Wednesday 26 April 2017

34. b

आज कुछ और नहीं बस इतना सुनो..
मौसम हसीन है, लेकिन तुम जैसा नहीं..
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मेरी जिंदगी मै खुशियां तेरे बहाने से है
आधी तुझे सताने से है,
आधी तुझे मनाने से है…
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मैं लब हूँ ,
मेरी बात तुम हो ,
मैं तब हूँ ,
जब मेरे साथ तुम हो।
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सब समझते हैं कि मैं कुछ नहीं.,
हाँ तेरे बिना तो मैं कुछ भी नहीं.!
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आदत थी तू मेरी,
ख्वाहिश बनकर रह गई…
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तुम्हारी याद के फुलो को मुरझाने नहीं देंगे…
हमने अपनी आँखे रखी हैं उसे पानी देने के लिए..!!!
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उस खुशी का हिसाब कैसे हो…?
तुम जो पूछ लो “जनाब कैसे हो !!
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प्यार करना है तो घर से बाहर निकलो….
बंद कमरे में मोहब्बत अक्सर बदनाम हो जाती है।
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वक़्त बदलने के लिए बुझदिलों की फ़ौज की दरकार नहीं,
चंद हौसले वालों की अंगड़ाई काफी है….
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किसी ने ऑखो में धूल क्या झोंकी
पहले से बेहतर दिखने लगा….
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वक़्त बीतने के बाद अक़्सर ये अहसास होता है…!
कि, जो छूट गया वो लम्हा ज्यादा बेहतर था…!!
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फोटो को ‪Like‬ नही किया तो चलेगा लेकीन मुझे Like करके देख,
तेरी जिंदगी खुशियो से भर दुंगा..
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बडी मुशकिल है मौला मेरी इसको हल कर दे
या तो खवाब ना दिख़ा , या मुक़कमल कर दे ।।।
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आइना सिर्फ जखम दिखा सकता हे,
जखम का दर्द बया नहीं कर सकता..!!
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अजीब सी थी वो,
मुझे बदल कर खुद बदल गई
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छोटा सा सपना है मेरा,
जो रोटी में खाऊ, वो तू बनाये …
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“ग़मों को आबरू अपनी ख़ुशी को गम समझते हैं,
जिन्हें कोई नहीं समझा उन्हें बस हम समझते हैं.
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छोटा सा सपना है मेरा,
जो रोटी में खाऊ, वो तू बनाये …
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में खफा नहीं हूँ जरा उसे बता देना……….!
आता जाता रहे यहाँ इतना समझा देना !
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जिस “चाँद” के हजारों हो चाहने वाले… दोस्त,
वो क्या समझेगा एक सितारे कि कमी को….!!
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मेरी हर शायरी में “सिर्फ तुम” होते हो
दद॔ बस इतना है कि.. सिर्फ “शायरी” मे ही क्यों होते हो…
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मेरे यूँ चुप रहने से नाराज ना हो जाना कभी,
दिल से चाहने वाले तो अकसर खामोश ही रहते है..
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हमने बरसों सीने से लगाए रक्खा ,
मगर ये दिल हमारा न हुआ…….
तुमने मुस्कुरा के इक बार क्या देखा ,
तुम्हारा हो गया….।
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मेरी फितरत में नहीं अपना गम बयां करना;
अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर तकलीफ मेरी…
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सोने लगा हूँ तुझे ख्वाब में देखने कि हसरत ले कर..
दुआ करना कोई जगा ना दे तेरे दीदार से पहले..
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हम अल्फाजो से खेलते रह गए,
और वो दिल से खेल के चली गईं ..
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ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है, सब कहते थे…
जिस दिन तुझे देखा, यकीन भी हो गया..!!
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समझ नही आती वफा करें तो किस सें करें !
मिट्टी सें बने ये लोग कागज के टुकड़ो पे बिक जाते है
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“झगड़ा” है क्योंकी “दर्द” है…
और “दर्द” है क्योंकी “प्यार” है….
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” जिनकी शायरियों में ददँ हौता हे ,
वो शायर
नही किसी बेवफा का दीवाना होता है ”
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तुम सो जाओ अपनी दुनिया में आराम से,
मेरा अभी इस रात से कुछ हिसाब बाकी है
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मुझ पर सितम ढा गयें मेरी ही गझल के शेर
पढ़ पढ़ के वो खो रहे है किसी और के खयाल में,.,!!!
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काश दर्द के भी पैर होते।
थक के रुक तो जाते कंही।
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ज़हर देता है कोई, कोई दवा देता है,
जो भी मिलता है मेरा दर्द बढ़ा देता है…!!!
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हम भी फूलों की तरह कितने बेबस हैं ,
कभी किस्मत से टूट जाते हैं , कभी लोग तोड़ जाते हैं.
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काश … उनको कभी फुर्सत में ये ख़याल आए…
कि कोई याद करता है उन्हें जिंदगी समझकर.
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दुनिया तेरी
और तू मेरा
दोस्त
चल सौदा तय हुवा…
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अब हाथ जोड कहते हो, बात का बखेडा ना करो
मैंनें पहले ही कहा था, मैं शायर हूँ मुझे छेडा ना करो…
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तुम्हारा दीदार और वो भी आंखो में आंखे डालकर,,
सुनो ये कशिश कलम से बयान करना मेरे बस की बात नही…!!
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गलती करने की आदत नहीं, फीर भी करता हु,
क्योकी अच्छा लगता हे तेरा प्यार से समजाना..!!
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हे प्रभु…..,
तेरा ऐसा भी क्या रिश्ता है,
दर्द कोई भी हो,
याद तेरी ही आती है |||
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काश न्यूटन के सर में पेड़ से सेब नहीं किसी का टूटा दिल गिरा होता,
तो आज फिजिक्स की हर किताब में एक चैप्टर इश्क का भी होता.
#ChetanThakrar

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