बचपन में पढ़ी गई अक्षर ज्ञान पुस्तिका की चन्द पंक्तियाँ यादों के झरोखों से
"कछुवा छोड़ कबूतर रखना, खटिया छोड़ खड़ांउं चढ़ना
गऊ गणेश दोनों को भजना, घर पर देख घड़ी का चलना
चना खाओ चरखा चलवाओ, छत पर बैठो छड़ी हिलाओ
जड़ पर बैठ जहाज को देखो, झगड़ा छोडो झरना देखो
तख्ते पर तलवार धरी है, थरिया थन से दूध भरी है
दरजी दर्पण देख रहा है, धनी धनुष देख डरता है
नट हैं नट पर नाच दिखाते
टमटम टट्टू से चलवाई, ठग से बचो ठठेरे भाई
डमरू को डलिया पर रखना, ढकना ढकनी घड़े पे ढकना
पगड़ी बाँध पतंग उड़ाता, फरसा फरुवा खेत बनाता
बालक बकरी बतख चराता , भगत चला भड़भूजे के घर
मछली खाता मगर पकड़ कर
यति यज्ञ हैं बैठ कराते, रथ में रस्सी बाँध खिंचाते
लड़के लट्टू खूब नचाते , वट -तर खड़े वकील जुड़ाते
शहद की मक्खी और शरीफा , षट्पद षट कोने पर देखा
सरौता लिए सवार है जाता, हल हथियार किसाने भाता
क्षत्रिय के सर छत्र सुहाता , चित्र विचित्र खेल दिखलाता
ज्ञान चन्द है ज्ञानी बड़ा, धुन का पक्का दिल का कडा
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