Monday 9 October 2017

क्यों जल्दी तुझे हाथ छुड़ाने के लिए है

क्यों जल्दी तुझे हाथ छुड़ाने के लिए है 
इक जख़्म अभी और दिखाने के लिए है

लगता है मुझे गैर की तरह शहर तुम्हारा 
हर शख़्स यहां दिल ही दुखाने के लिए है

हमराज़ कोई मेरा नहीं मेरे अलावा 
इक बात मगर फिर भी छुपाने के लिए है

हम अहले-मोहब्बत को नहीं मौत की परवाह 
ये साथ कोई इक जमाने के लिए है



हर मिलने वाले की जिन्दगी को महकाते रहना 
कितना ही दर्द हो जेहन में पर मुस्कुराते रहना 

जिन्दगी की रात में चाहे अमावस ही आ जाये 
पर तुम आशा के तारों की तरह टिमटिमाते रहना 

मुश्किलें तो मेहमान बन कर आती रहेंगी 
तुम बस उन मुश्किलों में भी खिलखिलाते रहना 

जीवन की रणभूमि के हर मोड़ पर तुम बस 
आगे बढ कर अपनी विजय पताका फहराते रहना 

इस पापी कलयुग के इस घोर अंधकार में 
तुम अच्छाई के दीपक बन जगमगाते रहना 

ये 'घायल' कभी यहां रहे या ना रहे पर 
तुम उसे याद करने को हमेशा आते जाते रहना 

Image may contain: 1 person, text and close-up
अजीब सी धुन बजा रखी है जिंदगी ने मेरे कानों में,
कहाँ मिलता है चैन पत्थर के इन मकानों में।
बहुत कोशिश करते हैं जो खुद का वजूद बनाने की
हो जाते हैं दूर अपनों से नजर आते है बेगानों में।

हस्ती नहीं रहती दुनिया में इक लंबे दौर तक,
आखिर में जगह मिलती है उन्हें कहीं दूर श्मशानों में।
न कर गम कि कोई तेरा नहीं,
खुश रहने की राह है मस्ती के तरानों में

जान ले कि दुनिया साथ नहीं देती,
कोई दम नहीं होता इन लोगों के अफसानों में।
क्यों रहता है निराश अपनी ही कमजोरी से
झोंक दे सब ताकत अपनी करने को फतह मैदानों में।

खुद को कर दे खुदा के हवाले ऐ इंसान
कि असर होता है आरती और आजानों में,
करना है बसर तो किसी की खिदमत में कर
वर्ना क्या फर्क है तुझमें और शैतानों में।

करना है तो कर गुजर कुछ किसी और की ख़ातिर
बन जाए अलग पहचान तेरी इन इंसानों में

बन जाए अलग पहचान तेरी इन इंसानों में
Image may contain: text

ऐसा कैसा रिश्ता है ये तेरे मेरे प्यार का 
टूटता जुड़ता रहता ये रिश्ता है तेरे मेरे प्यार का 

तुझे कैसे छोड़ जाऊं मैं अकेले इस जहान में 
कितना गहरा रिश्ता है ये तेरे मेरे प्यार का 

आते जाते खुशियां है आते जाते ग़म भी है 
इसके दम पे बंधा रिश्ता है ये तेरे मेरे प्यार का 

तुझसे करते जब भी बातें, हमसे तुम रुसवा होते 
फिर भी सच्चा रिश्ता है ये तेरे मेरे प्यार का 

मैं ना रहूँ अगर कल गर्दिश में हो जाऊं तुझसे जुदा 
पर भूला ना सकोगे ऐसा रिश्ता है ये तेरे मेरे प्यार का



Image may contain: 2 people, text and outdoor
हो सके तो मुस्कुराहट बांट यार
बातों में कुछ सरसराहट बांट यार

नीरस सी हो चली है जिंदगी बहुत
थोड़ी सी इसमें शरारत बांट यार

जहां भी देखो ग़म पसरा है आंसूं है
थोड़ी सी नातों में हरारत बांट यार

नहीं पूछता कोई भी ग़म इक दूजे के
लोगों में थोड़ी सी जियारत बांट यार

सब भाग रहे हैं यूं ही इक दूजे के पीछे
अब सुकून की कोई इबारत बांट यार

जीने का अंदाज़ न जाने कहाँ खो गया
नफरत छोड़ प्यार मोहब्बत बांट यार

जिन्दगी ना बीत जाये यूं ही दुख दर्द में
बैचेनियों को कुछ तो राहत बांट यार

Image may contain: 1 person, text
तन्हा रहना सीख रहा हूँ 
मर के जीना सीख रहा हूँ 

मांग के पाना सीख लिया है 
पा के खोना सीख रहा हूँ 

सबर को ज़द-ए-राह बना कर 
काँच पे चलना सीख रहा हूँ 

फिरते फिरते सहरा सहरा 
प्यास को पीना सीख रहा हूँ 

मरहम तो रखना ना आया 
जख़्म खूरचना सीख रहा हूँ 

जीने के हैं अज़ब तकाज़े 
जिन्दा रहना सीख रहा हूँ 

मदहोशी ने बहोत सताया 
होश में रहना सीख रहा हूँ 

डर कर जहर के प्याले से 
सुख को छुपाना सीख रहा हूँ 

Image may contain: 1 person, text
मुहब्बत इतनी बरकरार रखो कि 
मज़हब बीच में ना आये कभी.. 
तुम उसे मस्जिद तक छोड़ दो 
तो वो तुम्हें मंदिर छोड़ दे कभी..Image may contain: text

No automatic alt text available.
जिंदगी कुछ इस तरह है दुनिया में
जैसे कॉटों पर शबनम का कतरा..

तेरी याद में हम किस किस से ना मिले 
हौंसला मिला जब हम खुद से जा मिले 

सुना था आईना सच दिखाता है मगर 
दंग रह गये जब खुद से जा मिले 

पहुंचे दर पे राह-ए-खुदा पुछते हुए 
फिर हुआ वही और एक बुत से जा मिले 

था तेरा जिक्र ग़ालिब और मीर की ग़ज़लों में 
तुझसे मिलने से पहले ही हम तुझसे जा मिले 

कौन ढूंढे मंजिलें राहें ही काफी हों जब 

हर रास्ता महका सा हो हर राह तुझसे जा मिले
Image may contain: text and outdoor

No comments:

Post a Comment