Wednesday 19 April 2017

मंजिल मिल ही जायेगी एक दिन,भटकते-भटकते ही सही ।

मंजिल मिल ही जायेगी एक दिन,भटकते-भटकते ही सही ।
गुमराह तो वो है,जो घर से निकले ही नहीं ॥
खुशियां मिल जायेगी एक दिन,रोते रोते हि सही ॥।
कमजोर दिल के है वो.जो हसने को सोचते ही नहीं ॥॥
पुरे होंगे हर वो ख्वाब.जो देखते है अंधेरी रातों मे ॥॥।
ना समझ हैं वो.जो डर से पुरी रात सोते ही नही ॥


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