Saturday, 24 December 2016

जब तुम रोते थे रात-रात भर।वो जागती थी आँचल में लेकर।।अब वह रोती है रात-रात भर।तुम सोए रहते हो चादर ओढ़कर।

वो हाथ सिर पर रख दे तो आशीर्वाद बन जाता है;उसको रुलाने वाला जल्लाद बन जाता है;माँ का दिल ना दुखाना कभी;उसका तो जूठा भी प्रसाद बन जाता है।

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