Wednesday, 28 December 2016

लता - रफी

यूँही तुम मुझ से बात करती हो
या कोई प्यार का इरादा है
अदायें दिल की जानता ही नहीं
मेरा हमदम भी कितना सादा है

रोज आती हो तुम खयालों में
जिंदगी में भी मेंरी आ जाओ
बीत जाये ना ये सवालों में
इस जवानी पे कुछ तरस खाओ
हाल-ए -दिल समझो सनम
कहेंगे मुंह से ना हम
हमारी भी कोई मर्यादा है

भोलेपन में है वफा की खुशबू
तुझ पे सब कुछ ना क्यों लूटाऊ मैं
मेरा बेताब दिल ये कहता है
तेरे साये से लिपट जाऊं मैं
मुझ से मेल तेरा
ना हो एक खेल तेरा
ये करम मुझ पे कुछ ज्यादा है

बन गयी हो मेरी सदा के लिए
या मुझे यूँही तुम बनाती हो
कही बाहों में ना भर लूँ तुमको
क्यों मेरे हौसले बढाती हो
हौसले और करो
पास आते ना डरो
दिल ना तोड़ेंगे अपना वादा है

गीतकार : इंदिवर,
गायक : लता - रफी,
संगीतकार : कल्याणजी आनंदजी, चित्रपट : सच्चा झूठा (१९७०) ♡ SA ♡
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