Saturday, 7 April 2018

ख़याल की छाँव...






ख़याल की छाँव...


तपिश से बच कर घटाओं में बैठ जाते हैं,

गए हुए की सदाओं में बैठ जाते हैं,

हम अपनी उदासी से जब भी घबराये,

तेरे ख़याल की छाँव में बैठ जाते हैं।








ऐ नए साल बता...


ऐ नए साल बता कि तुझमें नया क्या है,

हर तरफ खल्क ने क्यूँ शोर मचा रखा है।




तू नया है तो दिखा, सुबह नई शाम नई,

वर्ना इन आँखों ने देखे हैं ऐसे साल कई।








मौजूद थी उदासी...


मौजूद थी उदासी अभी पिछली रात की,

बहला था दिल जरा कि फिर रात हो गयी।










बताओ है कि नहीं...


बताओ है कि नहीं मेरे ख्वाब झूठे,

कि जब भी देखा तुझे अपने साथ देखा।








मत फेंक पानी में...


मत फेंक पानी में पत्थर,

उसे भी कोई पीता होगा,

मत रह यूँ उदास जिन्दगी में,

तुम्हें देखकर कोई जीता होगा।

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