Saturday, 31 December 2016

* बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब,

* बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब, ये घड़ी भी सर्दियों में,
5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है

मत ढूंढो मुझे इस दुनिया की तन्हाई में,
ठण्ड बहुत है, मैं यही हूँ, अपनी रजाई में

तमाम राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के बीच मेरी छोटी सी लोकल समस्या
सारी रात गुज़र जाती है इसी कश्मकश में ये रजाई में हवा कहां से घुस रही है

सुबह सुबह आकर सोये हुए को जगाने के लिये उसकी रजाई खींच लेने को महापाप की श्रेणी में रखा जायेगा

अगर इस समय कोई सुबह सुबह किसी पर ठंडा पानी डाल दे,
तो वो घटना भी आतंकवादी हमले के अंतर्गत माना जायेगा

किसी की रजाई खींचना देशद्रोह के बराबर माना जायेगा और रजाई में घुसकर ठंडे पैर लगाना छेड़छाड़ का अपराध माना जायेगा

इस बरसाती ठण्ड के मौसम में रजाई के अंदर रहना ही श्रेष्ठ कर्म है
और टमाटर की चटनी के साथ पकोड़े, चाय मिलना मोक्ष की प्राप्ति

ऐ सर्दी इतना न इतरा
अगर हिम्मत है तो जून में आ

आखिर अब वो समय आ ही गया है जब हम सुबह उठ कर
ज़िन्दगी का सबसे मुश्किल फैंसला करते हैं कि आज नहाना है या नही ??
❄Happy Winter**
🙏"सबंध" ज्ञान एवं पैसे 
से भी बड़ा होता है,
क्योकि.........
जब ज्ञान 📚और पैसा विफल हो जाता है, तब "सबंध" से स्थिति सम्भाली जा सकती है..!
🌹"मधुर सबंध" बनाकर जीवन सार्थक कीजिये......! *हँसते रहिये , हंसाते रहिये
सदा मुस्कुराते रहिये !
* मेरी आँखों में झाँकने से पहले,
जरा सोच लीजिये ऐ हुजूर...
जो हमने पलके झुका ली तो कयामत होगी,
और हमने नजरें मिला ली तो मुहब्बत होगी**
मौसम कोई भी हो गुलाब की खुशबू कम नही होती
रंग खिला रहता है कडी धूप में भी हंसी नम नही होती
टूटकर भी कुछ काम ही आते है कीमत बेदम नही होती
फितरत इंसान सी नही वरना ये पत्थर से कम नही होती






Friday, 30 December 2016

हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदासे है क्या ज़रूरत थी तुम्हें इतनाखूबसूरत बनाने की !

दोस्ती करनेका फ़न तूने ही सिखलाया है तू मेरे सामने शमशीर लेके आया है जा छोड़ दिया तुझे अय मेरे क़ातिल मैंने तो तेरे घर का नमक खाया है,,


सिर्फ नाम लिख देने से शायरी अपनी नहीं हो जाती,☘ 🌿दिल तुड़वाना पड़ता है कुछ दिल से लिखने के लिये ☘good evening frnds
चूडि मजा न देगी 💜
कंगन मजा न देगा 💜
तेरे बगेर साजन 💜
सावन मजा न देगा 💜

Thursday, 29 December 2016

सुर्ख गुलाब की खुशबुएँ उतरने लगी


सुर्ख गुलाब की खुशबुएँ उतरने लगी
रूठी ज़िदगी फिर से अब सँवरने लगी

बाग में तितलियाँ फूलों को चूमे है जब
लेकर अँगड़ाईयाँ हर कली बिखरने लगी

एक टुकड़ा धूप जबसे आँगन मेरे उतरा
पलकों की नमी होंठों पे सिहरने लगी

दूर जाकर भी इन आँखों मे मुस्कुराते हो
दो पल के साथ को हसरतें तड़पने लगी

तुम मेरी ज़िदगी का हंसी किस्सा बन गये
एहसास को छूकर दीवानगी गुजरने लगी

#श्वेता🍁

सुर्ख गुलाब की खुशबुएँ उतरने लगी
रूठी ज़िदगी फिर से अब सँवरने लगी

बाग में तितलियाँ फूलों को चूमे है जब
लेकर अँगड़ाईयाँ हर कली बिखरने लगी

एक टुकड़ा धूप जबसे आँगन मेरे उतरा 
पलकों की नमी होंठों पे सिहरने लगी

दूर जाकर भी इन आँखों मे मुस्कुराते हो
दो पल के साथ को हसरतें तड़पने लगी

तुम मेरी ज़िदगी का हंसी किस्सा बन गये
एहसास को छूकर दीवानगी गुजरने लगी

एसुर्ख गुलाब के दामन मे लिपटे कुछ रेशमी एहसास लिखे हैक अनकही दास्तां के जज़्बात कुछ लफ्ज खास लिखे है
जो कह न सके कभी आपसे बस ख्यालों.मे महकते रहे मेरे
लफ्ज़ लफ़्ज़ बिखरने लगे पराग से दिल के सब राज़ लिखे है





अंगडाईयाँ कलियों की देखकर भौरें मचलने लगे
खुशबुओं के पिटारे खुले मन फिर बहकने लगे
सुर्ख दुपट्टे के गुलाब में ओस सितारों से चमकने लगे
सर्द हवाओं ने छुआ ख्याल फिर से महकने लगे




सुबह के नम रूखसारसारी रात फूलों का दामन भिंगोती रही चाँदनी पर बिखरे है मोती सारे






महकती भोर ने अंखियाँ खोली है
आप भी साथ कलियों के मुस्कुराईये
एक खूबसूरत सुबह ने दस्तक दी है
आप भी स्वागत में बाहें फैलाईये
व्यर्थ की चिंता रब पर छोड़ कर
खुशियों का अपने घर का पता बताईये
जो मिला है जिंदगी से एक और दिन
इसके हर लम्हें में जीवन के रंग भर जाईये

#श्वेता🍁

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खुशबू की फितरत और बिखरने का शौक रखते है
हम मिटने से नहीं डरते,उनसे बिछड़ने का खौफ रखते है




सुप्रभात

आपके मनमुताबिक खुशियों से भरा
रहे दिन आपका
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
दिल की खामोश दुआओं मे
रब्ब से एक ही गुजारिश की है
आप मुस्कुरायें हर पल जीवन मे
जुड़े हाथों ने यही एक ख्वाहिश की है
हर गम आपके राह के चुन लूँ दामन में
सिर्फ आपकी खुशी की फरमाईश की है
कोई फर्क नहीं पड़ता हम है कि नही
आपके रूह को मिलता हो सुकून जिससे
ऐसे हमराह की रब्ब से सिफारिश की है

** #श्वेता



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बेदार ' सूफ़ी ''s profile photoshera nigam's profile photo



sweta sinha

Shared publicly  -  Nov 13, 2016
नज़रो के इशारे उनके, दिल बेहाल हो गया
खुशबुओं से महका मन,तन गुलाब हो गया
ठंडी हवा की सरगोशी ,मौसम शराब हो गया
झुकी पलकें,हर सवाल का जवाब हो गया


#श्वेता

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manoj singh's profile photoshera nigam's profile photo



sweta sinha

Shared publicly  -  Nov 4, 2016
न भाए मुझे अब रंग
चुभ रहे काँटे सुर्ख गुलाब के
ले जा अपनी यादें संग 
पलकों से टूटे बिखरे ख्वाब के

#श्वेता

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राजेंद्र सिंह -Rajendra Singh सोलंकी -Solanki's profile photoshera nigam's profile photo



sweta sinha

Shared publicly  -  Oct 26, 2016
दिनभर गुलाब से महकते रहे ख्याल आपके
न इक पल गये याद छाये रहे बेहिसाब आपके
बहुत चुभ रही है काँटों सी तन्हाईयाँ शाम की
बेबस.दिल फिजांओ से पूछे है सवाल आपके
हाल ए दिल समझकर भी न समझे है आप, फिर
किस पिटारे बंद रखूँ न सताये हमें ख्याल आपके

#श्वेता



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*कलियाँ सुर्ख गुलाब.की ,आँखो मे उतरी लब पे *छा गयी *
हवा मे बिखरी खुशबू ,लम्हा लम्हा खुशनुमा *बना गयी
काँटों के बीच मुस्कुराती जिंदगी ,एक एहसास *जगा गयी
बेशकीमती है हर पल,गम से न घबराने का सबक सिखा गयी






महकने लगी है हवाएँ तुम्हें छूकर आयी है
नम सी है फिज़ाएँ यादों ने बदरी बरसायी है

सुर्ख गुलाब सी मतवारी आँखें दे रही गवाही है
जागती पलको पे ख्वाबो ने दुनिया.बसायी है

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महकी हुई फिजाओं में किरणों.का राज़ हो गया
गुलाब खिलखिला रहे दिन का आगाज़ हो गया

अब तलक न ख्वाब.की खुमारी आँखों से गयी
ख्वाहिशें तितली बनी मौसम दिलसाज़ हो गया

#श्वेता

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*महकती है.यादें सूखे फूलों में भी खुशबू बिखर जाती है
रफ्त रफ्त चलती ज़िदगी कुछ पलों में सिमट जाती है

चहकती है साँसें दिल के आईने में इक सूरत निखर जाती है
न कोई बंदिश रहे फिर हर एहसास तुझसे लिपट जाती है*



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मखमली सुर्ख पंखुडियाँ भिंगोती रिमझिम बरसातें
एक भीना एहसास साँसों मे घुलती खुशबूएँ
तू कहीं आस पास है कहने लगी बहकी ये हवाएँ
नज़र.की जद में न सही ज़ेहन को मदमाती तेरी यादें**






तेरी हर धड़कन पे अपना नाम सुनने की ख्वाहिश है
तेरी आँखों में अपनी  तस्वीर देख लूँ यही फरमाईश है
खुशबू सुर्ख गुलाब की बन बस जाऊँ जेहन मे तुम्हारे
ताउम्र न उतरे ये मदहोशी तेरी, दिल की यही गुजारिश है






मेरे ख्वाहिशों का पिटारा खुशबूओं से भर गया
उनका भेजा गुलाब मेरे ख्वाब रंगीन कर गया

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