Sunday 6 May 2018

कैसे कहें कि ज़िंदगी क्या देती है;



कैसे कहें कि ज़िंदगी क्या देती है; 

हर कदम पे ये दगा देती है; 

जिनकी जान से भी ज्यादा कीमत हो दिल में; उन्ही से दूर रहने की सज़ा देती है।



जिंदगी के मजे लेना सीखो !



वक्त तो तुम्हारे मजे लेता ही रहेग !!




Tum Khafa Ho Gaye To Koi Khushi Na Rahegi,

Tere Bina Chirago Mein Roshni Na Rahegi,

Kya Kahe Kya Guzregi Dil Par,

Zinda To Rahenge Par Zindagi Na Rahegi.



Apni Zindagi Me Mujhko Karib Samajhna,


Koi Gum Aaye To Sharik Samjhna,


De Denge Muskurahat Aansu Ke Badle,


Magar Hazaro Me Thoda Aziz Samajhna.



हमें कहाँ मालुम थे इश्क़ के मायने हज़ूर !


बस वो मिली और जिंदगी मोहब्बत बन गयी !!






मोहब्बत में लाखों ज़ख्म खाए हमने !


अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं !


मत पूछो क्या गुजरती है दिल पर !


जब वो कहते है हमें तुमसे प्यार नहीं !!






जिंदगी‬ में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ !


मगर किसी के हालात और मजबूरी का नही !!



Tum Meri Zindagi Ka Wo Adhura Kissa Ho 


Jiske Pure Hone Ka Intzar Aj Bhi Hai Mujhe


Janti Hu Vaham Hai Ye Mera


Phir Bhi Na Jane Kyu Tere Laut Aane Ka Intzar Aj Bhi Hai Mujhe


हर वक़्त तेरे आने की आस रहती है!

हर पल तुझसे मिलने की प्यास रहती है!

सब कुछ है यहाँ बस तू नही!

इसलिए शायद ये जिंदगी उदास रहती है!



जाने क्यूँ अधुरी-सी लगती है जिन्दगी !





जैसे खुद को किसी के पास भूल आये हो !!















इन हसरतों को इतना भी क़ैद में न रख ए-ज़िंदगी !


ये दिल भी थक चुका है इनकी ज़मानत कराते कराते !!





कोई दुश्मनी नही ज़िन्दगी से !


मेरी बस ज़िद्द है तेरे साथ जीना है !!


मिले तो हजारों लोग हे, जिंदगी में !


पर वो सबसे अलग है जो किस्मत में नहीं हे!!






तुम जिंदगी से जीते नही पर लड़े तो थे !

ये बात कम नही की तुम जिद्द पर अड़े तो थे !

ये गम रहेगा हम को बचा ना सके तुम्हें !

वरना हमे बचाने वहां तुम खड़े तो थे !!


ज़िंदगी चाहे एक दिन की हो या चाहे चार दिन की !

उसे ऐसे जियो जैसे कि ज़िंदगी तुम्हें नहीं मिली, ज़िंदगी को तुम मिले हो !!



जब यकीन टूट जाये तो हर रिश्ता बेमानी सा लगता है !




और जब उम्मीद छूट जाये तो जीना बेकार सा लगता है !!





Humari Kisi Baat Ka Boora Na Maane......





Kya Pata Kaab Hum Khamos Ho Jaaye......


....Aye Zindagi.....


Mujhe Apne Aapse Kabhi Pyaar Tha Hi Nahi.....


Mujhe Pyaar Usse Hua Jo Mera Kabhi Hua Hi Nahi......






मेरी ज़िन्दगी का मकसद पूछते है लोग .......


सुनो बेवजह भी जीते हैं हम जैसे लोग ...!!





जो जितना दूर होता है नज़रो से 

उतना ही वो दिल के पास होता है !

मुस्किल से भी जिसकी एक ज़लक देखने को ना मिले !

वही ज़िंदगी मे सबसे ख़ास होता है !!














तेरी याद से शुरू होती है मेरी हर सुबह !

फिर ये कैसे कह दूँ.. कि मेरा दिन खराब है !!




ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख़्वाहिशों का है,दोस्तों !

ना तो किसी को ग़म चाहिए और ना ही किसी को कम चाहिए !!





जिन्दगी जख्मो से भरी हैं; वक़्त को मरहम बनाना सिख लें !

हारना तो है मोतके सामने; फ़िलहाल जिन्दगी से जीना सिख लें !!


मुझे मालूम है कि ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशें अधूरी हैं !

मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां भी जरूरी हैं !!


तमाम उम्र ज़िंदगी से दूर रहे !तेरी ख़ुशी के लिए तुझसे दूर रहे !



अब इस से बढ़कर वफ़ा की सज़ा क्या होगी !

कि तेरे होकर भी तुझसे दूर रहे !!




ज़िंदगी में लोग दर्द के सिवा दे भी क्या सकते हैं !
मरने के बाद दो गज़ कफ़न देते हैं वो भी रो रो कर !





जिंदगी कुछ नहीं बस एक तलब बनकर रह गयी !
न जाने कब अनगिनत टुकडों में बट कर रह गयी !!




ज़िन्दगी में कुछ खोना पड़े तो यह दो लाइन याद रखना !जो खोया है उसका ग़म नहीं लेकिन जो पाया है वो किसी से कम नहीं !



जो नहीं है वो एक खवाब हैं; और जो है वो लाजवाब है!!


हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली !कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली !



सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ !

वो जिंदगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली !!


गलतफहमी में जिंदगी गुजार दी !कभी हम नहीं समझे कभी तुम नहीं समझे


जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है !सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है !!


ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते लेकिन कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती हैं 



जो पूरी उम्र याद रहता है !!




मत सोचो इतना जिन्दगी के बारे मै !जिसने जिन्दगी दी है,,ऊशी ने भी तो कुछ सोचा होगा !


ना जाने कौन सी बात आखरी होगी !ना जाने कौन सी रात आखरी होगी !



करनी हैं तो कर लो जी भरकर बाते !

ना जाने हमारी कौन सी सास आखरी होगी !!


जिन्दगी पर बस इतना ,लिख पाया हूँ मैं !बहुत मजबूत रिश्ते थे कुछ,“कमजोर” लोगों से !!


अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उँगलियाँ !जिनकी औकात नही होती हमे छूने की !!


जिन्दगी हसीन है जिन्दगी से प्यार करो !है रात तो सुबह का इतजार करो !



वो पल भी आऐगा जिसका इतजार हैं आप को !

रब पर भरोसा और वक्त पे ऐतबार रखो !!


आदत नहीं थी मुस्कुराने की मुझे, बे मोल थी जिंदगी !पर जब से तुमने लबो पे मेरे हंसी दी 



अनमोल हो गई है कीमत मेरी !!


कुछ पाकर खोना है, कुछ खोकर पाना हैं !जीवन का मतलब तो, आना और जाना हैं !



दो पल के जीवन से, एक उम्र चुरानी हैं !

जिन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी हैं !!


गुज़र जाने दे इस ज़िन्दगी को गिरते पत्तों की तरह !यूँ पल-पल मरना भी किसी सज़ा से कम नहीं होता !!




बड़ा अजीब दस्तुर है यारों !
दर्द आँखो से निकले तो कायर हैं !
और बातो से निकले तो शायर हैं !!




तूने जिंदगी का नाम तो सुना होगा !मैने अक्सर तुम्हे इसी नाम से पुकारा है !!


कुछ किस्से दिल में कुछ कागजों पर आबाद रहे !बताइये कैसे भूलें उसे...जो सदा याद रहे !!


पुछा हाल शहर का तो सर झुका के बोले लोग तो ज़िंदा हैं जमीरों का पता नहीं !!


जिन्दगी से जंग लड़ने में बहुत मजा आ रहा !जिन्दगी जितने नहीं देती और मैं हार नही मानता !


हिम्मत इतनी थी समुन्दर भी पार कर सकते थे !मजबूर इतने हुए कि दो बूँद आँसुओं ने डुबो दिया 


इंसा की ख्वाहिशों की कोई इन्तहां नही !दो ग़ज जमीं भी चाहिए दो ग़ज कफन के बाद !!


दिन में...काम नहीं सोने देता !रात में...एक नाम नहीं सोने देता !!


मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको,ऐ ज़िन्दगी !रोज़ रोज़ मेरा तमाशा न बनाया कर !!


जादू वो लफ़्ज़ लफ़्ज़ से करता चला गया !और हमने बात बात में हर बात मान ली !!


प्यार मोहब्बत चाहत इश्क़ जिन्दगी उल्फ़त !एक तेरे आने से कितना बदल गई किस्मत !!


मिल सके आसानी से, उसकी ख्वाहिश किसे है !ज़िद तो उसकी है, जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं 


उलझे हुए है अपनी उलझनो मे आज कल !तुम ये मत समझना की अब वो चाहत नहीं रही !!


तेरे वज़ूद से ना ख़ुद को मैं जुदा देखूं !सिवा मैं तेरे भला किसका आसरा देखूं !



वो मुझसे कह के गया है कि अब न लौटेगा !

मगर ये कहता है दिल ,फिर भी रास्ता देखूं 



जो बेटी सिर झुका कर चलती है !उसके वालिद का सिर कभी नहीं झुकता !!


अपनी आयु से अधिक अपनी छवि का ध्यान रखें !क्योंकि छवि की आयु आपकी आयु से अधिक है !


ना अनपढ़ रहा, ना काबिल हुआ !खामखां ए जिंदगी,तेरे स्कूल में दाखिल हुआ !!


खुदा प्यार सबको देता हैI दिल भी सबको देता है !दिल में बसने वाला भी सबको देता है पर !



दिल को समझने वाला नसीब वालो को ही देता है !!


ज़िन्दगी रोज़ ही सिर्फ़ हमको आज़माती है !गुलों से ख़ार तक हमको खींच ले --जाती है !



क़तरे क़तरे में इन अश्क़ों के,अक़्स तेरा है !

इसी बहाने सही वो रोज़ पास -----आती है !!


फूलों से न शिकवा न हवाओं से गिला है !खुश्बू तेरी किस्मत में बिखरना ही लिखा है !!


हैं जिनके पास अपने तो वो अपनों से झगड़ते हैं !नहीं जिनका कोई अपना..वो अपनों को तरसते हैं !!


सपनों की मंज़िल पास नहीं होती !ज़िंदगी हर पल उदास नहीं होती !



ख़ुदा पे यकीन रखना मेरे दोस्त !

कभी-कभी वो भी मिल जाता है जिसकी आस नहीं होती !!


ख्वाहिशों की जमीन को जो वीरान किया है तूने !ए जिंदगी मुझे बार बार, यूँ हैरान किया है तूने !



किसी को भी मुझसे अब शिकायत नहीं रहती !

देख किस कदर, मुझे परेशान किया है तूने !


हम हर एक पल हस कर जिया करते है !आपसे दिल की बात किया करते है !



आप बहुत खास हो हमारे लिए !

तभी हर वक्त आपको ही याद किया करते है !!


पुरी दुनिया से चुरा कर मुझे अपना बनानेवाले !कसुर क्या था मेरा जो तन्हा छोड़ गये !!


ज़िन्दगी में एक बार दिल टूटना जरुरी है यारो !वरना दुनिया को समझने की समझ कहा से आयगी !!


जी लेंगे तेरे अहसासों में कि जिंदगी मेरी तू है !इँतज़ार मेरा मुकद्दर ही सही पर आरजू मेरी एक तू है !!


नाम बदनाम होने की चिंता छोड़ दी मैंने !अब जब गुनाह होगा तो मशहुर भी तो होंगे !!


फुरसत मे करेंगे हिसाब.तुझसे ऐ जिंदगी !उलझे हुये हैं हम अभी.खुद को सुलझाने में !!


जी लेने दे तेरे अहसासों में कि जिंदगी मेरी तू है !इंतजार मेरा मुकद्दर ही सही आरजू मेरी तू है !


जिन्दगी की तेज रफ्तारी का ये आलम रहा !सुबह के गम शाम होते ही पुराने हो गये !!


अब तो बेरंग हो गयी है मेरी वो ज़िन्दगी भी !जिसमें कभी तेरी मीठी ओर झुठी बातों ने रंग भर दिए थे !!


बहुत दर्द देती है वो ज़िन्दगी जिसमे ज़िन्दगी 

छोड़ के सब कुछ होता है !!


किसे बताऊँ कि गुज़री है ज़िंदगी कैसे !
जहां में कोई भी भाया, तो तेरी याद आयी !



जो तेरे गुलाबी लब मेरे लबों को छू जायें

जो तेरे गुलाबी लब मेरे लबों को छू जायें,
मेरी रूह का मिलन तेरी रूह से हो जाये,

ज़माने की साज़िशों से बेपरवाह हो जायें,
मेरे ख्वाब कुछ देर तेरी बाहों में सो जायें,

मिटा कर फ़ासले हम प्यार में खो जायें,
आ कुछ पल के लिये एक-दूजे के हो जायें।



ब तो शाम-ओ-सहर मुझे रहता हैं बस खयाल तेरा
कुछ इस कदर दुआओ सा मिला हैं मुझे साथ तेरा,

की अब कोई शिकवा और शिकायत नही उस खुदा से
बस एक तुम्हे पाकर खुशियो से भर गया ये दामन मेरा

बस तेरे नाम से मेरा नाम जुडा रहे
बस तेरे नाम से मेरा नाम जुडा रहे,
इससे नहीं फर्क बेवफाई या वफा करे;

कुछ तो हो तेरे नाम का पास मेरे,
तेरे गम से ही बेशक मेरा दिल भरा रहे.



हर दर्द की दवा हो तुम,

आज तक जो मांगी मेरी एक लौटी दुआ हो तुम,

तुम्हे मिलने की तमन्ना नहीं उठती कभी,
क्यूंकि जो हर वक़्त साथ रहती है वो हवा हो तुम.
आज मुझे ये शाम सजाने की इजाज़त दे दो
आज मुझे ये बताने की इजाज़त दे दो,
आज मुझे ये शाम सजाने की इजाज़त दे दो,

अपने इश्क़ मे मुझे क़ैद कर लो,
आज जान तुम पर लूटाने की इजाज़त दे दो.




खुदा की रहमत में अर्जियाँ नहीं चलतीं,
दिलों के खेल में खुदगर्जियाँ नहीं चलतीं,


चल ही पड़े हैं तो ये जान लीजिए हुजुर,
इश्क़ की राह में मनमर्जियाँ नहीं चलतीं.

आज भी प्यार करता हूँ तुझसे

ओ सनम अब यूँ रूठकर न जाओ दूर हमसे,


कि अब आदत सी हो गई है तुम्हारी,

तुम जो न दिखो तो अब,


न सुबह होती न शाम होती हमारी.




आज भी प्यार करता हूँ तुझसे,

ये नहीं कि कोई मिली ही नहीं,

मिलीं तो बहुत तेरे बाद पर,

तू किसी चेहरे में दिखीं ही नहीं.

तुम्हारी याद में जब मेरा दिल रोता है
तुम्हारी याद आने पर आँसू टूट जाते है

उन्हें मैं हथेलियों पर समेट लेता हूँ

और जो अटक जाते हैं होंटों पर
 मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो.


सुबह-सुबह ठंडी हवा का झोंका


मुझे चुपके से आकर छूता है












और उसमें जो सबसे तेज़ झोंका हो


तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो.


बिछड़ने के बाद से ही तुम्हारी याद आती है






तुम्हारी याद में जब मेरा दिल रोता है


रोते-रोते जो ज़ोर की हिचकी आती है


तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो.


निगाहों में अपनी हर दिन बरसात ख़ामोशी से



कहने को कह गए कई बात ख़ामोशी से


कटते-कटते कट ही गई रात ख़ामोशी से,


न शोर-ए-हवा, न आवाज़-ए-बर्क़ कोई


निगाहों में अपनी हर दिन बरसात ख़ामोशी से.











शायद तुम्हें ख़बर न हो लेकिन यूँ भी


बयाँ होते हैं कई जज्बात ख़ामोशी से,






दिल की दुनिया भी कितनी ख़ामोश दुनिया है


किसी शाम हो गई इक वारदात ख़ामोशी से.

ना जाने क्या बात थी उनमे और हममे

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,

कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा,

पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला

मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा.



 उम्र आंखो मे एक सपना याद रहा,

सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा,

ना जाने क्या बात थी उनमे और हममे,


सारी मेहफिल भुल गये बस वह चेहरा याद रहा.

ना जाने कब वो हसीन रात होगी

रोज साहिल से समंदर का नज़ारा न करो,

अपनी सूरत को शबो-रोज निहारा न करो,

आओ देखो मेरी नज़रों में उतर कर ख़ुद को,


आइना हूँ मैं तेरा मुझसे किनारा न करो.









तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ,


ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ,






मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी,


सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ.











ज़रा साहिल पे आकर वो थोड़ा मुस्कुरा देती



हसीनों ने हसीन बन कर गुनाह किया,




औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया,








पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफाई को,


औरों ने तो क्या उन्होंने भी वाह - वाह किया.







ज़रा साहिल पे आकर वो थोड़ा मुस्कुरा देती,


भंवर घबरा के खुद मुझ को किनारे पर लगा देता,

वो ना आती मगर इतना तो कह देती मैं आँऊगी,


सितारे, चाँद सारा आसमान राह में बिछा देता.

मुझे याद रखना तुम कहीं भुला ना देना



उनसे मिलने की जो सोचें अब वो ज़माना नहीं,


घर भी उनके कैसे जायें अब तो कोई बहाना नहीं,






मुझे याद रखना तुम कहीं भुला ना देना


माना कि बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं.











एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है,


जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है,






मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी कुछ कम नहीं,


मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है.

कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं

कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं,


की परेशान लोग उन्हें देख खुश हो जाते हैं,

उनकी बातों का अजी क्या कहिये,


अलफ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं.






फ़िज़ाओं का मौसम जाने पर, बहारों का मौसम आया,


गुलाब से गुलाब का रंग तेरे गालों पे आया,

तेरे नैनों ने काली घटा का काजल लगाया,


जवानी जो तुम पर चढ़ी तो नशा मेरी आँखों में आया.











ना जाने कौन सा जादू है तेरी बाहों में



तेरी सादगी को निहारने का दिल करता है,


तमाम उम्र तेरे नाम करने को दिल करता है,

एक मुक़्क़मल शायरी है तू कुदरत की,


तुझे ग़ज़ल बना कर जुबां पर लाने को दिल करता है.

 जाने कौन सा जादू है तेरी बाहों में,


शराब सा नशा है तेरी निगाहों में,
तेरी तलाश में तेरे मिलने की आस लिए,


दुआऐं मॉगता फिरता हूँ मैं दरगाहों में.














पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,


दिल में क्या है वो बात नही समझती,






तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,


पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती.











रोने की सज़ा ना रुलाने की सज़ा है,


ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है,






हसते है तो आँखों से निकल आते है आंसु,


ये उस शख्स से दिल लगाने की सज़ा है.











आप अपने सर पर क्यूँ इलज़ाम लेते हो



चंद साँसे बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो,


झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो,






जिंदगी वीरान थी और मौत भी गुमनाम ना हो,


मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो.











हम अपनी मौत खुद मर जायेंगे सनम,


आप अपने सर पर क्यूँ इलज़ाम लेते हो,






जालिम है दुनिया जीने न देगी आपको,


आप क्यूँ अपने सर पर इलज़ाम लेते हो.











सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो



आँखों में आंसुओं की लकीर बन गयी,

जैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गयी,


हमने तो सिर्फ रेत में उंगलियाँ घुमाई थी,

गौर से देखा तो आपकी तस्वीर बन गयी.








सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,

नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,


हजारों फूल देखे हैं इस गुलशन में मगर,

खुशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो.


अपने महबूब को खुदा कर दिया



वो हमें भूल भी जायें तो कोई गम नहीं,
जाना उनका जान जाने से भी कम नहीं,


जाने कैसे ज़ख़्म दिए हैं उसने इस दिल को,
कि हर कोई कहता है कि इस दर्द की कोई मरहम नहीं.









अपना होगा तो सता के मरहम देगा,

जालिम होगा अपना बना के जख्म देगा,










समय से पहले पकती नहीं फसल,


अरे बहुत बरबादियां अभी मौसम देगा.













सुकून अपने दिलका मैंने खो दिया



सुकून अपने दिलका मैंने खो दिया,


खुद को तन्हाई के समंदर मे डुबो दिया,


जो थी मेरे कभी मुस्कराने की वजह,


आज उसकी कमी ने मेरी पलकों को भिगो दिया.






आप से दूर हो कर हम जायेंगे कहा,


आप जैसा दोस्त हम पाएंगे कहा,


दिल को कैसे भी संभाल लेंगे,


पर आँखों के आंसू हम छुपायेंगे कहा.
 आँखों को दीदार तुम्हारा मिल गया



अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें,


कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए हैं,






यह इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें,


इक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है.











मुझको फिर वही सुहाना नजारा मिल गया,


इन आँखों को दीदार तुम्हारा मिल गया,






अब किसी और की तमन्ना क्यूँ मैं करूँ,


जब मुझे तुम्हारी बाहों का सहारा मिल गया.











जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं



मेरी रूह में न समाती तो भूल जाता तुम्हे,


तुम इतना पास न आती तो भूल जाता तुम्हे,






यह कहते हुए मेरा ताल्लुक नहीं तुमसे कोई,


आँखों में आंसू न आते तो भूल जाता तुम्हे.











जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं,


वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं,






झूठा ही सही मेरे यार का वादा है,


हम सच मान कर ऐतबार करते हैं.











मेरी हर साँस पर बस तेरा ही नाम है



मेरी एक खवाहिश है जो तुम हों,

मेरी एक चाहत है जो तुम हों,


एक ही मेरी दुआ एक ही मेरी फरियाद

बस एक ही मेरी मोहब्बत है जो तुम हों.






मेरी चाहते बढने लगी है,


मुझे तेरी जरूरत होने लगी है,






बस बाहों में आ जाओ मेरी


मुझे तुम से मोहब्बत होने लगी है.





दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते हैं



कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम;


उस निगाह-ए-आशना को क्या समझ बैठे थे हम;






रफ़्ता रफ़्ता ग़ैर अपनी ही नज़र में हो गये;


वाह री ग़फ़्लत तुझे अपना समझ बैठे थे हम;






होश की तौफ़ीक़ भी कब अहल-ए-दिल को हो सकी;


इश्क़ में अपने को दीवाना समझ बैठे थे हम;










बेनियाज़ी को तेरी पाया सरासर सोज़-ओ-दर्द;


तुझ को इक दुनिया से बेगाना समझ बैठे थे हम;






भूल बैठी वो निगाह-ए-नाज़ अहद-ए-दोस्ती;


उस को भी अपनी तबीयत का समझ बैठे थे हम;






हुस्न को इक हुस्न की समझे नहीं और ऐ 'फ़िराक़';


मेहरबाँ नामेहरबाँ क्या क्या समझ बैठे थे हम।




वो भी क्या दिन थे की हर वहम यकीं होता था



किस को क़ातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ

सब यहां दोस्त ही बैठे हैं किसे क्या समझूँ


वो भी क्या दिन थे की हर वहम यकीं होता था

अब हक़ीक़त नज़र आए तो उसे क्या समझूँ






दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे

ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँ


ज़ुल्म ये है कि है यक्ता तेरी बेगानारवी

लुत्फ़ ये है कि मैं अब तक तुझे अपना समझूँ










हम मुसाफिर सफ़र पे ही चलते रहे



वक़्त बदल गया पर बदली सिर्फ कहानी हे.


साथ मेरे ये खूबसूरत लम्हों की यादे पुरानी हे,


मत लगाओ मेरे ये दर्द भरे ज़ख्मो पे मलम,


मेरे पास सिर्फ उनकी बस यही एक निसानी हे.






वो सूरज की तरह आग उगलते रहे,


हम मुसाफिर सफ़र पे ही चलते रहे,


वो बीते वक़्त थे, उन्हें आना न था,


हम सारी रात करवट बदलते रहे.















प्यार की कली सब के लिए खिलती नहीं,


चाह कर भी हरेक एक चीज मिलती नहीं,


सच्चा प्यार किस्मत से मिलता है,


पर हर एक को ऐसी किस्मत मिलती नहीं.






आँख तो प्यार में दिल की ज़ुबान होती है,


सच्ची चाहत तो सदा बे-ज़ुबान होती है,


प्यार में दर्द भी मिले तो क्या घबराना,


सुना है दर्द से ही चाहत और जवान होती है.




जिंदगी बेच दी मैंने इसे पाने की खातिर



मुफलिसी जब बदनसीबी में बदलने लगी

और मोहब्बत मेरी बेबसी में बदलने लगी


तब प्यार भरे गीतें को नीलाम कर दिया

शायरी जब मेरी आवारगी में बदलने लगी.



निगाहे बदली मगर अहदे वफ़ा नहीं बदला

तूफानों में कभी हमने नाखुदी नहीं बदला


बहारे आई और आकर चली गयी ओ ग़ालिब

मेरे चमन से लेकिन दौरे खिज़ा नहीं बदला.












इतना भी न सताओ अपने चाहने वालो को



मोहब्बत से गम,गम से हम पेरशान है

लाखो हैं दीवाने तेरे,मगर हम ही बदनाम है


इतना भी न सताओ अपने चाहने वालो को

पागल दीवाने ही सही मगर फिर भी इंसान तो है.













खूबसूरती तो बहुत दी खुदा ने तुम्हे

मगर हमें तुम्हारी वफ़ा ना मिल सकी


बहुत आग दी हमने बुझते चिराग को

मगर मोहब्बत की शमा जल ना सकी.














गमो की गहराई में अगर छोड़ आते हमें



अगर मुझ पर ऐतबार किया होता

तो आपको जाने क्या दिया होता


गमो की गहराई में अगर छोड़ आते हमें

तो भरी महफ़िल में ना ज़हर पिया होता







हमसे रूठ जाने की खता कब तक याद करोगे

हम मर जाएंगे तेरी याद में तो याद करोगे


फिर ना हम यहाँ लोट कर आएगें

रो रोकर मिलने की फरियाद करोगे




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