Monday, 4 December 2017

अपनी बेटी सबको बहुत ही प्यारी लगती है



अपनी बेटी सबको बहुत ही प्यारी लगती है

दूसरे की बेटी (बहु) घर की नौकरानी सी लगती है.

अपनी बेटी लेट उठे तो कोई बात नहीं, बच्ची है

दूसरे की बेटी (बहु) जरा सा लेट उठे तो टोका जाता है, मां ने क्या कुछ नहीं सिखाया क्या ?

खुद की बेटी से काम नहीं करवाते

बहु से हर काम करवाया जाता है.

बेटी आज के modern कपड़े पहने तो fashion

बहु अगर पहने तो बेशर्म.

अपनी बेटी की हर गलती माफ

दूसरे की बेटी (बहु) से जरा सी गलती क्या हुई, वो भी अनजाने में तो मायके वालों को कोसा जाता है.

बेटी सौ हजार खर्च करे तो कोई बात नहीं

बहु से पैसे पैसे का हिसाब मांगा जाता है

काश...

ये पति, ये सास ससुर, ये ससुराल वाले, ये समझ पाते कि

उनकी बहन उनकी बेटी भी

एक दिन ससुराल जाएगी

उसे भी ये सब सुनना पड़ेगा

हर माता पिता को चाहिए

कि अपनी बेटी को

अच्छी education दे

घर के सभी काम सिखाये

बहु की मदद करने को कहे

अच्छे गुण संस्कार दे

कहीं आपकी बेटी को भी ये सब सुनना न पड़े।

हो सके तो बहु को भी बेटी जैसी नहीं बल्कि

अपनी बेटी ही समझे





⏩एक प्रसंग जिन्दगी का


एक 6साल का छोटा सा बच्चा अपनी माँ से परमात्मा से मिलने की जिद किया करता था ।

उसकी चाहत थी कि एक समय की रोटी वो परमात्मा के साथ खाये ।

एक दिन उसने ऐक थेली में 7 __8 रोटीयां रखी और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़ा ।

चलते चलते वो बहुत दूर निकल आया संध्या का समय हो गया ।

उसने देखा नदी के तट पर एक बूढ़ा आदमी बेठा है और एसा लग रहा था जैसे उसी के इन्तजार में वहाँ बैठा उसका रास्ता देख रहा है ।

वो छः साल का मासुम बालक बुजुर्ग बूढ़े के पास जाकर बैठ गया और अपनी थैली में से रोटी निकाल कर खाने लग गया रवि रिझवानी..

और अपनी रोटी वाला हाथ बूढ़े आदमी की बूढ़े आदमी की ओर बढाया और मुस्कराके देखने लगा ।

बूढ़े ने रोटी लेली ।बूढ़े के चेहरे पर अजीब सी खुशी छा आगई

आंखो में खुशी के आँसू भी थे ।

बच्चा बुढे को देखे जा रहा था । जब बूढ़े ने रोटी खाली तो बच्चे ने एक रोटी ओर बूढ़े को देदी ।

बुढा बहुत खुश था ।बच्चा भी बहुत खुश था । दोनों ने आपस

मे बहुत प्यार और स्नेह के पल बिताये । जब रात घिरने लगी तो बच्चा इजाजत लेकर घर की ओर चलने लगा ।

वो बार बार पीछे मुड़कर देखता तो पाता कि बुजुर्ग उसी की ओर देख रहा था ।

बच्चा घर पहुँचा तो माँ ने अपने बेटे को आया देख जोर से गले लगा लिया और चूमने लगी बच्चा बहुत खुश था ।

माँ ने पहली बार अपने बच्चे को इतना खुश देखा तो खुशी का कारण पूछा ।तो बच्चे ने बताया कि ।

माँ आज मैने परमात्मा के साथ बैठ कर रोटी खाई आप को पता है उन्होंने ने भी रोटी खाई । माँ परमात्मा बहुत बूढ़े हो गए हैं । मैं आज बहुत खुश हूँ माँ ।

उधर बूढ़ा आदमी भी जब अपने गाँव पहुँचा तो गाँव वालों ने देखा बूढ़ा बहुत खुश है तो किसी ने उनके इतना खुश होने का कारण पूछा ।

बूढ़ा बोला मैं नदी के तट पर अकेला भूखा बैठा था मुझे पता था परमात्मा आएँगे और मुझे खाना खिलाएगे ।

आज भगवान आए थे उन्होंने ने मेरे साथ बैठ कर रोटी खाई मुझे भी खिलाई । बहुत प्यार से मेरी तरफ देखा । जाते समय मुझे गले भी लगाया । रवि रिझवानी...

परमात्मा बहुत ही मासुम बच्चे की तरह दिखते हैं ।

✔एक सीख

इस कहानी का अर्थ बहुत गहराई वाला है ।असल में बात सिर्फ इतनी है कि दोनों के दिलों में परमात्मा के लिए प्यार बहुत सच्चा है और परमात्मा ने दोनों के लिए दोनों ने ही (परमात्मा) खुद को भेज दिया ।

दोस्तों जब मन परमात्मा भक्ति में रम जाता है तो हमें हरेक में वो ही नजर आने लगता है ।




#जरूर_पढें - #जीवन_के_लिए_खर्च

- पत्नी ने कहा - आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…

पति- क्यों??

उसने कहा..- अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी…

पति- क्यों??

पत्नी- गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…

पति- ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…

पत्नी- और हाँ!!! गणपति के लिए पाँच सौ रूपए दे दूँ उसे? त्यौहार का बोनस..

पति- क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…

पत्नी- अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी-नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा… और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!! रवि रिझवानी 😊

पति- तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो…

पत्नी- अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ… खामख्वाहपाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…

पति- वा, वा… क्या कहने!! हमारे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में??

तीन दिन बाद… पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा...

पति- क्या बाई?, कैसी रही छुट्टी?

बाई- बहुत बढ़िया हुई साहब… दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना.. त्यौहार का बोनस..

पति- तो जा आई बेटी के यहाँ…मिल ली अपने नाती से…?

बाई- हाँ साब… मजा आया, दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए…रवि रिझवानी 😊

पति- अच्छा!! मतलब क्या किया 500 रूपए का??

बाई- नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट, 40 रूपए की गुड़िया, बेटी को 50 रूपए के पेढे लिए, 50 रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रूपए किराए के लग गए.. 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और जमाई के लिए 50 रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा… बचे हुए 75 रूपए नाती को दे दिए कॉपी-पेन्सिल खरीदने के लिए… झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर रटा हुआ था…

पति- 500 रूपए में इतना कुछ???

वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा...उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा… अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा… पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का, तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का, पाँचवाँ गुड़िया का, छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी-पेन्सिल का..आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है…

लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू दिखा दी थी… पिज्जा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे…रवि रिझवानी 😊

“जीवन के लिए खर्च” या

“खर्च के लिए जीवन” का

नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ गया….





💃 किसी क्षण केवल

जी कर देखो।


केवल जिओ,

जीवन से लड़ो मत।


छीना - झपटी मत करो।


चुप होकर देखो,

क्या होता है।


जो होता है,

उसे होने दो।


जो है उसे होने दो।


अपनी तरफ से

सब तनाव छोड़ दो।


और जीवन को

बहने दो।


जीवन को

घटित होने दो।


और जो घटित होगा,


में विश्वास दिलाता हूँ,


वह मुक्त कर देगा........❤#दीपावली_पर_क्यूँ_ना_आये_पापा_अबकी_बार


एक आठ साल का बेटा जिसके पिता शहीद हो जाते हैं वो ये नहीं जानता कि उसके पिता अब कभी लौटकर नहीं आयेंगे। अपनी माँ से पिता के ना आने के बारे में प्रश्न करता है पर माँ कोई जवाब नहीं देती है। बेटा माँ से क्या क्या कहता है और माँ किस प्रकार आँगन में मौनस्तब्ध बैठी है----------

चारो तरफ उजाला पर अँधेरी रात थी।

जब वो हुआ शहीद उन दिनों की बात थी।

आँगन में बैठा बेटा पूछे माँ से बार बार।

दीपावली पर क्यूं ना आये पापा अबकी बार।।


बेटा ये नहीं जानता कि उसके पापा कभी लौटकर नहीं आयेंगे। दो तीन दिनों से अपनी माँ की स्थिति को देख रहा होता है और अपनी माँ से क्या प्रश्न करता है। देखिये------ रवि रिझवानी 😊

माँ क्यूँ ना तूने आज बिंदिया लगायी है।

है दोनों हाथ खाली ना मेहंदी रचायी है।।

बिछिया भी नहीं पाँव में बिखरे से बाल हैं।

लगती थी कितनी प्यारी ये कैसा हाल है।

कुमकुम के बिना सूना सा लगता है श्रृंगार।

दीपावली पर क्यूँ ना आये पापा अबकी बार।। रवि रिझवानी 😊


बेटा थोड़ी देर के लिए बाहर खेलने जाता है। बच्चों के पापा द्वारा लाये हुए खिलौनों को देखता है और वापस घर आकर अपनी माँ से क्या प्रश्न करता है। देखिये-------

किसी के पापा उसको नये कपडे लाये हैं।

मिठाइयां और साथ में पटाखे भी लाये हैं।

वो भी तो नये जूते पहन खेलने आया।

पापा पापा कहकर सबने मुझको चिढ़ाया।

अब तो बता दो क्यूँ है सूने घर आँगन द्वार।।

दीपावली पर क्यूँ ना आये पापा अबकी बार।। रवि रिझवानी 😊


बेटा लगातार अपनी माँ से प्रश्न करता है पर उसकी माँ कुछ भी जवाब नहीं देती है। तो वो अपनी माँ से रूठ जाता है, खींझ जाता है। माँ के दोनों हाथ पकड़कर खींचता है, माँ का ध्यान अपनी और आकर्षित करता है और अपनी माँ से क्या कहता है--------

दो दिन हुए है तूने कहानी ना सुनायी।

हर बार की तरह ना तूने खीर बनायी।

आने दो पापा से मैं सारी बात कहूँगा।

तुमसे ना बोलूँगा ना तुम्हारी बात सुनूंगा।।

ऐसा क्या हुआ है जो बताने से है इंकार।

दीपावली पर क्यूँ ना आये पापा अबकी बार।।

और विडम्बना देखिये---------

पूछ ही रहा था वो बेटा जिस पिता के लिए।

जुड़ने लगी थी लकड़ियां उसकी चिता के लिए।।

पूछते पूछते आखिर वो हो गया निराश।

जिस वक्त आँगन में आयी पिता की लाश।।


बेटा थोड़ी देर अपने पापा की लाश को देखता है फिर माँ को देखता है और अपनी माँ को क्या प्रत्युत्तर देता है। आपकी आँख छलक आयेगी। देखिये------

मत हो माँ उदास मुझे जवाब मिल गया।

मकसद मिला जीने का ख्वाब मिल गया।।

पापा का जो काम रह गया है अधूरा।

लड़कर देश के लिए मै करूंगा पूरा।।

आशीर्वाद देना माँ मुकाम पूरा हो इस बार।

दीपावली पर क्यूँ ना आये पापा अबकी बार।

जय हिन्द जय भारत।







बलात्कार की शिकार एक लड़की अपने माँ से कुछ कह रही है,, माँ मुझे छुपा लो बहुत डर लगता है,,, माँ तुझे याद है तेरे आँगन में चिड़िया सी फुदक रही थी.....

ठोकर खा केमै जमीन पर गिर रही थी,,, दो बूँद खून की देख के माँ तूभी रो पड़ती थी.....रवि रिझवानी....

माँ तूने तो मुझे फूलों की तरह पाला था,,, उन दरिंदों का आखिर मैंने क्या बिगाड़ा था .....

क्यूँ वो मुझे इस तरह मसल कर चले गए ,,, बेदर्द मेरी रूह को कुचल कर चले गए.....रवि रिझवानी....

माँ तू तो कहती थी कि अपनी गुडिया को मै दुल्हन बनाएगी,,, मेरे इस जीवन को खुशियों से सजाएगी .....

माँ क्या वो दिन जिन्दगी कभी ना लाएगी,,, माँ क्या तेरे घर अब बारात न आएगी.....

माँ खोया है जो मैंने क्या फिर से कभी न पाऊँगी,,, माँ सांस तो ले रही हूँ क्या जिन्दगी जी पाऊँगी .....

माँ घूरते हैं सब अलग ही नज़रों से,,, माँ मुझे उन नज़रों से छुपा ले,,, माँ बहुत डर लगता है मुझे अपने आँचल में छुपा ले .....रवि रिझवानी....


मित्रो क्या लड़की होना अभिशाप हो गया आज ???.. क्या बलात्कारी ये भी नहीं सोचते की उनके घर में भी बहिने है ???.












(( एक अजीब सी ख्वाहिश ))


एक तेजाब से झुलसी लड़की जब हस्पताल से छुट्टी होकर निकली तो हस्पताल के बाहर प्रेस रिपोर्टरो ने घेर कर सवालों का बछौर कर दिया...रवि रिझवानी.....


रिपोर्टर---सुना है आपने पुलिस को कोई केस नहीं कीया ??

लड़की---जी सही सुना है..

रिपोर्टर--- मगर क्यों?? क्या आप उस दरिन्दे को नहीं पहचानती?? क्या आप नहीं चाहती की उसको उसके कीये की सजा मिले??..

लड़की---- हर सवालों का जवाब दिया जाए ऐसा भी जरूरी नहीं है !! मैं केश भी करती तो क्या होता?? उस लड़के से ज्यादा मुझसे ही ज्यादा सवाल पूछा जाता !! मेरी इलाज मे मेरे पापा मम्मी ने पानी की तरह पैसा बहाकर मेरी जान बचाई है !! आप सबको तो पता ही है की इंसाफ मिलते मिलते गरीब और भी गरीब हो जाता है !! उसे सजा भी हो जाती तो क्या होती ।7 साल 10 साल या उम्र कैद?? क्या उसकी सजा से मेरी चेहरे की सुन्दरता लौट आती ??

रिपोर्टर---- कहीं खुदखुशी करने का इरादा तो नहीं??..

लड़की---- (मुस्कुराकर) ये तो मेरा सौभाग्य है की मुझे एक अच्छी मां और एक अच्छे पापा मिले जो ये जानते हुए भी की कोख में बेटी है फिर भी मुझे पैदा करने की हौसला दिखाया !! ये जानते हुए भी लड़की का पैदा होना कितनी मुश्किल है दुनिया मे, कदम कदम पे मुश्किलें !! एक मुश्किल से तो मैं गुजर कर आपके सामने ही हूँ !! मैं भले अब खूबसूरत नहीं मगर कोई दिल से मुझे अपनाने वाला मिला तो मैं एक अच्छी माँ तो जरूर ही बन सकती हूँ ना !! रवि रिझवानी.....

रिपोर्टर---- अब आपकी ख्वाहिश क्या है ??

लड़की ---- इस जन्म मे अब कोई ख्वाहिश नहीं रही !! हाँ अगले जन्म के लिए एक दुआ एक जिद और एक ख्वाहिश जरूर की है मैंने !!

रिपोर्टर---- कैसी ख्वाहिश ??

लड़की ---- (सर झूकाकर रोते हुए ) अगर ईश्वर ने अगले जन्म मे भी मुझे इंसान बनाकर धरती पे भेजा तो मै ईश्वर से कहूँगी की !! मेरी ख्वाहिश फिर से बेटी बनकर पैदा होने की है...मगर मेरा बाप वही इंसान बने ..जिसने मेरे चेहरे को तेजाब से जलाया था !! ताकि फिर कोई दरिन्दा मुझे तेजाब से मेरे चेहरे को जलाऐ..ताकि उसे भी ये एहसास और दर्द हो की...एक तेजाब से जले बेटी के माँ बाप को कितनी तकलीफ होती है..








नारी का सम्मान करो , मत उसका अपमान करो ,,, नारी है अपराजिता सदा इस बात का ध्यान करो....

शक्ति स्वरूपा नारी को अबला समझने की चेष्टा नहीं करो.....

कष्ट सहन करने में माँ के रूप में,, सेवा के समय पत्नी के रूप में और पापियों के विनाश के लिए काली का रूप धारण करने वाली शक्ति स्वरूपा नारी अबला नहीं अपितु अपराजिता है..







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