प्यार से लबालब प्यार भरी शायरी
इश्क़ मुझको अगर दोबारा हो
कैसे तुमसे भला किनारा हो
तुम मोहब्बत का इस्तियारा हो
तुम से होगा यह मेरा वादा है
इश्क़ मुझको अगर दोबारा हो
काश के मैं तेरे हसीं हाथ का कंगन होता
काश के मैं तेरे हसीं हाथ का कंगन होता
तू बड़े चाव से मन से बड़े अरमान के साथ
अपनी नाज़ुक की कलाई में चढ़ाती मुझको
और बेतावी से फुरसत के खजां लम्हो में
तू किसी सोच में डूबी घुमाती मुझको
मैं तेरे हाथ की खुश्बू से महक सा जाता
तू कभी मूड में आके मुझको चूमा करती
तेरे होंठों की मैं हिदत से देहक सा जाता
रात को जब तू निदों के सफर में जाती
मरमरी हाथ का एक तकिया बनाया करती
मैं तेरे कान से लग कर कई बातें करता
तेरी ज़ुल्फो को तेरे गाल को छेड़ा करता
कुछ नहीं तो यही बेनाम सा बंधन होता
काश के मैं तेरे हसीं हाथ का कंगन होता
अपने लब्बों से मेरा
मैं तेरे लब पे छा जाऊंगा मुस्कुराहट की तरह
अपने लब्बों से मेरा नाम बुला कर तो देख
उनसे नज़र मिली
सरे राह जो उनसे नज़र मिली
तो नक्श दिल के उभर गए
हम नज़र मिला कर झिजग गए
वो नज़र झुका कर चले गए
खुदा से माँग लूँ तुझे
ग़र लिखूँ कभी कहानी ज़िन्दगी की
तेरे ज़िक्र से शुरू करूँ तेरे नाम पे तमाम कर दूँ
क्या करूँ बहुत खुददार सा आशिक़ हूँ तेरा
वरना खुदा से माँग लूँ तुझे और अपने नाम कर लूँ
बस एक जान है
कितना प्यार है उनसे काश वो ये जान लें
वो ही है ज़िंदगी मेरी ये बात मान लें
उनको देने को नहीं कुछ पास हमारे
बस एक जान है हमारी जब चाहे मांग लें
इश्क़ की कीमत
मौत के पास जा कर भी देखा है
मैंने दिल लगा कर भी देखा है
चाँद को लोग दूर से देखते है
मैंने चाँद को पास बुला कर भी देखा है
इश्क़ की कीमत पूछ लो मुझ से
मैंने घर तक लुटा कर भी देखा है
प्यार तो भीख में भी मिल जाता है
मैंने तो दामन को भी फैला कर देखा है
एक शख्स है जो भूलता नहीं मुझसे
मैंने तो सारी दुनिया को भुला कर भी देखा है
ऐतबार
किसी को प्यार इतना देना की हद न रहे
पर ऐतबार भी इतना रखना की शक न रहे
वफ़ा इतनी करना की बेवफाई न हो
और दुआ बस इतनी करना की जुदाई न हो
तेरे क़दमों में
तुम न जाओ कहीं
बस एक नज़र देख लेने की इजाज़त दे दो
कुछ वक़्त गुज़ार लू तेरे क़दमों में
इक ज़िन्दगी जीने की इजाज़त दे दो
तुम्हारा साथ
जी चाहता है तुम से प्यारी सी बात हो
हसीं चाँद तारे हो , लम्बी सी रात हो
एहसास हो , बात हो और तुम्हारा साथ हो
यही सिलसिला तमाम रात हो , तुम्हारा साथ हो
तुम मेरी ज़िन्दगी हो , तुम मेरी कायनात हो .
आपकी तस्वीर
दिल टूटा तो एक आवाज़ आई
चीर कर देखा तो एक चीज़ निकल आई
सोचा क्या होगा इस खाली दिल में ,
लहू से धोकर देखा तो आपकी तस्वीर नज़र आई
उन के मिल जाने का नशा
हिजर की प्यास में क़तरा भी बुहत होता है
दीद के वास्ते एक लम्हा भी बुहत होता है
जिन के मिलने की नहीं दूर तक कोई उम्मीद
उन के खो जाने का हादसा भी बुहत होता है
जिन के खो जाने पे खो जाती हैं सब होश -ओ -हवास
उन के मिल जाने का नशा भी बुहत होता है
अब कोई और तलब दिल में नहीं है “वासी”
अब तेरी याद का साया भी बुहत होता है
जान -ऐ-मन
कौन कहता है शरारत से तुम्हें देखते हैं
जान -ऐ-मन हम तो मोहब्बत से तुम्हें देखते है
एक पल
कोई पल हो तेरे साथ का मेरी उम्र भर को समेट ले
मैं फ़ना बकाक सारे सफर उसी एक पल में गुज़ार दूँ
तुम्हारे ही ख्यालो में
जब खामोश आँखों से बात होती है
ऐसे ही मोहब्बत की सुरुआत होती है
तुम्हारे ही ख्यालो में खोए रहते हैं
पता नहीं कब दिन कब रात होती है
अपनी धडकनें भी रोक ली
कहा सिर्फ उस ने इतना के ख़ामोशी है मुझे बहुत पसंद
इतना सुनना था के हम ने अपनी धडकनें भी रोक ली
दिल जब भी तुम्हारा धड़का है
तुम लाख छुपाओ सीने में एहसास हमारी चाहत का
दिल जब भी तुम्हारा धड़का है आवाज़ यहाँ तक आई है
अंजाम -ऐ -मोहब्बत
मिलते ही नज़र तुमसे हम हो गए दीवाने
आगाज़ तो अच्छा है अंजाम खुदा जाने
अंजाम -ऐ -मोहब्बत से तू अभी हो बेगाने
शोलो से उलझते हो अनजाने हो अनजाने
नशा सैकड़ों पैमानों का
फूल जुल्फो में चुने मांग भरी तारो से
रंग मिलता है दहकते हुए अंगारो से
मस्त आँखों से गुमान होता है महखानो का
हर नज़र में है नशा सैकड़ों पैमानों का
याद हर वक़्त आती है
लहर आती है किनारे से पलट जाती है ,
याद आती है दिल में समां जाती है ,
लहर और याद में फर्क सिर्फ इतना है ,
लहर बेवक़्त आती है और याद हर वक़्त आती है ?
दिल की आवाज़
दिल की आवाज़ को इज़हार कहते हैं ,
झुकी निगाह को इक़रार कहते हैं ,
सिर्फ पाने का नाम इश्क़ नहीं ,
कुछ खोने को भी प्यार कहते हैं
कौन हो आप
आज इस क़दर राह में इश्क़ बिखरा पड़ा है ,
आज हर खुशबू फीकी , और गुमनाम हर दुआ है ,
इस अनजान दुनिया में आप कहाँ से आ गए
कौन हो आप , जिसने मोहब्बत से मुझे चुना है
ऐ खत
ऐ खत जा उनके हाथों को चूम ले .
वो पढ़े तो उनके होठो को चूम ले .
खुदा न करे वो फाड़ भी डालें ,
तो गिरते गिरते उनके कदमो को चूम ले
तुम्हारी चाहत के तलबगार
हम भी मोहब्बत करके गुनेहगार हो गए
पहले फूल थे अब खाक हो गए ,
जब से देखा है तुम्हारे हसीन चेहरे को ,
हम भी तुम्हारी चाहत के तलबगार हो गए .
]
लोग समझते हैं हमने उनको भुला रखा है ,
वो क्या जाने की दिल में छुपा रखा है ,
देखे न कोई उसे मेरी आँखों में ,
इसलिए पलकों को हम ने झुका रखा है .
लोग कहते है की जिस से हम ने मोहबत की है
वो चाँद का टुकड़ा है
हम कहते है की जिस से हम ने मोहबत की है
चाँद उस का एक टुकड़ा है
हर फूल का भी अजब लिबास है
चुप रहना भी प्यार का एक एहसास है
ज़ख़्म कोई है नहीं फिर क्यों दर्द का एहसास है
लगता है के दिल का कोई टुकड़ा आप के पास है ..
होती नहीं मुहबत सूरत से
मुहबत तो दिल से होती है
सूरत उनकी खुद ही प्यारी लगती है
क़दर जिन की दिल से होती है
इश्क़ ऐसा करो की धरकन में बस जाये
सांस भी लो तो खुशबू उसी की आऐ .
प्यार का नशा आँखों पह च जाये
बात कुछ भी न हो पर नाम उसी का आऐ…
फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम ,
प्यार में झलकता जाम हो तुम ,
सीने में छुपाये फिरते हैं हम यादें तुम्हारी ,
इसलिए मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम ….
काश कोई हम पर भी इतना प्यार जताती ,
पीछे से आकर वो हमारी आँखों को छुपाती ,
हम पूछते की कौन हो तुम …??
और वो हँस कर खुद को हमारी जान बताती ….
इश्क़ का इज़हार
हमने तो इश्क़ का इज़हार नहीं किया
इस दिल को इतना बेक़रार नहीं किया ,
बस आँखों मैं तेरे सपने सजाये रखे
कभी अपने होंठों से इज़हार नहीं किया
तुम से मुमकिन हो तो रोक दो साँसे मेरी ,
दिल जो धड़केगा तो याद तो तुम आओगे ही …
खत पढ़कर हमारा
कहना ही पड़ा उसे यह खत पढ़कर हमारा …
कमबख्त की हर बात मोहब्बत से भरी है ….
खफा ही करदे मगर बात तो कर
मुझे तकलीफ देता है तेरा यह खामोश रहना
मेरे जीने के लिए फ़क़त इतना है काफी ….
हवा जो तुझको छूती है मैं उसमे सांस लेता हूँ ….
सलीखा हो अगर दर्द को महसूस करने का
तो किसी की ख़ामोशी भी अक्सर बात करती है
नहीं छोड़ सकते हम दूसरों के हाथ में तुम को
वापिस लौट आओ न के हम अभी तक तुम्हारे हैं
No comments:
Post a Comment