Saturday 28 October 2017

कुछ हसीन

कुछ हसीन ख़्वाब मुझसे संभाले नहीं गये,
काँटे जो लगे थे पाँव में निकाले नहीं गये।

मग़रूर आँधियों से शिक़ायत तो नहीं की,
बस....घोंसले दरख़्तों पे डाले नहीं गये।

यूँ हँस के बोलना,मिलना,गले लगना,
हम जानते हैं तेरे मन के जाले नहीं गये।

हाँ,मुस्कुराना अब मेरी आदत ही बन गयी,
इक उम्र गुज़री दिल के मगर छाले नहीं गये।
Ashok Kumar Jain
इश्क़ करने को आँखों की ज़रूरत नहीं होती,
प्यार के एहसास को नजरों की ज़रूरत नहीं होती.
बिन आँखों के भी होती है मोहब्बत,
चाहत के लिए ज़रूरी शकल सूरत नहीं होती..!Image may contain: 1 person, standing

मधुर आवाज़ में आ गीत गा जा।
मिलन का कोई तो नग़मा सुना जा।।

बहुत दिन हो गए देखी न सूरत।
शकल दिलकश ज़रा आकर दिखा जा।।

हवाएं बहकी हैं लहरें उठातीं।
नशे के दौर को आगे बढ़ा जा।।

बेमानी ज़िंदगी है प्यार खोकर।
बमानी ज़िंदगी करने तू आ जा।।

तुम्हें होगा नफ़ा मिलकर ज़रूर।
यही उपचार है देकर दवा जा।।

तड़पता रात भर करवट बदलते।
जादू की जफ्फी दे मुझको सुला जा।।

रुपेला सार जीवन का यही है।
किसी का बन उसे जीना सिखा जा।।

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आ आज तेरे हाथों में अपने होंटो से प्यार लिख दूँ।
और तेरे गुलाबी गालों में प्यार का इजहार लिख दूँ।

अगर कोई पूछे कितना है एतबार मोहब्बत में तो आँखे दिखा देना।
आ तेरी आँखों में होंटों से इश्क का एतबार लिख दूँ।

लोग कहते हैं हम घूम चुके हैं ये दुनिया पूरी ।
क्यों ना मैं तुझको ही अपना पूरा संसार लिख दूँ।

पतानहीं लोगों को करार कहीं मिलता है या नहीं।
मैं तो तेरी जल्फों को ही अपना चैन और करार लिख दूँ।

अगर लिखने की आये बात मोहब्बत के खुमार की।
तो तेरे बदन पर उंगलियों से मोहब्बत का खुमार लिख दूँ।

कहते हैं इश्क एक बीमारी है इस दुनिया में लोग।
लेकिन मैं तेरे इश्क़ को दुनिया का सबसे बड़ा उपहार लिख दूँ।

कोई कहे सजा बताओ जो मीठी हो पर जान निकाल दे।
तो मैं उस सजा का नाम सिर्फ तेरा इंतजार लिख दूँ।

मुझे फूलों की या इत्र की क्या जरूरत महकने के लिए।
मैं तो तुझे ही महकता हुवा फूलों का बाजार लिख दूँ।

तमाम ख्वाहिशें मेरी तुझसे ही तो हैं जो पूरी हो गयी।
तो क्यों का तुझको ही ख्वाहिशों का बाजार लिख दूँ।

कहते हैं खुदा सबकी मन्नतें सुनता है और खुशी देता है।
तो क्यों ना तमको मैं अपना खुदा, परवरदिगार लिख दूँ।

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मिलतीं है तेरे आने की आह्ट ,
हरे पत्तो की सरसराहट से ...

आती है तेरे होने की खबर,
उफनती लहरों की खिलखिलाहट से ...

पथरीली जमीं पर दूब का ,
मखमली गलीचा बिछा हो जैसे....

सुकून देती है तुझसे मिलने की हसरत,
साँसों और धड़कन की गुनगुनाहट से ..

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जो तू साथ न छोड़े ता-उम्र मेरा ए मेहबूब
मौत के फ़रिश्ते को भी इनकार न कर दूं तो कहना
इतनी कशिश है मेरी मुहब्बत की तासीर में
दूर हो के भी तुझ पे असर न कर दूं तो कहना!!
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सारी खिड़कियाँ और दरवाजे बन्द कर रखी हुँ..
फिर भी ना जाने कहाँ से आ जाती है तूम्हारी यादें..Image may contain: 1 person, smiling, sitting and indoor

एक ताबीज़, तेरी-मेरी मोहब्बत को भी चाहिए...
थोड़ी सी दिखी नहीं कि...नज़र लगने लगी....!!Image may contain: 1 person, smiling, standing

दीदार कर निहाल हुए, क्या जमाल है।
तुम घास भी न डाल रहे, ये मलाल है।।

तारीफ कर रिझाते रहे रात दिन बहुत।
तुम टस से मस न होते रहे ये कमाल है।।

बिरयानी हम खिलाते रहे पेट भर तुम्हें।
अपने हाथों से तुमने, खिलाई न दाल है।।

हमने खरीद फ्लैट दिया लाखों का तुम्हें।
तुमने मुहूर्त में न बुलाया बेमिसाल है।।

हम हार भेँट कर चुके हैं सोने का तुम्हें।
वो हार तुम पहन न मिले, बीता साल है।।

ईमेल का जवाब नहीं देते आजकल।
क्या तुमने अब मुझे दिया दिल से निकाल है।।

हम जान तक देने को भी बैठे तैयार हैं।
हमको गले लगाया न तुमने ये हाल है।।

आँसू निकल बहे तुम्हारी देख बेरुख़ी।
तुमने न पोँछने को निकाला रुमाल है।।

उम्मीद से तुम्हारी रहे ज़िंदा अब तलक।
देरी बहुत हुई, हुआ जीना मुहाल है।।

दिन और हैं नहीं बचे अब जीने के लिए।
दर्शन दो वरना हो रहा ये इंतकाल है।।

उम्मीद के सहारे होती ज़िंदा ज़िंदगी।
उम्मीद बिन रुपेला जीवन ही बेहाल है।।Image may contain: 1 person, standing
रात रोशन थी,माहताब था,बज्मे शमां भी थी
पुरनूर मंजर मगर कुछ बदहवासियाँ भी थी
चारो तरफ थे कहकहे महकती फिजायें भी थी
कुछ आँखे पनीली तो कुछ उदासियाँ भी थी
तब्बसुम था,इन्तेजार अब्र और शोखियाँ भी थी
आंधियां,थी बर्क थी, हवा में सरगोशियाँ भी थी
बिसात- ए- इश्क बिछी थी पासे भी थे मगर
जो चाल चली गलत चली मदहोशियाँ भी थी
मुहब्बत की रवायत है के मंजिल नहीं मिलती
तल्खी थी, खलिश थी , नाफ़रमानिया भी थी
ये कैसे हो गया ,हमें कुछ पता भी नहीं चला
चेहरा था जर्द उसके पसे रुस्वाइयाँ भी थी
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मै रात भर स्वप्न सजाती रही
विस्मृत न हो सकी यादें जो,
नैनों का पलना झुलाती रही.!!
तुम आओ न आओ मर्जी तुम्हारी,
मै तुम्हारी रही सहचरी सदा,
गीत मंगला के ही गाती रही..!!
प्रीत की सदा से यही रीत है,
सुख दे नदे ,दुख देता अतीत है
अपनत्व की दुदंभी बजाती रही..!!Image may contain: 1 person, smiling, standing and outdoor

सिर्फ जुबां से किया हुआ ही वादा नहीं होता, 
. .बार-बार इजहार से प्यार ज्यादा नहीं होता,
. . . मुझे जानना है तो मेरी रूह में समा जाओ, 
. . . . सिर्फ कनारे से समंदर का अंदाजा नहीं होता !!
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गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले 
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले 

क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो 
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले 

कभी तो सुब्ह तिरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़ 
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले

बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही 
तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले 

जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिज्राँ 
हमारे अश्क तिरी आक़िबत सँवार चले 

हुज़ूर-ए-यार हुई दफ़्तर-ए-जुनूँ की तलब 
गिरह में ले के गरेबाँ का तार तार चले
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करार भी देते हैं आप ही, बेकरारी भी आप ही ,
आप ऐसे तो नेक-दिल कभी ना थे..🌹🌲🌹

ख्वाबो में भी आप ही,दर्पण में भी आप ही, 
आप ऐसे तो रहम-दिल कभी ना थे....🌹🌲🌹

कैसे बताएं आपको, मिलकर आपसे
हम ऐसे ठहर गए है सनम...🌹🌲🌹

मेरी उदासी भी आप ही, दिले-चैन भी आप ही,
आप ऐसे तो सुकूने-दिल कभी ना थे..!!!*🌹🌲🌹
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जिस्म संगमरमर की जैसे इमारत कोई
जिस्म ख़ुदा की लिखी हो इबारत कोई 

लबों को क्या कहूँ पंखुड़ी गुलाब सी है 
ठंडक है बर्फ की या कोई आग सी है 

तैरती है मुस्कुराहट जैसे फूल पानी में 
रंग भर दिए हों किसी बेरंग कहानी में 

लब हिलें तो ज़मीं सारी हिलने लगे
लब हंसें तो ये गुलशन भी हंसने लगे 

ज़माने में ऐसी कोई शै नहीं होगी 
इन लबों से हंसी कोई जन्नत नहीं है 

जहाँ में तुझसा कोई ख़ूबसूरत नहीं है 
जहाँ में तुझसा कोई ख़ूबसूरत नहीं हैImage may contain: 1 person, standing
तुम आये, ज़िन्दगी में तो, बरसात की तरह,
और चल दिए तो जैसे, खुली रात की तरह।
बातें रहीं अधूरी, बिछड़ना पड़ा हमें,
था यह भी इतफाक, मुलाकात की तरह।
शहनाई के सुरों में था,मातम का शोर क्यूँ
सपने तो आये नींद में,बारात की तरह।
हम भी तो मुन्तजिर हैं के, कुछ ज़िन्दगी मिले,
आओ हमारे दिल में भी, ज़ज्बात की तरह।
ये तो कहो के अहद किया था रहेंगे साथ,
अब क्यूँ बदल भी जाते हो हालत की तरह।Image may contain: 1 person
ना जाने क्यूं तूं मुजे सोदाई लगे..,
सोचुं जित्तना उत्तना ही हरजाई लगे...!!!.....

ना तूं मेरे सब्र का यूं ईम्तिहान ले यारा..,
बिन तेरे ये दुनियामें, मुजे तन्हाई लगे...!!!.....

मैं तेरी हर भूल को गंवारा कर दुंगी..,
ये तेरे ईश्क की वरना मुजे दुहाई लगे...!!!.....

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"भूल सकता हूँ भला कैसे वो पहली रात.!
साँसें जब संगमरमर जिस्मसे टकराई थी.!!॥....

तेरे लबों को छुआ था मेरे लबों ने.!
मेरे सिने में मुँह छुपा तू शरमाई थी.!!॥....

कैसे बाहों ने दिया था बाहों को सहारा.!
और ज़िंदगी ने अपनी मंज़िल पाई थी.!!॥....

फूलों से सजी सेज थी जैसे कोई चमन.!
भंवरे ने फिर फूल एक कलीको बनाई थी.!!॥....

तेरे सवालों से भरी बहकी-बहकी आँखें.!
मेरे घूँघट उठाने पर कैसे तू घबराई थी.!!॥...Image may contain: one or more people and close-up

"बहुत अच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र, 
आप वहा से याद करना, हम यहाँ से मुस्कुराएंगे.."

लेके अलफ़ाज़ मेरे ग़ज़ल लिखने लगे हो तुम,
सुना है आजकल बज़्म में दिखने लगे हो तुम.॥....

नज़र भरके तुम्हें कल तक नहीं देखा किसी ने,
करो शुक्रे खुदा यूं आजकल बिकने लगे हो तुम.॥....

हवाओं के बजूद से भी जो लगते कांपने शजर,
हिम्मत है कि तूफां में भी टिकने लगे हो तुम.॥....

तमाम कायनात घूम ली न सानी कोई मिला,
मेरी नज़रों का बहम प्यारे कितने लगे हो तुम.॥....

हमसे हर राज नुमाया था हयात का जिनकी,
सामने उनके ही क्यों? झिझकने लगे हो तुम.॥....

तलाशे-राहे-उल्फत में हुए मसरूर इस कदर,
सीधे भी रास्तों पे अब उलझने लगे हो तुम.॥....

महसूस करती हूँ मैं कोई कसक सी आखिर,
मुझको करीब दिल के क्यों इतने लगे हो तुम.॥....

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तुम्हें भूल जाने का होंसला न हम था
न है और न होगा___▼★★
तुम हमसे दूर रहकर भी हमसे जुदा
न थे न हो न ही होगे___▼★★
तुमसे मिलने के बाद किसी और से
क्या मिलना क्योकिं___▼★★
क्योकि इस जहा में तुम्हारे जेसा न
कोई था न कोई
हैं और न ही कोई होगा___▼★★


धोखा ना देना कि तुझपे ऐतबार
बहुत है;
ये दिल तेरी चाहत का तलबगार
बहुत है;
तेरी सूरत ना दिखे तो दिखाई
कुछ नही देता;
हम क्या करें कि तुझसे हमें
प्यार बहुत है।


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मुझको पढ़ पाना हर किसी के लिए
मुमकिन नहीं,
मै वो किताब हूँ जिसमे
शब्दों की जगह जज्बात लिखे
है….!!

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तुम्हारी आदत
और
मेरी आदत
एक जैसी है,सिवाय इसके..
.....तुम्हें याद करने की फुरसत नहीं है
,और 
मुझे तुम्हारी यादों से फुरसत नहीं...!

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सांस रुक जाए मगर आंखें कभी बंद न हो...
मौत आए भी तो तुझे देखने की जिद खत्म न हो.......
दर्द उठता है तो बस ये ही दुआ करती हूं.........
तेरे दिल में मेरे खातिर कोई भी जख्म न हो.....

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करता रहा फ़रेब कोई सादगी के साथ,
इतना बड़ा मज़ाक मेरी ज़िन्दगी के साथ,
शायद मिली सज़ा मुझे इस ज़ुल्म की,
कोई हो गया था प्यार एक अजनबी के साथ ...




मुझको चाहते होंगे और भी बहुत लोग !!
लेकिन मुझे मुहब्बत अपनी मुहब्बत से है !

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