Friday 13 January 2017

Dard Shayari 1

Dard Shayari 1


हर गम की दवा नहीं होती,
क्या होता जो दुआ नहीं होती,
बे-खौफ लोग तोड़ देते हैं दिल, ये सोच कर,
की इस जुर्म की कोई सजा नहीं होती...
कितने दूर निकल गए,
रिश्ते निभाते निभाते,
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते,
लोग कहते हैं हम मुस्कराते बहुत हैं,
और हम थक गए,
दर्द छुपाते छुपाते...

वो रात दर्द और सितम की रात होगी,
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी,
उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर,
कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी...
ज़िन्दगी को खुशनुमा बनाने में रह गए, 
हर किसी के गम को मिटाने में रह गए,
समझा ना किसी ने हमें अपना और,
हम सबको अपना बनाने में रह गए...
दिल की तन्हाई में याद के ज़ख्म बहुत गहरे हैं,
कोई भी पास नहीं जो हाथ पकड़ के इतना कह दे की,
मत हो परेशान, आज से हम सिर्फ तेरे हैं...
हम दर्द झेलने से नहीं डरते,
पर उस दर्द के खत्म होने की आस तो हो,
दर्द चाहे जितना भी दर्दनाक हो,
पर दर्द देने वाले को उसका एहसास तो हो..
हर उदासी दिल पर छाई हुई,
हर खुशी है मुझसे घबराई हुई,
और क्या रखा है ज़िन्दगी के दामन में,
चंद कलियाँ हैं वो भी मुरझाई हुई...
दर्द देते हो और खुद ही सवाल करते हो,
तुम भी ओ सनम कमाल करते हो,
देख कर पूंछ लिया है हाल मेरा,
चलो शुक्र है कुछ तो ख्याल करते हो...
वो रोए तो बहुत, पर मुँह मोड़कर रोए,
कोई तो मजबूरी होगी, जो दिल तोड़कर रोए,
मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के टुकड़े,
पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर रोए...
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो,
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम होने दो,
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढते हो क्यों,
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने दो...

कितनी मुश्किल से उसने मुझको भुलाया होगा,
मेरी यादों ने उसे खूब रुलाया होगा,

बात-बे-बात आँख उसकी जो छलकी होंगी,
उसने चेहरे को बाजुओं में छुपाया होगा,

सोचा होगा उसने दिन में कई बार मुझे,
नाम हथेली पर भी लिख-लिख के मिटाया होगा...
खामोश रहने की अब आदत सी हो गई है,
दर्द सहने की अब आदत हो गई है,

सोचने के अलावा अब कोई काम नहीं आता,
ज़ख्मों को छुपाने की अब आदत सी हो गई है,

अब तो डरते हैं कोई शराफत से भी पुकारे हमें,
अकेले रहने की अब तो आदत सी हो गई है,

ऐतबार करें भी तो किस पे करें ऐ ज़िन्दगी तू ही बता,
अपनों से धोका खाने की आदत सी हो गई है,

दिल के बुरे नहीं थे, एक शख्स ने बना दिया,
अब तो अपने साए से भी डरने की आदत सी हो गई है...
अगर वो खुश है देखकर आंसू मेरी आँखों में,
तो रब की कसम हम मुस्कुराना छोड़ देंगे,
तड़पते रहेंगे उसे देखने को,
लेकिन उसकी तरफ नज़रें उठाना छोड़ देंगे,
वो मंजिल ही क्या जो आपको दुःख दे,
रब की कसम उस मंजिल तक जाना ही छोड़ देंगे...
पलकों में आसूं और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालों को क्या पता रोने वाला किस कदर रोया है,
मेरी तन्हाई का आलम तो बस वोही जान सकता है,
जिसने ज़िन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है...
साथी ऐसा मिला जो साथ ना दे सका,
निगाहें ऐसी मिली जो रो भी ना सकी,
हँसना तो चाहते थे हम हर दम पर क्या करें,
मुस्कान ही ऐसी मिली जो होंठों पे ना आ सकी...
दिल रखना नहीं है तो तोड़ते क्यों हो,
तोड़ना ही था तो दिल जोड़ते क्यों हो,
पहले कहा पूरी तरह मेरा हो जा,
सब लुटा आया तो मुँह फेरते क्यों हो...
तड़पते वो हैं जिनको कोई एहसास हो,
दूर करके दुआ करते हैं, काश वो मेरे पास हो,
ये जुदाई के पल खुद रोते हैं तुम्हारी याद में,
फ़रियाद करते हैं दर्द का भी कोई इंसाफ हो...
जिसकी तलाश है उसे पता ही नहीं,
मेरी चाहत को उसने समझा ही नहीं,
हम पूछते रहे क्या हमसे प्यार है,
वो कहते रहे कि हमें पता ही नहीं...
दर्द बनके दिल में छुपा कौन है,
रह-रह कर इसमें चुभता कौन है,
एक तरफ दिल है और एक तरफ आइना,
देखना है इस बार पहले टूटता कौन है...
वो बनते हैं हमसे अनजाने यूँ,
छुपाते हैं हमसे जाने क्यूँ,
कि वो किसी से मोहब्बत करते हैं,
मगर क्या सच्चे प्रेमी भी दर्द से डरते हैं...

इतना कुछ होके भी हमें पाना ना आया,
प्यार इतना किया पर जताना ना आया,
वो तो आ गए इस दिल में,
कसूर हमारा है जो हमें उनके दिल में सामना ना आया...
चाहेंगे तुम्हें पर कभी रुसवा ना करेंगे,
साये से भी अपने कभी शिकवा ना करेंगे,
पूछेंगे हवाओं से घटाओं से तेरा हाल,
मिलने की कभी दुआ न करेंगे...
फासले इतने तो ना हुए करते थे,
मैं वही हूँ जिसे तुम अपना कहा करते थे,
तुम अगर भूल गए हमको तो कोई बात नहीं,
ज़ख्म तो पहले भी इस दिल पे लगा करते थे...
इश्क पाने की तमन्ना में सनम,
ज़िन्दगी मज़ाक बनकर रह गयी,
जिस सूरत को दिल में बसाया था कभी,
आज वो सूरत एक याद बनकर रह गयी...
दुनिया है पत्थर की जज़्बात नहीं समझती,
दिल में जो चुप्पी है वो बात नहीं समझती,
चाँद तनहा है तारों की बरात में,
मगर दर्द चाँद के.. ज़ालिम रात नहीं समझती...
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं,
किसी ने वक्त गुजारने के लिए अपना बना लिया,
तो किसी ने अपना बनाकर वक्त गुजार लिया...
प्यार प्यार से दूर होता जा रहा है,
प्यार प्यार से मजबूर होता जा रहा है,
मतलब निकालने के लिए हर कोई करता है प्यार,
यह ज़माने का दस्तूर होता जा रहा है...
दर्द में हर कोई मुस्कुरा नहीं सकता,
अपने दिल की बात मैं सबको बता नहीं सकता,
ये रौशनी लेने वालो खुद महसूस कर लेना,
चिराग जल सकता है लेकिन अपनी तकलीफ बता नहीं सकता...
वो मेहंदी वाले हाथ मुझे दिखाकर रोई,
अब मैं हूँ किसी और की, ये मुझे बताकर रोई,
जो पहले कहते थे कि नहीं जी सकती तेरे बिन,
आज फिर से वो बात दोहरा कर रोई,
कैसे कर लूं उसकी मोहब्बत पे शक यारों,
वो भरी महफिल में मुझे गले लगाकर रोई...
काश उसे चाहने का अरमान ना होता,
मैं होश में रहते हुए अनजान ना होता,
ना प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको,
या कोई पत्थर दिल इंसान ना होता...
दर्द कितने हैं बता नहीं सकता,
ज़ख्म कितने हैं दिखा नहीं सकता,
आँखों से समझ सको तो समझ लो,
आँसु गिरे हैं कितने गिना नहीं सकता...
मजबूर मोहब्बत जता ना सके,
ज़ख्म खाते राहे किसी को बता ना सके,
चाहतों की हद तक चाहा उसे,
सिर्फ अपना दिल निकाल कर उसे बता ना सके...
गुस्ताखी ये है हमारी,
हर किसी से रिश्ता जोड़ लेते हैं,
लोग कहते हैं मेरा दिल पत्थर का है,
लेकिन... ए दोस्त...
कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसे भी तोड़ देते हैं...
फलक में अपनी जन्नत के सितारे नहीं,
हम आपके हैं पर आप हमारे नहीं,
छोटी सी कश्ती लेकर उस समंदर में उतर गए हैं,
जिस समंदर में दूर-दूर तक कोई किनारे नहीं...
मिला इश्क के बदले इश्क वो भाग्यवान होतें हैं,
उसके इश्क की हो कोई और तकदीर वो बेजुबान होतें हैं,
उसकी खुशी के खातिर मिला दे अपने इश्क को उसके इश्क से,
तो उसका त्याग देखकर भगवान भी रोतें हैं...
उदास हूँ पर तुझसे नाराज नहीं,
तेरे दिल में हूँ पर तेरे पास नहीं,
वैसे तो सब कुछ है मेरे पास,
पर तेरे जैसा कोई खास नहीं..
मेरी खुशी को लौटा दे कोई..
मेरे होंठो से मुस्कुरा दे कोई,
दर्द बहुत है मेरी ज़िन्दगी में,
दवा बनकर इस दर्द को मिटा दे कोई...
तुमको छुपा रखा है इन पलकों में,
पर इनको ये बताना नहीं आया,
सोते में भी जाग जाती पलकें मेरी,
पलकों को अभी तक दर्द छुपाना नहीं आया...
गहरी थी रात, लेकिन हम खोये नहीं,
दर्द बहुत था दिल में, लेकिन हम रोये नहीं,
कोई नहीं हमारा जो पूछे हमसे,
जाग रहे हो किसी के लिए, या किसी के लिए सोये नहीं...
क्या मिला प्यार में ज़िन्दगी के लिए,
रोज आँसू पिए हैं किसी के लिए,
वो तो गैरों में खुशियाँ मनाते रहे,
हम तड़पते रहे एक हँसी के लिए...

No comments:

Post a Comment