Saturday, 18 November 2017

निकाह के नाम पर घिनौना खेल


निकाह के नाम पर घिनौना खेल
अरब देशों के शेख अपनी जिस्मानी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए काफी वक्त से भारत के कई शहरों में आते रहे हैं और इस धंधे का नाम निकाह देते हैं. यह सारा काम मजहब के नाम पर होता है.




 शादी एक पवित्र बंधन माना जाता है, लेकिन कोई धर्म का सहारा ले कर शादी को ऐयाशियों के नाम पर सही ठहराए, ऐसा हरगिज मुनासिब नहीं. अरब देशों के शेख अपनी जिस्मानी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए काफी वक्त से भारत के कई शहरों में आते रहे हैं और इस धंधे का नाम निकाह देते हैं. यह सारा काम मजहब के नाम पर होता है.

निजामों के शहर हैदराबाद में पिछले कई सालों से इस तरह के घिनौने काम को अंजाम दिया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि इन अमीर शेखों के लिए उन के मुल्कों में लड़कियों की कोई कमी है, बल्कि ये सिर्फ इसलिए यहां आ कर गलत तरीके से निकाह करते हैं, ताकि इन मासूम लड़कियों को अरब मुल्कों में ले जा कर ऐयाशी की जाए.

ये शेख कतर, ओमान, बहरीन जैसे अमीर मुल्कों से आते हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये शेख यहां आ कर बाकायदा निकाह करते हैं, लेकिन यह निकाह समाज की आंखों में धूल झोंकने के लिए किया जाता है.



इस से यह फायदा होता है कि समाज में कहा जा सके कि हम ने कानूनन निकाह किया है, लेकिन ऐसे निकाह सिर्फ छलावा हैं. बात यह है कि जो निकाह काजी करवाता है, वह महज एक कौंट्रैक्ट होता है.

कौंट्रैक्ट मैरिज क्या है

इस कौंट्रैक्ट में लड़की के मांबाप को इस बात पर राजी किया जाता है कि यह शादी समाज को दिखाने के लिए शादी है, जबकि हकीकत यह है कि आप की लड़की को एक मुद्दत तक ही शेख के यहां रहना होगा.

अगर इसलाम की बात की जाए, तो इस तरह के निकाह की इसलाम में कोई जगह नहीं है, बल्कि इसलाम में कौंट्रैक्ट कर के निकाह करना साफ हराम करार दिया गया है.

इस सब के बावजूद हैदराबाद के कई काजी इस घिनौने काम को अंजाम दे रहे हैं. धर्म के ये ठेकेदार लड़की के घर वालों से यह कह कर निकाह के लिए राजी करते हैं कि इसलाम एकसाथ 4 शादियों का हुक्म देता है, इसलिए ऐसा करना शरीअत के खिलाफ नहीं है.

मोटी रकम का लालच

आज भी मुसलिम समाज में पढ़ाईलिखाई का लैवल दूसरे धर्मों के लोगों से काफी नीचे है. यही वजह है कि इस समाज में आज भी गरीबी, अपढ़ता, बेरोजगारी, नासमझी, आधुनिक सोच की कमी जैसी तमाम बुराइयां फैली हुई हैं.

कुछ गरीब परिवारों में कईकई लड़कियां होती हैं और उन की तंगहाली की वजह से पढ़ाईलिखाई का कोई खास इंतजाम नहीं हो पाता. इन लड़कियों को जैसेतैसे पाला जाता है. जब ये 16 साल की उम्र की हो जाती हैं, तो इन की शादी का डर सताने लगता है.

चूंकि घर में कमाई का कोई जरीया नहीं होता, तो न चाहते हुए भी कुछ मांबाप अपनी मासूम बच्चियों को इस दलदल में धकेल देते हैं, जिन्हें अमीर शेख वहशी भेडि़यों की तरह नोचतेखसोटते रहते हैं. इस के एवज में लड़की के घर वालों को 5 लाख से 10 लाख रुपए तक दिए जाते हैं.

यह रकम लड़की की उम्र, शक्ल व सूरत के हिसाब से तय की जाती है. अगर लड़की कमसिन होने के साथ ही बला की खूबसूरत होती है, तो शेख उस लड़की के लिए मुंहमांगी रकम देने को भी राजी हो जाते हैं.

दलाल कराते हैं निकाह

इस काम को कराने में लोकल लैवल पर कुछ दलालों के साथ ही निकाह पढ़ाने वाले काजी भी शामिल होते हैं. इस पूरे खेल में दलाल और काजी ही ज्यादा फायदे में रहते हैं, क्योंकि वे ही शेख और लड़की के घर वालों के बीच बातचीत तय कराते हैं.

दलाल और काजी शेखों से लड़की की कीमत कई गुना ज्यादा बताते हैं, लेकिन लड़की के बाप को 5 लाख से 10 लाख रुपए के बीच बता कर खुद ही ज्यादा रुपए ऐंठ लेते हैं.

इन सब के लिए लोकल काजी परिवार के मुखिया को एक कागज पर शेख का फर्जी तलाकनामा भी दिखाता है, जिस से इस बात का सुबूत मिल जाए कि निकाह करने वाले शेख का पहली बीवी से तलाक हो चुका है, इसलिए आप की लड़की को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी. इन सब बातों के असर से शेख के साथ लड़की का निकाह कर दिया जाता है.

दिखाए जाते हैं सब्जबाग

दलाल ही गरीब लोगों को लड़की का शेख के साथ निकाह कराने पर राजी करने के लिए बड़ेबड़े सब्जबाग दिखाते हैं. जैसे कि इस बुरे वक्त में एक लड़की की शादी के लिए लाखों रुपए का खर्च आता है और आप लोगों की माली हालत इस लायक नहीं है कि आप अपनी बच्ची की शादी धूमधाम से कर सकें. अगर आप कहें, तो हम आप की बेटी के लिए एक अच्छा सा रिश्ता ला सकते हैं.

एक गरीब मांबाप के लिए इस से अच्छा और क्या हो सकता है. आज के इस दौर में लड़के वाले दहेज की मांग करते ही हैं.

आमतौर पर समाज में देखा जाता है कि कई शादियां दहेज न देने की वजह से टूट जाती हैं, तो कभी लड़के वालों की महंगी गाडि़यों की फरमाइश पर रिश्ता खत्म कर दिया जाता है.

दहेज मांगने की बुराई किसी बड़ी लाइलाज बीमारी से कम नहीं है. ताज्जुब की बात यह है कि इस बीमारी से सिर्फ गरीब तबके के लोग ही पीडि़त नहीं हैं, बल्कि समाज के उन ऊंची इमारतों तक इस बीमारी ने अपने पैर पसार लिए हैं.

किया जाता है शोषण

ऐसी लड़कियों का शोषण खाड़ी देशों में ले जा कर किया जाता है. शुरूशुरू में तो इन लड़कियों को रहनेखाने से ले कर हर तरह का अच्छा इंतजाम किया जाता है, लेकिन बाद में इन मासूमों का इस कदर शोषण होता है कि इन की रूह तक कांप जाती है. ये इस दलदल में इतने अंदर तक चली जाती हैं या यों कहें कि धकेल दी जाती हैं, जहां से वापस आना नामुमकिन होता है.

खाड़ी मुल्कों से आने वाले शेखों की उम्र और इन लड़कियों की उम्र में बापबेटी से कहीं ज्यादा, दादापोती का फासला होता है.

अभी हाल ही में ओमान का जो शेख इस घिनौनी हरकत में पकड़ा गया, उस की उम्र 70 साल थी और उस की होने वाली बीवी की उम्र महज 16 थी. अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसी लड़कियों पर किस कदर जुल्म व ज्यादती की जाती होगी.

क्या सिर्फ शेखों की गलती

ताली कभी भी एक हाथ से नहीं बजती, इस के लिए दोनों हाथों की हथेलियों का आपस में मिलना जरूरी होता है. इस तरह के मामलों में पूरी तरह से शेखों की गलती नहीं होती, बल्कि इस गैरकानूनी काम में लड़की के मांबाप भी जिम्मेदार होते हैं.

कोई शेख खाड़ी देशों से यहां आ कर किसी लड़की से जोरजबरदस्ती निकाह कर के नहीं ले जाता, बल्कि इस जुर्म में लड़कियों के परिवार भी बराबर के भागीदार होते हैं.


इस तरह का गैरकानूनी काम हैदराबाद में कई सालों से होता आ रहा है. कुछ तो गरीबी और मुफलिसी में मजबूर हो कर ऐसे काम करते हैं, तो कुछ लोगों ने इसे कमाई का अच्छा जरीया बना लिया है, इसलिए मासूमों के गुनाहों में शेखों के साथसाथ लड़की के परिवार वाले भी बराबर के भागीदार हैं, लेकिन ऐसे घटिया कामों को किसी भी तरीके से सही नहीं ठहराया जा सकता.

वहीं समाज के कुछ लोगों की नजरों में यह कोई गुनाह का काम नहीं है. ऐसे लोगों का यही मानना है कि जब समाज में अशिक्षा, बेरोजगारी, कुप्रथा जैसी अनेक सामाजिक बुराइयां मौजूद हैं और सब से ज्यादा दहेज के लालची शादी के लिए अपने लड़कों की खुली बोली लगाते हैं, जैसे किसी चीज की नीलामी चल रही हो. इस नीलामी में वही बाजी मारता है, जो सब से ऊंची बोली लगाता है. ऐसे में इस तरह से निकाह करने में क्या हर्ज है?

फर्जी निकाह का खुलासा

खाड़ी देशों से आने वाले शेखों ने एक लंबे अरसे से इसे धंधा बना रखा था. इनसान अपने किए गए गुनाहों से बचने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाता है. वह खुद को सब से अक्लमंद और चालाक समझ बैठता है, लेकिन यहीं पर वह गलती कर जाता है. कौंट्रैक्ट मैरिज में दलाल, काजी के साथसाथ कई लौज मालिक भी ऐसे गुनाह में शामिल थे.

इस तरह के निकाह खुलेआम तो हो नहीं सकते, इसलिए शहर के कुछ खास लौज और होटल मालिक इन कामों में शामिल हो गए.

इन फर्जी निकाहों का खुलासा तब हुआ, जब हैदराबाद के फलकनुमा इलाके की एक औरत ने शिकायत दर्ज कराई. उस ने बताया कि उस के शौहर ने कुछ दलालों से मिल कर उस की 16 साल की नाबालिग लड़की का सौदा ओमान के 70 साल के बूढ़े शेख अहमद अब्दुल्ला से कर दिया है.



मां ने पुलिस को यह भी बताया कि उस की बेटी का ओमान में जिस्मानी शोषण किया जा रहा है, इसलिए मेरी मासूम बच्ची को बचा लें. इस के बाद पुलिस हरकत में आई और खाड़ी देशों के 8 शेखों समेत 20 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इस में 5 शेख ओमान के और 3 शेख कतर के थे.

गिरफ्तार किए गए लोगों में फर्जी निकाह कराने वाले 3 काजी, शेखों को पनाह देने वाले 4 लौज मालिक और कौंट्रैक्ट मैरिज के लिए गरीब परिवारों को फंसाने वाले 5 दलाल भी शामिल थे.

हैदराबाद पुलिस आयुक्त महेंद्र रेड्डी ने मीडिया को बताया कि इस रैकेट में कुल 35 लोगों की पहचान की गई. इस रैकेट में 15 औरतें भी शामिल थीं.

खाड़ी देशों से आ कर दलालों के जरीए गरीब परिवारों की नाबालिग लड़कियों को कौंट्रैक्ट मैरिज के नाम पर उन के देश ले जा कर जिस्मानी शोषण की शिकायतें काफी समय से मिल रही थीं.

अगर पुलिस समय पर ऐक्शन नहीं लेती, तो कुछ ही समय बाद ये दलाल 20 लड़कियों को खाड़ी मुल्कों में भेजने की तैयारी कर चुके थे.

भोपाल शहर के मौलाना उमैर खान नदवी से यह जानने की कोशिश की गई, ‘क्या इसलाम कौंट्रैक्ट मैरिज की इजाजत देता है?’ इस सवाल पर उन्होंने ऐसे निकाह को सिरे से खारिज कर दिया. उन का कहना था, ‘‘कौंट्रैक्ट मैरिज का जिक्र इसलाम में कहीं नहीं है और इसलाम इस बात की तालीम देता है कि आप निकाह इस नीयत के साथ करें कि हमें पूरी जिंदगी एकसाथ शौहरबीवी बन कर रहना है. यह बात दीगर है कि जिंदगी के किसी मोड़ पर अगर आप की नहीं बन पा रही, तो आप काजी के यहां जा कर तलाक ले सकते हैं.’’

इस बात से साफ जाहिर हो जाता है कि कौंट्रैक्ट मैरिज सिर्फ ऐयाशी करने का एक जरीया है, न कि पवित्र शादी का बंधन, इसलिए समाज में इस तरह की ज्यादती बरदाश्त नहीं की जा सकती.

बेहतर यही है कि आप अपनी लड़कियों को ऊंची तालीम दें, जिस से कि वे समाज में अपना एक अलग मुकाम बना सकें और इज्जत की जिंदगी जी सकें.

पूरे मुद्दे को गौर से देखेंगे, तो पाएंगे कि शेख गुनाहगार हैं, दलाल गुनाहगार हैं, लौज मालिक गुनाहगार हैं, लेकिन इन सब के साथ ही साथ उस लड़की के मांबाप और परिवार के समझदार सदस्य भी बराबर के गुनाहगार हैं, जो उन्हें इस दलदल में धकेलते हैं.

इस पूरे मामले में धर्म को ढाल बना कर गुमराह किया जाता रहा है, लेकिन यह धर्म का मामला नहीं, बल्कि समाज का मामला है और समाज में इस तरह के काम को किसी भी कीमत पर जायज नहीं ठहराया जा सकता.

ऐसे मामलों में धर्म के रहनुमाओं को आगे आ कर ढोंगियों को बेनकाब करना चाहिए और समाज के गरीब तबके की आबादी में जा कर ऐसे लोगों को जागरूक करना जरूरी है, जिस से कि भविष्य में उन्हें इस तरह की बुराई से बचाया जा सके.

Monday, 6 November 2017

तान्त्रिक

अपने ऊपर तान्त्रिक प्रयोग का कैसे पता करें ।Photo
1) रात को सिरहाने एक लोटे मैं पानी भर कर रखे और इस पानी को गमले मैं लगे या बगीचे मैं लगे किसी छोटे पौधे मैं सुबह डाले । 3 दिन से एक सप्ताह मे वो पौधा सूख जायेगा है ।
2) रात्रि को सोते समय एक हरा नीम्बू तकिये के नीचे रखे और प्रार्थना करे कि जो भी नेगेटिव क्रिया हूई इस नीम्बू मैं समाहित हो जाये । सुबह उठने पर यदि नीम्बू मुरझाया या रंग काला पाया जाता है तो आप पर तांत्रिक क्रिया हुई है।
3) यदि बार बार घबराहट होने लगती है, पसीना सा आने लगता हैं, हाथ पैर शून्य से हो जाते है । डाक्टर के जांच मैं सभी रिपोर्ट नार्मल आती हैं।लेकिन अक्सर ऐसा होता रहता तो समझ लीजिये आप किसी तान्त्रिक क्रिया के शिकार हो गए है ।
4) आपके घर मैं अचानक अधिकतर बिल्ली,सांप, उल्लू, चमगादड़, भंवरा आदि घूमते दिखने लगे ,तो समझिये घर पर तांत्रिक क्रिया हो रही है।
5) आपको अचानक भूख लगती लेकिन खाते वक्त मन नही करता ।
6) भोजन मैं अक्सर बाल, या कंकड़ आने लगते है ।
7) घर मे सुबह या शाम मन्दिर का दीपक जलाते समय विवाद होने लगे या बच्चा रोने लगे ।
8) घर के मन्दिर मैं अचानक आग लग जाये ।
9) घर के किसी सदस्य की अचानक मौत ।
10) घर के सदस्यों की एक के बाद एक बीमार पढ़ना ।
11) घर के जानवर जैसे गाय, भैंस, कुत्ता अचानक मर जाना।
12) शरीर पर अचानक नीले रंग के निशान बन जाना ।
13) घर मे अचानक गन्दी बदबू आना ।
14) घर मैं ऐसा महसूस होना की कोई आसपास है ।
15) आपके चेहरे का रंग पीला पड़ना ये भी एक कारण हैं की जितना प्रबल तन्त्र प्रयोग होगा आपके मुह का रंग उतना ही पिला पड़ता जायेगा आप दिन प्रतिदिन अपने आपको कमज़ोर महसूस करेंगे।
16) आपके पहने नए कपड़े अचानक फट जाए, उस पर स्याही या अन्य कोई दाग लगने लग जाए, या जल जाए।
17) घर के अंदर या बाहर नीम्बू, सिंदूर, राई , हड्डी आदि सामग्री बार बार मिलने लगे।
18) चतुर्दशी या अमावस्या को घर के किसी भी सदस्य या आप अचानक बीमार हो जाये या चिड़चिड़ापन आने लग जाये ।
19) घर मैं रुकने का मन नही करे, घर मे आते ही भारीपन लगे,जब आप बाहर रहो तब ठीक लगे*

Saturday, 4 November 2017

ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,

ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,

ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,

कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,

उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,

मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,

उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,

अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,

यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए

Thursday, 2 November 2017

चोट को दिल



चोट को दिल में बिठाने की जरूरत क्या है,
बहने वालें को, ठिकाने की जरूरत क्या है!


कौन वो शै है,जो बख़्शी नहीं दाता ने तुम्हें,
और अब बोझ उठाने की जरूरत क्या है!

जो फक़त लबको छुए और दिल में न उतरे,
ऐसे रिश्ते को निभाने की जरूरत क्या है!

बहसो तकरार से बदलेंगे न कोई ख़याल,
बेसबब बात बढ़ाने की जरूरत क्या है!

हम तो हर हाल महकते ही रहेंगे ए परख,
गुलेख़न्दाँ को, बहाने की जरूरत क्या है!

Kuch जमी पर कुछ सिर पर कुछ बोझ बढ़ गया जिंदगी का।बोझ बन चुकी बाली उमरिया आओ आमंत्र न ह बन्दगी का।।
तमाम उम्र का बोझ कोई ढोने के काबिल तो मिले।। क्या करूँ असली बोझ तो है ये दिलजले।।।।।




फूल बिखराती हर इक मौज-ए-हवा आती है!
आप आते हैं कि गुलशन में सबा आती है!!
आप के रुख़ से बरसता है सहर का जोबन!
आप की ज़ुल्फ़ के साए में घटा आती है !!
आप के हाथ जो छू जाएँ किसी डाली से!
गुल ही क्या ख़ार से भी बू-ए-हिना आती है!!
आप लहरा के न यूँ दूधिया आँचल को चलें!
मुस्कुराते हुए फूलों को हया आती है !!
आप को क्यूँ न तराशा गया मेरे दिल से!
संग-ए-मरमर से हमेशा ये सदा आती है!!

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lekin aaine se dil ka dard chup na paya hai.
hogi kal ki subah tere sang ya fir hoga tanha din
maine raat ka har ek lamha iss uljhan main bitaya hai
jin ankhon main subah teri aur fir shaam mehakti thi.
un yaadon main apni tumne kitna mujhe rulaya hai.....
कभी जो देखनी हो मोहब्बत
तो मेरी चाहतों में आ जाना..
कभी जो करनी हो मुझसे बातें तो मेरी यादों में आ जाना..
कभी जो चाहो महसूस करना प्यार मेरा
तो मेरी आँखों में आ जाना..

कभी जो सुननी हो आवाज मेरे दिल की
तो मेरी धड़कनों में आ जाना..
कभी जो पाओ खुद को अकेला सा
तो मेरी राहों में आ जाना..
बेटी जब शादी के मंडप से...
ससुराल जाती है तब .....
पराई नहीं लगती.
मगर ......

जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है.
जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है.
जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है.
जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है.
जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है.
जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है.
जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है.....
और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है.
लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद 
जब वह चुपके से 
अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती

😪

नहीं चाहिए हिस्सा भइया
मेरा मायका सजाए रखना

कुछ ना देना मुझको 
बस प्यार बनाए रखना
पापा के इस घर में 
मेरी याद बसाए रखना

बच्चों के मन में मेरा
मान बनाए रखना
बेटी हूँ सदा इस घर की
ये सम्मान सजाये रखना।
.....

बेटी से माँ का सफ़र (बहुत खूबसूरत पंक्तिया , सभी महिलाओ को समर्पित)
बेटी से माँ का सफ़र 
बेफिक्री से फिकर का सफ़र
रोने से चुप कराने का सफ़र
उत्सुकत्ता से संयम का सफ़र

पहले जो आँचल में छुप जाया करती थी ।
आज किसी को आँचल में छुपा लेती हैं ।

पहले जो ऊँगली पे गरम लगने से घर को सर पे उठाया करती थी ।
आज हाथ जल जाने पर भी खाना बनाया करती हैं ।

पहले जो छोटी छोटी बातों पे रो जाया करती थी
आज बो बड़ी बड़ी बातों को मन में छुपाया करती हैं ।

पहले भाई,,दोस्तों से लड़ लिया करती थी ।
आज उनसे बात करने को भी तरस जाती हैं ।

माँ,माँ कह कर पूरे घर में उछला करती थी ।
आज माँ सुन के धीरे से मुस्कुराया करती हैं ।

10 बजे उठने पर भी जल्दी उठ जाना होता था ।
आज 7 बजे उठने पर भी 
लेट हो जाया करती हैं ।

खुद के शौक पूरे करते करते ही साल गुजर जाता था ।
आज खुद के लिए एक कपडा लेने को तरस जाया करती है ।

पूरे दिन फ्री होके भी बिजी बताया करती थी ।
अब पूरे दिन काम करके भी काम चोर
कहलाया करती हैं ।

एक एग्जाम के लिए पूरे साल पढ़ा करती थी।
अब हर दिन बिना तैयारी के एग्जाम दिया करती हैं ।

ना जाने कब किसी की बेटी 
किसी की माँ बन गई ।
कब बेटी से माँ के सफ़र में तब्दील हो गई .....
?

बेटी है तो कल हे।
बहुत प्यारी होती है बेटीया न जाने लोग बोज समझते है बेटीया 👩🏼Image may contain: 1 person


घर के बाहर इंतजार कर रहा पति
बोला - अरे और कितनी देर लगाओगी ? 
पत्नी ( गुस्से में ):- चिलाना बन्द करो । 
एक घण्टे से कह रही हूँ पांच मिन्ट में आ रही हूँ ,
समझ में नही आता क्या!!

😜 😳 😛 😝 😁 😂 😂 😂 😂

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पलकों में कैद कुछ सपने हैं

पलकों में कैद कुछ सपने हैं , कुछ बेगाने और कुछ अपने हैं , ना जाने क्या कशिश है इन ख्यालों में , कुछ लोग दूर होते हुए भी अपने हैं .

🔫🔫
: तू नाराज न रहा कर तुझे वास्ता है खुदा का....
एक तेरा ही चेहरा खुश देख कर हम अपना गम भुलाते है।।

🔫🔫
: जब वो नाराज होती थी तब मुझे..

दुनिया की सबसे महेंगी चीज उसकी मुस्कान लगती थी.

🔫🔫
: ख़ुदी वह बहर है, जिसका कोई किनारा नहीं
तू आबजू उसे समझा अगर, तो चारा नही

🔫🔫
: तुहमतें चन्द अपने जिम्मे धर चले
किसलिए आए थे और क्या कर चले

🔫🔫
: कभी तो मेरी भी सुनवाई होगी महफ़िल में
मै ये उम्मीद लिए बार-बार जाता रहा

🔫🔫
: एक हम हैं कि ग़ैरों को भी कह देते हैं अपना
एक तुम हो कि अपनों को भी अपना नहीं कहते

🔫🔫
: कोई इक तिशनगी कोई समुन्दर लेके आया है
जहाँ मे हर कोई अपना मुकद्दर लेके आया है

🔫🔫
: प्यास अगर मेरी बुझा दे तो मैं मानू वरना ,
तू समन्दर है तो होगा मेरे किस काम का है

🔫🔫
: जब खिज़ा आई तो लौट आयेगा वो भी 'फ़राज़'
वो बहारों में ज़रा कम मिला करता है

🔫🔫
: तस्कीन न हो जिस से वो राज़ बदल डालो,
जो राज़ न रख पाए हमराज़ बदल डालो

🔫🔫
: अन्दाज़ कुछ अलग ही मेरे सोचने का है,
मंज़िल का सब को शौक़ मुझे रास्ते का है।

🔫🔫
: इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं,
होठों पे लतीफे हैं आवाज़ में छाले हैं।

🔫🔫
: तुहमतें चन्द अपने जिम्मे धर चले
किसलिए आए थे और क्या कर चले

🔫🔫
: चिराग़ बन के जले हैं तुम्हारी महफ़िल में,
वो जिनके घर में कभी रौशनी नहीं होती ।

🔫🔫
: जब खिज़ा आई तो लौट आयेगा वो भी 'फ़राज़'
वो बहारों में ज़रा कम मिला करता है

🔫🔫
: हम नहीं मानते कमतर है मुक़द्दर अपना,
आप के हाल से हर हाल है बेहतर अपना।

🔫🔫
: तुम्हारी बज़्म से बाहर भी एक दुनिया है
मेरे हुज़ूर बड़ा जुर्म है ये बेख़बरी

🔫🔫
: हम नहीं मानते कमतर है मुक़द्दर अपना,
आप के हाल से हर हाल है बेहतर अपना।

🔫🔫
: एक हम हैं कि ग़ैरों को भी कह देते हैं अपना
एक तुम हो कि अपनों को भी अपना नहीं कहते

🔫🔫:
 जिस को भी देखो तिरे दर का पता पूछता है
क़तरा क़तरे से समुंदर का पता पूछता है

🔫🔫
: कभी तो मेरी भी सुनवाई होगी महफ़िल में
मै ये उम्मीद लिए बार-बार जाता रहा

🔫🔫
: अन्दाज़ कुछ अलग ही मेरे सोचने का है,
मंज़िल का सब को शौक़ मुझे रास्ते का है।

🔫🔫
: अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ

🔫🔫:
फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ

🔫🔫
: प्यास अगर मेरी बुझा दे तो मैं मानू वरना ,
तू समन्दर है तो होगा मेरे किस काम का है

 🔫🔫:
तस्कीन न हो जिस से वो राज़ बदल डालो,
जो राज़ न रख पाए हमराज़ बदल डालो
 मैं बोझ बन जाऊँगा एक दिन अपने ही दोस्तों पे... देखना जब कंधे बदल रहे होंगे वो हर दो कदम के बाद..!!


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: आपको मेरे कोनासी पोस्ट् बुरे लगते है ? . . . . . . रिप्लाइ किया तो बहोत मार खाओगे.. जैसा हू अच्छा हू.. अड्जस्ट कर लो चुप चाप..

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: तुम्हारे पास रहने को जगह नही है क्या .?
जो हर रात मेरी आँखो मे उतर आते हो !

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आइना भी भला कब किसी को सच बता पाया है; जब भी देखो दायाँ तो बायां ही नज़र आया है।

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‬: चलो मान लिया हमें मोहब्त करना नही आता....
. लेकीन ये तो बताओ तूम्हे दिल तोडना किसने सिखाया...

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 तू समझता है कि जीने की ख़्वाहिश है मुझको,
मैं तो इस आस पे ज़िन्दा हूँ, कि मरना कब है..!!😔

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 मैं बोझ बन जाऊँगा एक दिन अपने ही दोस्तों पे... देखना जब कंधे बदल रहे होंगे वो हर दो कदम के बाद..!!


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: आपको मेरे कोनासी पोस्ट् बुरे लगते है ? . . . . . . रिप्लाइ किया तो बहोत मार खाओगे.. जैसा हू अच्छा हू.. अड्जस्ट कर लो चुप चाप..

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: तुम्हारे पास रहने को जगह नही है क्या .?
जो हर रात मेरी आँखो मे उतर आते हो !

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आइना भी भला कब किसी को सच बता पाया है; जब भी देखो दायाँ तो बायां ही नज़र आया है।

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‬: चलो मान लिया हमें मोहब्त करना नही आता....
. लेकीन ये तो बताओ तूम्हे दिल तोडना किसने सिखाया...

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 तू समझता है कि जीने की ख़्वाहिश है मुझको,
मैं तो इस आस पे ज़िन्दा हूँ, कि मरना कब है..!!😔

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:     उसने पूछा सबसे ज्यादा क्या पसंद है..!!?? उसे मैं बहुत देर तक देखता रहा ... बस ये सोचकर कि खुद जवाब होकर उसने सवाल क्यूँ किया.!!  


😢 😢 😢 😢 😢 😢

 "अरमान था तेरे साथ जिंदगी बिताने का,
शिकवा है खुद के खामोश रह जाने का,
दीवानगी इस से बढकर और क्या होगी,
आज भी इंतजार है तेरे आने का."

😢 😢 😢 😢 😢

‬: बहुत लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ मैं
किसी से कुछ कहने की कोशिश में•••💝

😢 😒

 🍺🍺🍺बस मेरा यही अंदाज़ इस ज़माने को खलता है…
की ये साला इतनी पीने के
बाद भी, सीधा कैसे चलता है………

😢 😢 😢 😢 😢 😢

: जमाने की नजर में अकड के चलना सीख ले
ऐ दोस्त...
मौम जैसा दिल ले के फिरोगे तो लोग जलाते
रहेंगे...!!!

😢 😢 😢 😢 😢

‬: है परेशानियाँ यूँ तो, बहुत सी ज़िंदगी में;
 तेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता।

😢 😢 😢 😢 😢 😢

 ना रात कटती है ना दिन ओर ना ज़िन्दगी .... वो शख्स मेरे वक़्त को इतना धीमा कर गया

😢 😢 😢 😢 😢

: पर्दा तो होश वालों से किया जाता है,,,,
बेनकाब चले आओ हम तो नशे में है.........

😢 😢 😢 😢

: मेरे मुस्कुराते चेहरे को देख तुम मुझे क्या
समझोगे,,,
,मुझे तो वो नही समझ पाया जिसने,,
मुझे मुस्कुराना सिखाया...!!
😢 😢 😢 😢

छोङो ना यार , क्या रखा है सुनने और सुनाने में ,किसी ने कसर नहीँ छोङी दिल दुखाने में ..
😁 😁 😁 😁


गुजरे हैं आज इश्क में हम उस मुकाम से , नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से...
मुझे बस इतना बता दो. इंतजार करु या बदल जाऊ तुम्हारी तरह...
😢 😢 😢 😢 😢


इतने बुरे ना थे जो ठुकरा दिया तुमने हमेँ.
तेरे अपने फैसले पर एक दिन तुझे भी अफसोस होगा
😒 😒

 वो मुझसे दूर...खुश है; और मै उसे खुश देखने के लिए दूर हूँ.




:     उसने पूछा सबसे ज्यादा क्या पसंद है..!!?? उसे मैं बहुत देर तक देखता रहा ... बस ये सोचकर कि खुद जवाब होकर उसने सवाल क्यूँ किया.!!  


😢 😢 😢 😢 😢 😢

 "अरमान था तेरे साथ जिंदगी बिताने का,
शिकवा है खुद के खामोश रह जाने का,
दीवानगी इस से बढकर और क्या होगी,
आज भी इंतजार है तेरे आने का."

😢 😢 😢 😢 😢

‬: बहुत लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ मैं
किसी से कुछ कहने की कोशिश में•••💝

😢 😒

 🍺🍺🍺बस मेरा यही अंदाज़ इस ज़माने को खलता है…
की ये साला इतनी पीने के
बाद भी, सीधा कैसे चलता है………

😢 😢 😢 😢 😢 😢

: जमाने की नजर में अकड के चलना सीख ले
ऐ दोस्त...
मौम जैसा दिल ले के फिरोगे तो लोग जलाते
रहेंगे...!!!

😢 😢 😢 😢 😢

‬: है परेशानियाँ यूँ तो, बहुत सी ज़िंदगी में;
 तेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता।

😢 😢 😢 😢 😢 😢

 ना रात कटती है ना दिन ओर ना ज़िन्दगी .... वो शख्स मेरे वक़्त को इतना धीमा कर गया

😢 😢 😢 😢 😢

: पर्दा तो होश वालों से किया जाता है,,,,
बेनकाब चले आओ हम तो नशे में है.........

😢 😢 😢 😢

: मेरे मुस्कुराते चेहरे को देख तुम मुझे क्या
समझोगे,,,
,मुझे तो वो नही समझ पाया जिसने,,
मुझे मुस्कुराना सिखाया...!!
😢 😢 😢 😢

छोङो ना यार , क्या रखा है सुनने और सुनाने में ,किसी ने कसर नहीँ छोङी दिल दुखाने में ..
😁 😁 😁 😁


गुजरे हैं आज इश्क में हम उस मुकाम से , नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से...
मुझे बस इतना बता दो. इंतजार करु या बदल जाऊ तुम्हारी तरह...
😢 😢 😢 😢 😢


इतने बुरे ना थे जो ठुकरा दिया तुमने हमेँ.
तेरे अपने फैसले पर एक दिन तुझे भी अफसोस होगा
😒 😒

 वो मुझसे दूर...खुश है; और मै उसे खुश देखने के लिए दूर हूँ.
अमीर तो हम भी बहुत थे,
पर दॊलत सिर्फ दिल की थी
खर्च भी बहुत किया ए दोस्त,
पर दुनिया मे गिनती सिर्फ नोटों की हुई..!!
🔫🔫

: एक बहूत ही खूबशूरत बात : जो जिंदगी भर याद रखीये ..... आपका खूश रहना ही , आपका बूरा चाहने वालों के लिए सबसे बङी सजा है ।।
🔫🔫

: जिस दिन अपने कमाए हुए पैसों से जीना सीख जायोगे ,
उस दिन आपके शौक अपने आप कम हो जायेंगे..!!
🔫🔫

: दिल से निकली है दुआ हमारी; ज़िंदगी में मिले आपको खुशियां ढेर सारी; गम ना दे खुदा कभी आपको; चाहे तो एक ख़ुशी कम कर ले हमारी।
🔫🔫

: इश्क़ में कोई खोज नहीं होती, यह हर किसी से हर रोज नहीं होती, अपनी जिंदगी में हमारी मौजूदगी को बेवजह मत समझना, क्योंकि पलके कभी आँखों पर बोझ नहीं होती..!!
🔫🔫

: पानी से तस्वीर कहाँ बनती है; ख्वाबों से तकदीर कहाँ बनती है; किसी भी रिश्ते को सच्चे दिल से निभाओ; क्योंकि ये ज़िन्दगी फिर वापस कहाँ मिलती है।
🔫🔫

: प्यार कहाँ किसी का पूरा होता है, प्यार का तो पहला अक्षर ही अधूरा होता है!!
🔫🔫

: उसे मैं दिल में रख लेता,
अगर होता यह बस में मेरे,
उसे सब देखते हैं,
मुझसे यह देखा नहीं जाता |

🔫🔫:

 कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की, हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती....!!!

🔫🔫
: वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही, इश्क़ में प्रेमी कभी झुकता नही, खामोश हैं हम किसी के खुशी के लिए, ना सोचो के हमारा दिल दुःखता नहीं!


Wednesday, 1 November 2017

" कन्यादान नहीं करूंगा "



" कन्यादान नहीं करूंगा "
जाओ , मैं नहीं मानता इसे ,
क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,
जिसको दान में दे दूँ ;
मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में ,
पति के साथ मिलकर निभाना तुम ,
मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा ,
आज से तुम्हारे दो घर ,
जब जी चाहे आना तुम ,
जहाँ जा रही हो ,
खूब प्यार बरसाना तुम ,
सब को अपना बनाना तुम ,
पर कभी भी ,
न मर मर के जीना ,
न जी जी के मरना तुम ,
तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम ,
ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम ,
न तुम बेचारी , न अबला ,
खुद को असहाय कभी न समझना तुम ,
मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें ,
मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ ,
उसे बखूबी निभाना तुम .................
- एक नयी सोच एक नयी पहल