Wednesday, 1 November 2017

तिरुपति बालाजी मंदिर के ११ सच।

तिरुपति बालाजी मंदिर के ११ सच।

१. मुख्यद्वार के दाएँ और बालाजी के सिर पर अनंताळवारजी के द्वारा मारे गये निशान हैं बालरूप में बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था, उसी समय से बालाजी के ठोड़ी पर चंदन लगाने की प्रथा शुरू हुई।

२. भगवान बालाजी के सिर पर आज भी रेशमी बाल हैं और उनमें उलझने नहीं आती और वह हमेशा ताजा लगते है।

३. मंदिर से २३ किलोमीटर दूर एक गाँव है, उस गाँव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध है। वहाँ पर लोग नियम से रहते हैं। वहाँ की महिलाएँ ब्लाउज नहीं पहनती। वहीँ से लाए गये फूल भगवान को चढाए जाते है और वहीँ की ही वस्तुओं को चढाया जाता है जैसे- दूध, घी, माखन आदि।

४. भगवान बालाजी गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े दिखते है मगर वे दाई तरफ के कोने में खड़े हैं बाहर से देखने पर ऎसा लगता है।

५. बालाजी को प्रतिदिन नीचे धोती और उपर साड़ी से सजाया जाता है।

६. गृभगृह में चढाई गई किसी वस्तु को बाहर नहीं लाया जाता, बालाजी के पीछे एक जलकुंड है उन्हें वही पीछे देखे बिना उनका विसर्जन किया जाता है।

७. बालाजी की पीठ को जितनी बार भी साफ करो, वहाँ गीलापन रहता ही है, वहाँ पर कान लगाने पर समुद्र घोष सुनाई देता है।

८. बालाजी के वक्षस्थल पर लक्ष्मीजी निवास करती हैं। हर गुरूवार को निजरूप दर्शन के समय भगवान बालाजी की चंदन से सजावट की जाती है उस चंदन को निकालने पर लक्ष्मीजी की छवी उस पर उतर आती है। बाद में उसे बेचा जाता है।

९. बालाजी के जलकुंड में विसर्जित वस्तुए तिरूपति से २० किलोमीटर दूर वेरपेडु में बाहर आती हैं।

१०. गर्भगृह मे जलने वाले चिराग कभी बुझते नही हैं, वे कितने ही हजार सालों से जल रहे हैं किसी को पता भी नही है।

११. बताया जाता है सन् १८०० में मंदिर परिसर को १२ साल के लिए बंद किया गया था। किसी एक राजा ने १२ लोगों को गलती करने पर उन्हें मारकर दीवार पर लटकाया था उस समय विमान वेंकटेश्वर प्रकट हुए, ऎसा कहा जाता है।

तिरुपति बालाजी के प्रातः दर्शन का आनंद लें।


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