Saturday, 18 November 2017

निकाह के नाम पर घिनौना खेल


निकाह के नाम पर घिनौना खेल
अरब देशों के शेख अपनी जिस्मानी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए काफी वक्त से भारत के कई शहरों में आते रहे हैं और इस धंधे का नाम निकाह देते हैं. यह सारा काम मजहब के नाम पर होता है.




 शादी एक पवित्र बंधन माना जाता है, लेकिन कोई धर्म का सहारा ले कर शादी को ऐयाशियों के नाम पर सही ठहराए, ऐसा हरगिज मुनासिब नहीं. अरब देशों के शेख अपनी जिस्मानी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए काफी वक्त से भारत के कई शहरों में आते रहे हैं और इस धंधे का नाम निकाह देते हैं. यह सारा काम मजहब के नाम पर होता है.

निजामों के शहर हैदराबाद में पिछले कई सालों से इस तरह के घिनौने काम को अंजाम दिया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि इन अमीर शेखों के लिए उन के मुल्कों में लड़कियों की कोई कमी है, बल्कि ये सिर्फ इसलिए यहां आ कर गलत तरीके से निकाह करते हैं, ताकि इन मासूम लड़कियों को अरब मुल्कों में ले जा कर ऐयाशी की जाए.

ये शेख कतर, ओमान, बहरीन जैसे अमीर मुल्कों से आते हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये शेख यहां आ कर बाकायदा निकाह करते हैं, लेकिन यह निकाह समाज की आंखों में धूल झोंकने के लिए किया जाता है.



इस से यह फायदा होता है कि समाज में कहा जा सके कि हम ने कानूनन निकाह किया है, लेकिन ऐसे निकाह सिर्फ छलावा हैं. बात यह है कि जो निकाह काजी करवाता है, वह महज एक कौंट्रैक्ट होता है.

कौंट्रैक्ट मैरिज क्या है

इस कौंट्रैक्ट में लड़की के मांबाप को इस बात पर राजी किया जाता है कि यह शादी समाज को दिखाने के लिए शादी है, जबकि हकीकत यह है कि आप की लड़की को एक मुद्दत तक ही शेख के यहां रहना होगा.

अगर इसलाम की बात की जाए, तो इस तरह के निकाह की इसलाम में कोई जगह नहीं है, बल्कि इसलाम में कौंट्रैक्ट कर के निकाह करना साफ हराम करार दिया गया है.

इस सब के बावजूद हैदराबाद के कई काजी इस घिनौने काम को अंजाम दे रहे हैं. धर्म के ये ठेकेदार लड़की के घर वालों से यह कह कर निकाह के लिए राजी करते हैं कि इसलाम एकसाथ 4 शादियों का हुक्म देता है, इसलिए ऐसा करना शरीअत के खिलाफ नहीं है.

मोटी रकम का लालच

आज भी मुसलिम समाज में पढ़ाईलिखाई का लैवल दूसरे धर्मों के लोगों से काफी नीचे है. यही वजह है कि इस समाज में आज भी गरीबी, अपढ़ता, बेरोजगारी, नासमझी, आधुनिक सोच की कमी जैसी तमाम बुराइयां फैली हुई हैं.

कुछ गरीब परिवारों में कईकई लड़कियां होती हैं और उन की तंगहाली की वजह से पढ़ाईलिखाई का कोई खास इंतजाम नहीं हो पाता. इन लड़कियों को जैसेतैसे पाला जाता है. जब ये 16 साल की उम्र की हो जाती हैं, तो इन की शादी का डर सताने लगता है.

चूंकि घर में कमाई का कोई जरीया नहीं होता, तो न चाहते हुए भी कुछ मांबाप अपनी मासूम बच्चियों को इस दलदल में धकेल देते हैं, जिन्हें अमीर शेख वहशी भेडि़यों की तरह नोचतेखसोटते रहते हैं. इस के एवज में लड़की के घर वालों को 5 लाख से 10 लाख रुपए तक दिए जाते हैं.

यह रकम लड़की की उम्र, शक्ल व सूरत के हिसाब से तय की जाती है. अगर लड़की कमसिन होने के साथ ही बला की खूबसूरत होती है, तो शेख उस लड़की के लिए मुंहमांगी रकम देने को भी राजी हो जाते हैं.

दलाल कराते हैं निकाह

इस काम को कराने में लोकल लैवल पर कुछ दलालों के साथ ही निकाह पढ़ाने वाले काजी भी शामिल होते हैं. इस पूरे खेल में दलाल और काजी ही ज्यादा फायदे में रहते हैं, क्योंकि वे ही शेख और लड़की के घर वालों के बीच बातचीत तय कराते हैं.

दलाल और काजी शेखों से लड़की की कीमत कई गुना ज्यादा बताते हैं, लेकिन लड़की के बाप को 5 लाख से 10 लाख रुपए के बीच बता कर खुद ही ज्यादा रुपए ऐंठ लेते हैं.

इन सब के लिए लोकल काजी परिवार के मुखिया को एक कागज पर शेख का फर्जी तलाकनामा भी दिखाता है, जिस से इस बात का सुबूत मिल जाए कि निकाह करने वाले शेख का पहली बीवी से तलाक हो चुका है, इसलिए आप की लड़की को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी. इन सब बातों के असर से शेख के साथ लड़की का निकाह कर दिया जाता है.

दिखाए जाते हैं सब्जबाग

दलाल ही गरीब लोगों को लड़की का शेख के साथ निकाह कराने पर राजी करने के लिए बड़ेबड़े सब्जबाग दिखाते हैं. जैसे कि इस बुरे वक्त में एक लड़की की शादी के लिए लाखों रुपए का खर्च आता है और आप लोगों की माली हालत इस लायक नहीं है कि आप अपनी बच्ची की शादी धूमधाम से कर सकें. अगर आप कहें, तो हम आप की बेटी के लिए एक अच्छा सा रिश्ता ला सकते हैं.

एक गरीब मांबाप के लिए इस से अच्छा और क्या हो सकता है. आज के इस दौर में लड़के वाले दहेज की मांग करते ही हैं.

आमतौर पर समाज में देखा जाता है कि कई शादियां दहेज न देने की वजह से टूट जाती हैं, तो कभी लड़के वालों की महंगी गाडि़यों की फरमाइश पर रिश्ता खत्म कर दिया जाता है.

दहेज मांगने की बुराई किसी बड़ी लाइलाज बीमारी से कम नहीं है. ताज्जुब की बात यह है कि इस बीमारी से सिर्फ गरीब तबके के लोग ही पीडि़त नहीं हैं, बल्कि समाज के उन ऊंची इमारतों तक इस बीमारी ने अपने पैर पसार लिए हैं.

किया जाता है शोषण

ऐसी लड़कियों का शोषण खाड़ी देशों में ले जा कर किया जाता है. शुरूशुरू में तो इन लड़कियों को रहनेखाने से ले कर हर तरह का अच्छा इंतजाम किया जाता है, लेकिन बाद में इन मासूमों का इस कदर शोषण होता है कि इन की रूह तक कांप जाती है. ये इस दलदल में इतने अंदर तक चली जाती हैं या यों कहें कि धकेल दी जाती हैं, जहां से वापस आना नामुमकिन होता है.

खाड़ी मुल्कों से आने वाले शेखों की उम्र और इन लड़कियों की उम्र में बापबेटी से कहीं ज्यादा, दादापोती का फासला होता है.

अभी हाल ही में ओमान का जो शेख इस घिनौनी हरकत में पकड़ा गया, उस की उम्र 70 साल थी और उस की होने वाली बीवी की उम्र महज 16 थी. अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसी लड़कियों पर किस कदर जुल्म व ज्यादती की जाती होगी.

क्या सिर्फ शेखों की गलती

ताली कभी भी एक हाथ से नहीं बजती, इस के लिए दोनों हाथों की हथेलियों का आपस में मिलना जरूरी होता है. इस तरह के मामलों में पूरी तरह से शेखों की गलती नहीं होती, बल्कि इस गैरकानूनी काम में लड़की के मांबाप भी जिम्मेदार होते हैं.

कोई शेख खाड़ी देशों से यहां आ कर किसी लड़की से जोरजबरदस्ती निकाह कर के नहीं ले जाता, बल्कि इस जुर्म में लड़कियों के परिवार भी बराबर के भागीदार होते हैं.


इस तरह का गैरकानूनी काम हैदराबाद में कई सालों से होता आ रहा है. कुछ तो गरीबी और मुफलिसी में मजबूर हो कर ऐसे काम करते हैं, तो कुछ लोगों ने इसे कमाई का अच्छा जरीया बना लिया है, इसलिए मासूमों के गुनाहों में शेखों के साथसाथ लड़की के परिवार वाले भी बराबर के भागीदार हैं, लेकिन ऐसे घटिया कामों को किसी भी तरीके से सही नहीं ठहराया जा सकता.

वहीं समाज के कुछ लोगों की नजरों में यह कोई गुनाह का काम नहीं है. ऐसे लोगों का यही मानना है कि जब समाज में अशिक्षा, बेरोजगारी, कुप्रथा जैसी अनेक सामाजिक बुराइयां मौजूद हैं और सब से ज्यादा दहेज के लालची शादी के लिए अपने लड़कों की खुली बोली लगाते हैं, जैसे किसी चीज की नीलामी चल रही हो. इस नीलामी में वही बाजी मारता है, जो सब से ऊंची बोली लगाता है. ऐसे में इस तरह से निकाह करने में क्या हर्ज है?

फर्जी निकाह का खुलासा

खाड़ी देशों से आने वाले शेखों ने एक लंबे अरसे से इसे धंधा बना रखा था. इनसान अपने किए गए गुनाहों से बचने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाता है. वह खुद को सब से अक्लमंद और चालाक समझ बैठता है, लेकिन यहीं पर वह गलती कर जाता है. कौंट्रैक्ट मैरिज में दलाल, काजी के साथसाथ कई लौज मालिक भी ऐसे गुनाह में शामिल थे.

इस तरह के निकाह खुलेआम तो हो नहीं सकते, इसलिए शहर के कुछ खास लौज और होटल मालिक इन कामों में शामिल हो गए.

इन फर्जी निकाहों का खुलासा तब हुआ, जब हैदराबाद के फलकनुमा इलाके की एक औरत ने शिकायत दर्ज कराई. उस ने बताया कि उस के शौहर ने कुछ दलालों से मिल कर उस की 16 साल की नाबालिग लड़की का सौदा ओमान के 70 साल के बूढ़े शेख अहमद अब्दुल्ला से कर दिया है.



मां ने पुलिस को यह भी बताया कि उस की बेटी का ओमान में जिस्मानी शोषण किया जा रहा है, इसलिए मेरी मासूम बच्ची को बचा लें. इस के बाद पुलिस हरकत में आई और खाड़ी देशों के 8 शेखों समेत 20 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इस में 5 शेख ओमान के और 3 शेख कतर के थे.

गिरफ्तार किए गए लोगों में फर्जी निकाह कराने वाले 3 काजी, शेखों को पनाह देने वाले 4 लौज मालिक और कौंट्रैक्ट मैरिज के लिए गरीब परिवारों को फंसाने वाले 5 दलाल भी शामिल थे.

हैदराबाद पुलिस आयुक्त महेंद्र रेड्डी ने मीडिया को बताया कि इस रैकेट में कुल 35 लोगों की पहचान की गई. इस रैकेट में 15 औरतें भी शामिल थीं.

खाड़ी देशों से आ कर दलालों के जरीए गरीब परिवारों की नाबालिग लड़कियों को कौंट्रैक्ट मैरिज के नाम पर उन के देश ले जा कर जिस्मानी शोषण की शिकायतें काफी समय से मिल रही थीं.

अगर पुलिस समय पर ऐक्शन नहीं लेती, तो कुछ ही समय बाद ये दलाल 20 लड़कियों को खाड़ी मुल्कों में भेजने की तैयारी कर चुके थे.

भोपाल शहर के मौलाना उमैर खान नदवी से यह जानने की कोशिश की गई, ‘क्या इसलाम कौंट्रैक्ट मैरिज की इजाजत देता है?’ इस सवाल पर उन्होंने ऐसे निकाह को सिरे से खारिज कर दिया. उन का कहना था, ‘‘कौंट्रैक्ट मैरिज का जिक्र इसलाम में कहीं नहीं है और इसलाम इस बात की तालीम देता है कि आप निकाह इस नीयत के साथ करें कि हमें पूरी जिंदगी एकसाथ शौहरबीवी बन कर रहना है. यह बात दीगर है कि जिंदगी के किसी मोड़ पर अगर आप की नहीं बन पा रही, तो आप काजी के यहां जा कर तलाक ले सकते हैं.’’

इस बात से साफ जाहिर हो जाता है कि कौंट्रैक्ट मैरिज सिर्फ ऐयाशी करने का एक जरीया है, न कि पवित्र शादी का बंधन, इसलिए समाज में इस तरह की ज्यादती बरदाश्त नहीं की जा सकती.

बेहतर यही है कि आप अपनी लड़कियों को ऊंची तालीम दें, जिस से कि वे समाज में अपना एक अलग मुकाम बना सकें और इज्जत की जिंदगी जी सकें.

पूरे मुद्दे को गौर से देखेंगे, तो पाएंगे कि शेख गुनाहगार हैं, दलाल गुनाहगार हैं, लौज मालिक गुनाहगार हैं, लेकिन इन सब के साथ ही साथ उस लड़की के मांबाप और परिवार के समझदार सदस्य भी बराबर के गुनाहगार हैं, जो उन्हें इस दलदल में धकेलते हैं.

इस पूरे मामले में धर्म को ढाल बना कर गुमराह किया जाता रहा है, लेकिन यह धर्म का मामला नहीं, बल्कि समाज का मामला है और समाज में इस तरह के काम को किसी भी कीमत पर जायज नहीं ठहराया जा सकता.

ऐसे मामलों में धर्म के रहनुमाओं को आगे आ कर ढोंगियों को बेनकाब करना चाहिए और समाज के गरीब तबके की आबादी में जा कर ऐसे लोगों को जागरूक करना जरूरी है, जिस से कि भविष्य में उन्हें इस तरह की बुराई से बचाया जा सके.

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