Wednesday 11 October 2017

माँ की ममता


माँ की ममता

लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फा नहीं होती।
ऐ अँधेरे ! देख ले मुँह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है,
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।
घेर लेने को मुझे जब भी बलाएँ आ गयी,
ढाल बनकर सामने माँ की दुआएं आ गई।
अभी जिन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है।
कुछ नहीं होगा तो आँचल में छुपा लेगी मुझे,
माँ कभी सर पर खुली छत नहीं रहने देगी।
मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं,
माँ से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं।


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