तेरा इंतज़ार मुझे हर पल रहता है,
हर लम्हा मुझे तेरा एहसास रहता है,
तुझ बिन धड़कने रुक सी जाती हैं,
कि तु मेरे दिल में मेरी धड़कन बनके रहता है.
सामने ना हो तो तरसती हैं आँखें,
याद में तेरी बरसती हैं आँखें,
मेरे लिए नहीं इनके लिए ही आ जाओ,
आपका बेपनाह इंतज़ार करती हैं आँखें..
वो कह गए मेरा इंतज़ार मत करना,
मैं कहूँ तो भी मेरा एतबार मत करना,
ये भी कहा उन्हें प्यार नहीं हमसे और,
ये भी कह गए किसी और से प्यार मत करना...
उससे प्यार हुआ जिसे हम कभी पा न सके,
जिसकी बातों को हम कभी भुला ना सके,
जिसे भुलाना चाहा पर हम भुला न सके....
दिल लगाया और लगाकर तोड़ दिया उसने,
ना दिन का पता ना रात का,
एक जवाब दे रब मेरी बात का,
कितने दिन बीत गए उससे बिछड़े हुए,
ये बता दे कौन-सा दिन रखा है हमारी मुलाकात का...
यूँ पलके बीछा कर तेरा इंतज़ार करते हैं,
ये वो गुनाह है जो हम बार-बार करते हैं,
हम सुबह और शाम तेरे मिलने का इंतज़ार करते हैं..
जलाकर हसरत की राह पर चिराग,
कौन कहता है इश्क में बस इकरार होता है,
कौन कहता है इश्क में बस इनकार होता है,
क्यूंकि इश्क का दूसरा नाम ही इंतज़ार होता है...
तन्हाई को तुम बेबसी का नाम ना दो,
वफ़ा में अब ये हुनर इख्तिहार करना है,
वो सच कहे ना कहे एतबार करना है,
मुझे तो खैर तेरा इंतज़ार करना है...
ये तुझको जाते रहने का शौक कबसे हुआ,
भले ही राह चलतों का दामन थाम ले,
मगर मेरे प्यार को भी तु पहचान ले,
कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क में,
जरा यह दिल की बेताबी तु जान ले.
ये कौन मुस्कुरा कर इधर से गुज़र गया,
बे नूर रास्तों में उजाला बिखेर गया,
आँखों की राह से कोई दिल में उतर गया...
सोचा बहुत किसी से प्यार ना हो मगर,
इंसानियत वो एहसास है जो हमें दुनिया में जीना सिखाती है,
नेकी और इमानदारी हो पास तो खुदा तक ले जाती है,
किसी और के दर्द में अपनी आँखों से आंसू बहाती है...
किसी गरीब का सहारा बन जाओ तो लबों पर मुस्कुराती है,
इंसान भी क्या चीज़ है दौलत कमाने के लिए सेहत खो देता है,
सेहत को वापस पाने के लिए वही कमाई हुई दौलत खो देता है,
और मर ऐसे जाता है, जैसे कभी जिया ही नहीं...
जीता ऐसे है, जैसे कभी मरेगा ही नहीं,
एक सच्चा दिल सबके पास होता है,
फिर क्यों नहीं सब पे विश्वास होता है,
इंसान चाहे कितना भी आम हो,
वो किसी ना किसी के लिए जरुर खास होता है...
खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं,
जिसे भी देखिये यहाँ हैरान बहुत है,
करीब से देखा तो है रेत का घर,
कहते हैं सच के साथ कोई नहीं,
दूर से मगर शान बहुत है,
आज तो झूठ की आन-बान बहुत है,
यूँ तो कहने को इंसान बहुत हैं,
मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,
तुम शौक से चलो राह-ए-वफ़ा लेकिन,
वैसे तो शहर में अपनी पहचाने बहुत हैं...
ज़रा संभल के चलना तूफ़ान बहुत हैं,
वक़्त पे ना पहचाने कोई ये अलग बात है,
प्रेम का सागर मन बन जाए, प्रेम ही आँखों में बस जाए,
प्रेम ही बोले, प्रेम को तोलें, प्रेम का सबको पाठ पढ़ाएं,
आज समय की मांग यही है, प्रेम में विश्व ये सारा हो,
मानवता ही धर्म हमारा, मानवता ही नारा हो...
क्या भरोसा है ज़िन्दगी का,
इंसान बुलबुला है पानी का,
जी रहे हैं कपड़े बदल-बदल कर,
एक दिन एक कपड़े में ले जाएंगे कंधे बदल कर...
सो सुख पाकर भी सुखी ना हो,
पर एक गम का दुःख मनाता है,
तभी तो कैसी करामात है कुदरत की,
लाश तो तैर जाती है पानी में,
पर जिंदा आदमी डूब जाता है...
ये मत देख की कोई गुनहगार कितना है,
ये देख की वो तेरे साथ वफादार कितना है,
ये मत सोच की लोगों से उसको नफरत कितनी है,
पर ये देखो की उसे तुझसे मोहब्बत कितनी है...
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