कोरे पन्नो को सुना देती हुँ !
No comments:
Post a Comment