मौसम कोई भी हो गुलाब की खुशबू कम नही होती
रंग खिला रहता है कडी धूप में भी हंसी नम नही होती
टूटकर भी कुछ काम ही आते है कीमत बेदम नही होती
फितरत इंसान सी नही वरना ये पत्थर से कम नही होती
रंग खिला रहता है कडी धूप में भी हंसी नम नही होती
टूटकर भी कुछ काम ही आते है कीमत बेदम नही होती
फितरत इंसान सी नही वरना ये पत्थर से कम नही होती
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