जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं, क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं, तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ, गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं..
एक चाहत... हजार जज़्बात... और एक तुम... हमसफ़र... हज़ार ख़ुशी.. बस...सिर्फ तुम
नारी के मन पर विजय वासना से नहीं, उपासना से पाई जाती है.....।।
जय माता दी
मैं चाहता हूँ, कर लूँ कुछ बातें तुमसे
चाहता हूँ,तुम्हें उतना जानना जितना
की शायद ही कोई जानता हो तुम्हें
बस तुम्हारा होना हो, ना होने पर भी
तुम्हें जहाँ जाना है जाओ…
धरती के किसी भी छोर तक जाओ…
बस तुम्हारे बेफिक्री भरे सफर
और सिर्फ…
तुम्हारे लिए मेरी फिकरें और बढ़ जाती हैं
बहोत...बेबस...था वो
रब...मेरी...उस दुआ
के सामने...क्योकि...
बिते...हुएं कल...को...
लौटाना...उसके बस में...
भी...नही...था
अच्छे और बुरे में से
चुनना हो तो
आसानी से चुन लूं
लेकिन अच्छे और अच्छे
में से
कोई एक अच्छा
कैसे चुनें।
हमसे बदल गये वो निगाहें तो क्या हुआ
जिंदा हैं कितने लोग मोहब्बत किये बगैर!
छत पर तेरे दुपट्टे में अटकी है आज की शाम...
गांठ खोलकर सूरज को जाने की इजाज़त दे दो...
आज ख़ुद का ज़मीर ही सवाल कर बैठा...
कहाँ है वो मोहब्बत जिस पे नाज़ था...
ख़ुद को किस किस पे आजमाओगे...
ख़ुद से लड़ जाओ,जीत जाओगे...
होश तलक छीन लेती है तेरी झुकी निगाहें...
उठे निगाह तो बस, खुदा ख़ैर करे..
तेरे होने पे शक नहीं है मगर
तू यक़ीनन अभी भी,कहीं नहीं
.
अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ...
देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ...
क्या खूब थे वो बचपन के दिन..
जब दो ऊंगली जोड़ने से दोस्ती हो जाती थी !!!
#बचपन_की_यादें
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