Sunday 28 April 2019

Emotional Support



क्या माँ बनने का मतलब अपने असली अस्तित्व को ख़तम कर देना? क्या अब आप जवान नहीं रहे?





वक़्त का पता ही नहीं चला और ना जाने कब आप माँ-माँ करते खुद माँ कहलाने वाले हैं। आपको अंदाज़ा भी नहीं है पर यह कितनी बड़ी खुशनसीबी है। ज़रा उनसे पूछें जो माँ कहलाने के लिए तरस रहें हैं। 




असल बात यह है की यह जितनी बड़ी ख़ुशी है उतना ही बड़ा बदलाव।हम आमतौर पर ध्यान नहीं देते पर आप एक नई जान को इस दुनिया में लाने जा रही हैं। वह जान जो आपकी जिम्मेदारी है। वह जान जो आपका अंश है। वह जान जो आपका और आपके प्यार का प्रतिक है। यह नन्ही सी दुनिया आपको माँ कहकर जल्द ही बुलाने वाली है। 



पर क्या इन सब में आप खुद को कहीं खो रही हैं? क्या आपको कभी कभी ऐसा महसूस होता है की आपके जीने के मायने बदल रहे हैं? क्या आपको ऐसा लगता है की आप खुद पर ध्यान नहीं दे पा रही हैं ? क्या ऐसा लगता है की ज़िन्दगी में आपका अस्तित्व काम हो रहा है ?

जो लोग पहले आपका नाम जपते थे वह अब आपका प्यार शिशु से बाँट लेंगे।क्या आपके पति सिर्फ आपके नहीं रहे?


दिमाग में ऐसे ख्याल आना स्वाभाविक है और हम यह समझते हैं। 




यह लेख बस इसलिए लिखा है ताकि मैं आपको बता सकूँ की शिशु को जन्म देने की प्रक्रिया में खुद को न खो दें। यह प्रक्रिया आपकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा है। ज़िन्दगी आगे चलती रहेगी। आपको आज भी मनचाहे कपडे पहनने का, अपनी माँ की गोद में सर रखकर सोने का, अपने पिता से ज़िद करने का, पति के साथ एकान्त समय बिताने का पूरा अधिकार है। 


आप आज भी उतनी ही जवान हैं और आपकी एक खुद की दुनिया है जिसमें वह शिशु एक बहुत अहम् भूमिका निभाएगा और वह शिशु की अपनी दुनिया है जिसमें आप एक अहम् भूमिका निभाएंगी।


मेरे मन की आवाज ..... ( मेरी तन्हाई)माँ बनते बनते अपने अंदर के बचपने को मत खो दें बल्कि अपने शिशु के साथ अपने बचपन को दोहराएं।दुनिया में लोगों की ज़िन्दगी में आपकी जगह कोई नहीं ले सकता फिर चाहे वह आपका शिशु क्यों ना हो।


लोग अक्सर यह सोचते हैं की उनके शौक अब सब ख़तम क्यूंकि अब जो भी हैं वह शिशु का है। हम समझते हैं आपकी ज़िन्दगी में शिशु का महत्तव पर आपके शौक, आपकी ज़िन्दगी, आपके लोग बस आपके हैं और यह शौक पूरे आपको ही करने हैं। 




शिशु के आगमन को यौवन का अंत न समझें बल्कि एक नई खुशहाल शुरुआत समझें। आपका इस दुनिया में अस्तित्व दोगुना हो गया है।


दुनिया में हो रही इस गलती के लिए लोगों को जागरूक करें।





दहेज़ या पिता का उपहार - क्या इसमें है ससुराल वालों का अधिकार?



एक पिता और एक बेटी का रिश्ता ऐसा होता है की दोनों एक दूसरे के लिए सबकुछ न्योछावर कर सकते हैं। अग्नि से पवित्र इस रिश्ते की क्या कमज़ोरी है यह दहेज़? पिता का बेटी की तरफ प्रेम का क्या लोग फायदा उठाना चाहते हैं?

असल बात तो यह ही है की पिता अपनी पुत्री को हर परिस्थिति में सुखी देखना चाहते हैं। नाज़ों से पली अपनी फूल जैसी पुत्री पर कैसे वह कभी ऊँगली उठते हुए देख सकते हैं? पिता अपनी बेटी को हर तरीके से मज़बूत देखना चाहते हैं। वह नहीं चाहते की उनकी बेटी को किसी भी रूप में बोझ समझा जाये। परिणामस्वरूप वह जो बन पाए हसी ख़ुशी कर बैठते हैं। फिर चाहे उसे पिता का अटूट प्यार कहें या दहेज़?

आप सोच रहे होंगे की यह कैसी तुलना है? जी हां, सच सुना आपने। आइये इस बात की गहराई में देखते हैं -
भारतीय संस्कृति

क्या यह दहेज़ प्रथा हमेशा से भारत संस्कृति में थी? क्या भारतीय संस्कृति में हमेशा से औरतों का स्तर इतना नीचे था?
दूसरे तरफ देखा जाए तो भारत वह देश मानागया है जहाँ औरतों तो सर्वोत्तम सम्मान दिया जाता है।भारतीय संस्कृति के सबसे शक्तिशाली भगवानों में देवियों को पूजा जाता है। जिस देश में विद्या की देवी सरस्वती, शक्ति की देवी दुर्गा और धन की देवी लक्ष्मी को माना गया है, उस देश में कैसे स्त्रियों को यह स्तर दिया गया होगा?

यहाँ तक हमारी संस्कृति में तो मना जाता है की स्वयंवर का रिवाज़ था। इसका मतलब यह है की स्त्रियों के पास यह अधिकार था की वह खुद का जीवन साथी चुनें। फिर आखिर ऐसा क्या हुआ जो दहेज प्रथा का आरम्भ हुआ?
दहेज़ प्रथा कैसे और कब शुरू हुई?

यह शुरू हुआ जब अंग्रेजों ने भारत में स्त्रियों से धन - संपत्ति रखने का अधिकार छीन लिया। पहले पिता अपने पुत्री को धन - संपत्ति उपहार स्वरुप देते थे। यह एक प्यार की नीशानि थी और यह सम्पत्ति यह निश्चित करती थी की उनकी पुत्री किसी पर भी निर्भर न रहे। स्त्रियों का अपना सम्मान होता था।

फिर अंग्रेजों ने यह कानून निकाला की महिलाओं की संपत्ति पूरी तरीके से उनके पति की होगी। वह खुद के नाम पर कुछ नहीं रख सकती। यहाँ से शुरुवात हुई लालच भरी इस प्रथा की। लोग स्त्रियों को धन से तोलने लगे।दुल्हन को कमाई का जरिया बना लिया गया।प्यार भरा पिता का उपहार अब दहेज़ बन गया।
क्या यह आज किसी और रूप में हो रहा है?

देखा जाए तो तब की बात अलग थी। तब स्त्रियां शिक्षा से अक्सर वांछित रहती थी।ज़िन्दगी भर वह अपने पिता के घर में सहायक की तरह रहती थीं। तब पिता अपनी पुत्री की ससुराल में सुरक्षा हेतु संपत्ति उपहार में देते थे।
पर क्या आज भी यही अमल होना चाहिए?

एक पुत्री होने के नाते हम आज समझ सकते हैं की बचपन से हमें पिता एक बेटे की तरह पालन पोषण करते हैं।ज़रुरत की चीज़ों और शौक से लेके उच्च स्तर की शिक्षा तक, हमें क्या कुछ प्रदान नहीं करते। फिर यह कैसा न्याय? शादी में सुरक्षा हेतु क्यों वह अब अपनी जीवन की पूँजी हमें दें जब उन्होनें हमें इस काबिल बना ही दिया है की हम अपना मान रखें।

क्या आज भी उपहार के नाम पर पिता के सर पर बूझ है? क्यों आज भी ससुराल वालों को बहुओं से उम्मीद होती है? क्यों आज भी महिलाओं के धन लाने पर सास ठाट दिखाती है? यह एक पिता और पुत्री के बीच का मुद्दा होना चाहिए। पुत्री प्रेम में उन्हें जो देना है जितना देना है वह उनकी मर्ज़ी है, इसमें ससुराल वालों की कोई दखलंदाज़ी नहीं होनी चाहिए।इसमें ससुराल वालों का कोई अधिकार नहीं हैं। यह बहु की संपत्ति है और इसमें वह जिसे चाहे अपनी भागीदार बना सकती है।

उपहार वह होता है जो दिल से बिना बोझ से दिया और लिया जाए। फिर ऐसे उपहार को शर्त बनाकर दाहेज जैसी कुप्रथा न सम्बोधित करें।

आखिरी में मुझे बस यह कहना है की बेटियों का पूरा अधिकार है अपने माँ- पिता से उपहार लेने का लेकिन उस उपहार में सिर्फ उनका ही अधिकार है। ससुराल वालों की नाम पर जबरदस्ती यह उपहार देना दहेज़ कहलाता है जिसका हम बेटियां कहे दिल से विरोध करेगी।




गर्भवती से माँ बनने की यह अद्भुत कहानियां - कहाँ, कब, कैसे ?






प्रसव की यह अद्भुत कहानियां जानिए और इनसे सीखीए, क्या पता यह अजीब घटना आपके साथ भी हों जाए।

1. सुबह उठना और डिलीवरी

“ मैं उठकर बैठ गई, फिर बाथरूम की ओर भागी और टोइलेट में बैठी। उस समय मुझे ध्क्का लगाने की जरूरत महसूस हुई। मेरी सास ने मुझे ऐसा करने से मना किया लेकिन मैंने ऐसा ही किया और फिर इसमें सिर्फ दो धक्के लगे और हमारी बेटी लिह का जन्म हुआ। नई माताओं के लिए जानकारी: अगर यह कभी आपके साथ होता है, तो घबराएं नहीं, इससे शिशु पर और दबाव पड़ता है और आप ऐसा नहीं चाहते होंगे। कोई भी दर्द अगर आप महसूस करें, तो अस्पताल जाएं क्योंकि समय का कोई भरोसा नहीं है।
2. मुझे पता नहीं था मैं गर्भवती थी 

“ डॉक्टर ने मेरी गर्भाशय ग्रीवा की जांच की और बताया की वह फैल रहा है और शायद आज रात को मुझे बच्चा हो सकता है। ना सिर्फ मुझे पता लगा की मैं गर्भवती थी,लेकिन यह भी की मैं जन्म दूंगी। उसके बाद डॉक्टर ने मुझे बर्थ सेंटर भेजा, जहां हमें शिशु का लिंग पता लगा ( लड़की) और हमने उसके दिल की धड़कन सुनी। उन्होंने मुझे दाखिल करने का फैसला किया क्योंकि मेरा संकुचन तीव्र था। और अंत में अगले दिन की मध्यरात्रि को मुझे मेरी बेटी मिली। नई माताओं के लिए जानकारी: आपको सच्चे प्यार और खुशी का पता तब-तक नहीं होगा, जब-तक की आपके पास अपना शिशु ना हो।
3. एक खुशी का लम्बा इंतजार

“ पांच सालों में मैंने पांच गर्भपात का सामना किया। मैंने दो को द्वितीय तिमाही और तीन को प्रथम तिमाही में खोया था। आखिरकार जब मैं दोबारा गर्भवती हुई, तो हर रोज मौत का डर मुझे सताता था। मुझे बहुत चिंता होती थी की मैं शायद इसे भी खो दूंगी। खुशियों का लम्बा इंतजार दिसंबर,2011 में मेरे पास आया। यह भावना हमेशा मुझे महसूस होती है,मेरा मन खुशी से चिल्लाने को हुआ,जब मैंने देखा की आखिरकार वो मेरे पास है। माताओं के लिए जानकारी: कोशिश करें की आप पर्याप्त नींद लें और यदि कोई मदद करना चाहता है, तो उन्हें करने दें।

4. समय ही सबकुछ है

डिलीवरी के दरवाज़े से चौदह मिनट की दूरी… मेरी बेटी मुझसे 13 साल 55 मिनट दूर थी। यह सच है, जब वह कहते हैं की गर्भ याद रखता है और जाहिर तौर पर संसार भी करता है। पहला आठ हफ्ते पहले और शिशु तीन हफ्ते पहले था… मेरे जीवन की अजीब घटना और इसमें लोगों और जीवन की कोई योजना शामिल नहीं थी।” नई माताओं के लिए जानकारी: चिंता मत कीजिए, नींद ऐसी चीज़ है जिसके बारे में आपको जल्द पता चलेगा।

5. गाड़ी में जन्म 

“ मैं सुबह 5:28 बजे उठी वह भयानक और दर्दनाक संकुचन के साथ जो की सिर्फ चार मिनट दूर था। हमने जल्दी-जल्दी सामान रखा और हम पांच मिनट में निकलने वाले थे। मैंने और तिव्रता से संकुचन महसूस किया। रोड पर होने के कुछ ही मिनटों में यह केवल दो मिनट की दूरी पर था की संकुचन और दर्दनाक होने लगा। अस्पताल जाने वाली रोड पर, अपनी गाड़ी की पैसेंजर सीट में मैंने जन्म दिया,जबका मेरा बायफ्रेंड तब भी गाड़ी चला रहा था। नई माताओं के लिए जानकारी हमेशा अनेपक्षित की उम्मीद करें और तब सोएं,जब शिशु सोता हो।

क्या शादी के बाद जब आप अपनी मां से मिलने जाते हैं तो यह होता है?





मां किसी सुपरवुमन से कम नहीं होती,वह बहुमुखी प्रतिभा और खुबसूरती की रानी होती है। जब भी आपको उनकी जरूरत होती है वह हमेशा आपके लिए समय निकालती है। मां वास्तविक रुप में भारतीय देवी की तरह होती है जो जीवन को संतुलित बनाए रखती है।

जरुरत पड़ने पर वह गुस्सा करती है। वह किसी फरिश्ते की तरह होती है जो जरुरत पड़ने पर आपको आशीर्वाद और प्यार देती है।

मां से आप कितना ज्यादा प्यार करते हैं, इसका एहसास आपको शादी के बाद ही होता, जब आप अपने पति के साथ रहने के लिए चली जाती है। वह प्यारा और दुलार जिसकी जरूरत आपको है,वह सब आपके मायका में वह आपको देती है।
1. ख़रीददारी

एक बच्चा होने के नाते, आपको कुछ भी खरीदने से डर नहीं लगता है। आपकी ख़रीददारी की इच्छा हमेशा बनी रहती है। आप हमेशा अपनी मां की नन्ही परी रहेंगी और ख़रीददारी दो औरतें के रिश्ते को बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका है।
2. मां के हाथ का खाना 

यह बिल्कुल सच है कि कोई भी मां के हाथ के खाने की जगह नहीं ले सकता है। हो सकता है अपनी गृहस्थी में आप रसोई-घर की रानी हों लेकिन अपने घर पर बना मां के हाथ का खाना आपको अलग ही एहसास दिलाएगा। मां के हाथ में कभी खत्म ना होने वाला जादू होता है जिससे वह स्वादिष्ट खाना बनाती है। उनकी रोटियाँ हमेशा गोल मुलायम होती है क्योंकि उसमें एक खास सामग्री मिली होती है, जी हां मां का प्यार।
3. मुफ्त मास्टर शेफ की क्लास 

चूंकि आपने उनके साथ बहुत समय बिताया है, तो आपको पता होना चाहिए की आप उनसे नए व्यंजन सीखने की हक़दार हैं। वापस घर जाकर अपने पति को अपने नए पाक कौशल को दिखाने का यह शानदार मौका है।
4. गपशप

इस बात को तो आप मानेंगे की बचपन मे हमें गपशप सुनना बहुत अच्छा लगता था और हमने चुपके से बहुत से ताज़ा ख़बरें भी सुनी थी। लेकिन अब आप बड़े हो गए हैं और खुद अपने रहस्य बताने के काबिल हो गए हैं, तो ऐसे में मां के साथ गप्पे लड़ाना और भी मजेदार हो जाता है। आपकी मां का दृष्टिकोण और वह बातें जो आप करती है, उससे आपका रिश्ता और भी मजबूत हो जाता है। तो जब भी आप कुछ नया मसालेदार सुनती है तो आप स्वयं को नियंत्रित नहीं रख पाती है और जल्द से जल्द अपनी मां को यह सब बताना चाहती है।
5. उनके मनपसंदीदा रेस्टोरेंट में खाना खिलाना 

अपनी मां को उनके पसंदीदा रेस्टोरेंट में ले जाना और उन्हें उनके पसंदीदा व्यंजनों की दावत देना। इससे सभी भावनाएं व्यक्त होगी और आपकी मां को कुछ हसीन पल मिलेंगे। खाने का स्वाद पक्का आपके रिश्तों में भावनाओं को बढ़ाएगा।
6. बचपन की यादें 

हमारे सांस लेने के बाद से मां ही हमारी ह्यूमन डायरी होती है। जब भी आप घर जाएं,तो उस एल्बम को खोलें जिसमें आपके बचपन की तस्वीरें हो। उन्हें यह बताने में बहुत अच्छा लगेगा की बचपन में आप कितने मजाकिया थे और अपने मोटे गालों में आप कितने प्यारे लगते थे। उनके पास आपकी कहानी सभी को सुनाने का बेहतर तरीका होगा। सभी आपके मां के शब्दों द्वारा जानेंगे की आप बचपन में कितनी शैतान थी। सबसे ज्यादा खुशी आपको अपनी मां की गोद में सर रखकर, अपने बचपन के क़िस्से सुनने में मिलेगी।
7. साथ होने का एहसास 

जब आप अपनी मां से मिलते हैं तो आपके दिमाग में उन्हीं के ख्याल होते हैं। उनकी हर बात, उनकी हंसी,मजाक और उनकी मोजूदगी आपको खुश करती है। उनका प्यार से गले लगाना आपको सहजता और संरक्षण देता है। यहां तक कि अगर आप मां के आसपास यूं ही घूम रहे हैं तो भी यह आपको खुशी देगा और सकारात्मक महसूस कराएगा।
तो समय आ गया है की आप अपनी मां से जल्द से जल्द मिलें। अगर नहीं तो उन्हें फोन कॉल कीजिए क्योंकि वह आपसे बस एक काल की दूरी पर है।




शिशु के सम्पूर्ण विकास में घर के माहौल व पति-पत्नी के आपसी प्रेम का महत्व



शिशु के जन्म के बाद उसको कब स्तनपान कराएं, कब उसका नैप्पी बदलें, कब उसको सुलायें, कहाँ और कैसे सुलायें इन सभी बातों पर तो ध्यान दिया जाता है। लेकिन क्या इनके अतिरिक्त घर के माहौल और पति-पत्नी उनके आपसी सम्बन्ध की भूमिका समझ पाये हैं?

जिस प्रकार शिशु गर्भ में माँ की हरकतों, खानपान और मूड से प्रभावित होता है, उसी प्रकार जब उसका जन्म होता है तो आराम और आहार तो उसको प्रभावित करते ही हैं, साथ ही बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका उसके घर का माहौल यानि की माँ-बाप का रिश्ता भी निभाता है।

इस पोस्ट में हम आपको आपके वैवाहिक जीवन में मिठास का महत्व और उसे बनाये रखने के लिए टिप्स भी देंगे।

सुखी दंपत्ति अपने बच्चे पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।

जिन पति-पत्नी में स्वस्थ्य वार्तालाप होता है, उनमें बच्चे को लेकर भी ज़रूरी विषयों पर बातचीत होती है। इंसान सुखी होता है तो उसका काम में मन लगता है, साथ ही वह ज़रूरी चीज़ें भी भूलता नहीं।

सुखी दंपत्ति की सकारात्मक ऊर्जा बच्चे को स्वस्थ्य रखती है

शिशु कैसा भी हो परन्तु घर की खुशहाली बच्चे को भी हंसमुख इंसान बनाती है। वे हर किसी की गोद में मुस्कुराते हैं, और उनके साथ खेलने में मज़ा आता है। उनके समपर्क में आने वाले इंसान में भी पोसिटिव एनर्जी का संचार होता है।

पति पत्नी एक-दूसरे को सम्मान देते हैं तो बच्चे को अन्य लोगों का आदर करना भी आता है

बच्चा अपने आस-पास के माहौल को बेहतर ग्रहण करता है। इसलिए उसको यह शिक्षा देना की सबका सम्मान करो, अंकल-आंटी से चिढ़ो मत से अच्छा है की पति-पत्नी खुद बच्चे से धीमी आवाज़ में बात करें, आपसी मतभेद को शिशु के सामने न ज़ाहिर करें ताकि बच्चा गलत आदतें पहले न सीखें।

शिशु के अच्छी मानसिक व शारीरिक सेहत के लिए

माँ-बाप आपस में प्यार से रहते हैं तो इससे बच्चे की सेहत पर भी अनदेखा प्रभाव पड़ता है। यकीन मानें आपका बच्चा अगर बीमार पड़ जाए तो भी घर में स्नेह की खुशबु उसको निरोगी होने में मदद करती है।

हम आशा करते हैं की आप सभी बच्चे की परवरिश में केवल माँ को ही ज़िम्मेदारी न दें। इसमें बच्चे के पिता का भी योगदान देना ज़रूरी है। उसे पत्नी का हमसफ़र होने के नाते शिशु की पारवरिश में भागीदार होना चाहिए।

इसे शेयर करना न भूलें और अपने पति को टैग करें।
पति अपनी पत्नी को प्यार का इज़हार किन इशारों से करते हैं



मर्दों को प्यार बयान करना नहीं आता लेकिन उनकी हरकतों से आप उनकी मंशा समझ सकती हैं। चलिए हम आपकी मदद करते हैं आपके पति के अनकहे प्यार को समझने में।

1. पति पत्नी की बात सुनता है

जो इंसान आपको प्यार करेगा वो आपसे बात करने के लिए उत्सुक रहेगा। कहते हैं इंसान का प्यार उसकी आँखों से झलकता है। आपसे बात करते समय आपको आपके पति के हाव-भाव देख कर समझ आ जायेगा की वो आपसे कितना प्यार करते हैं।

2. पति आपको समय देते हैं

जो इंसान आपको प्यार करता है वो यकीनन आपके लिए वक्त निकालेगा। आपके पति अपनी व्यस्त दिनचर्या में भी आपके साथ समय बिताते हैं तो समझ लीजिये की उन्हें आपसे बेहद प्यार है।

3. पति आपके पसंदीदा खाने को याद रखते हैं

यदि आप चायनीज़ की शौक़ीन हैं या आपको ढोखला अच्छा लगता है, यदि आप छोले भटूरे की शौक़ीन हैं या समोसे चखना पसंद करती हैं, आपके पति इसे याद रखते हैं और ऑफिस से घर आते समय आपके लिए स्नैक्स लाते हैं या फिर वीकेंड पर आपको बाहर आपके पसंदीदा रेस्टोरेंट लेकर जाते हैं, इसका मतलब है की वे आपको चाहते हैं और आपको खुश करने के लिए आपके पसंदीदा खाने को खाते हैं।

4. पति पत्नी को वीकएंड पर घुमाने ले जाते हैं

जिन पतियों को अपनी पत्नी से बहुत प्यार होता है वे ज़ाहिर सी बात है की उनके साथ अधिक समय बिताना चाहते हैं। इसलिए कुछ रोमांटिक पुरुष अपनी पत्नियों को वीकेंड पर बाहर घुमाने ले जाते हैं, चाहे हो खेल कूद के लिए जाएं या फिर पिक्चर देखने। वे लॉन्ग ड्राइव पर भी निकल सकते हैं।

5. पति पत्नी के साथ व्रत रखते हैं या खुद ही पत्नी के लिए व्रत करते हैं

ज़रूरी नहीं की सब लेकिन कुछ पुरुष अपनी पत्नियों के साथ या अकेले उनकी सलामती और लम्बी उम्र के लिए व्रत रख सकते हैं। इससे पत्नी को कम्पनी मिलती है साथ ही उन्हें स्पेशल फील होता है।

6. पत्नी के लिए तोहफा ला सकते हैं

कभी आपके पति को आप पर अद्धिक प्यार आये तो वे आपके लिए बिना किसी वजह तोहफा ला सकते हैं। यह कोई कपड़ा, आभूषण, डिओडरेंट या आपके पसंद की किताब भी हो सकती है। हो सकता है आपको कई दिनों से किसी चीज़ की ज़रूरत हो जिसका ज़िक्र आपने अपने पति से किया हो। आपके पति ने उसे याद रख कर आपके लिए प्यार से खरीदा हो।

7. पति पत्नी की बातें याद रखते हैं

जब आपके पति को आपमें दिलचस्पी होती है तो वे आपसे जुड़ी बातों को न केवल सुनते हैं बल्कि उन्हें याद भी रखते हैं। उदाहरण के लिए आपकी फेवरट ड्रेस, या आपका फेवरट टीवी सीरियल, आपको कौन सा रंग पसंद है या आपको किस चीज़ से अलेर्जी है। पति आपकी जन्म तिथि से लेकर आपकी बेस्ट फ्रेंड के बारे में भी जानते हैं। इसे कहते हैं प्यार।

8. पति आपसे अपने बारे में बात करें और वो भी खुलकर

जो इंसान आपसे प्यार करता है वो आपसे अपनी निजी बातें शेयर करेगा। मुँह सील कर रहना मतलब इंसान व्यस्त है या आपमें रूचि नहीं है इसका इशारा करता है। इसलिए आप अपने पति के बात करने के लहजे से अपने पति की मनोभावना समझ सकती हैं।

9. पति आपकी तारीफ करते हैं

जिन पतियों को अपनी पत्नी से प्रेम होता है वे केवल उन्ही के ख्वाबों में खोये रहते हैं। ये कहना गलत नहीं होगा की उन्हें अपनी बेटर हाफ किसी फिल्म अभिनेत्री से काम नहीं लगती। खामियां तो सबमें होती हैं परन्तु आपके पति आपकी खामियों को नज़रअंदाज़ कर आपकी सुंदरता को सराहते हैं।

10. पति आपकी दी गई चीज़ें इस्तेमाल करते हैं

जब आपके पति आपसे प्यार करते हैं तो आपके दिए हुए उपहार को इज़्ज़त देते हैं। आपकी दी हुई जींस या पैंट को पहनते हैं और उसकी प्रशंसा भी करते हैं। ऐसे में आप भी प्रोत्साहित होंगी और अगली बार अपने पति के लिए कुछ करने का दिल करेगा वरना आपके पति के व्यवहार से ही आप उन्हें अगली बार कुछ ना देने का भी निर्णय ले सकती हैं।

11. आपकी दी गई सलाह/बात मानते हैं साथ ही आपसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर आपका नज़रिया भी मांगते हैं

आपके पति ज़रूरी बातों में आपका सुझाव मांगते हैं, आपसे ज़रूरी या घर के अहम् मुद्दों के बारे में चर्चा करते हैं, आपकी बात सुनते हैं और सही होने पर उसे अपनाते हैं तो यह इशारा करता है की वे आपको चाहते है और घर में आपकी इज़्ज़त करते हैं। नहीं तो वो आपको बिना बताये खुद से भी कोई कदम उठा सकते हैं।

12. पति आपके साथ खुल कर हँसते हैं

जिन दम्पति में आपसे में अच्छा सेहतमंद हंसी-मज़ाक होता है, तो समझ लिए की उनकी आपस में अच्छी कम्पैटिबिलिटी है। इन पति पतियों में आपस में अच्छा प्यार और तालमेल होता है। यदि आपके पति भी आपके साथ हंसी-मज़ाक करते हैं तो आप समझ सकती हैं की वे आपको बेहद चाहते हैं।

13. घर के बाहर वे आपको कैसे ट्रीट करते हैं /सार्वजानिक जगहों पर वे आपके साथ कैसे पेश आते हैं 


जो पति मॉल, पार्क, रेस्टोरेंट, मूवी देखने समय अपनी पत्नी की कम्फर्ट का ध्यान रखते हैं, उनके प्रति फिक्रमंद होते हैं, वे निःसंदेह अपनी पत्नी को बहुत चाहते हैं। जो पति अपने दोस्तों के सामने या रिश्तेदारों के सामने पत्नी को इज़्ज़त देते हैं, उनसे तमीज से पेश आते हैं, ऐसे पति अपनी पत्नी को बहुत प्यार करते हैं।

हम आशा करते हैं की आप सुखद वैवाहिक जीवन व्यतीत करें। पति के इशारों को समझें क्योंकि ख़ामोशी भी अपने आप में बहुत कुछ कह जाती है। अपने पति को टैग करें। इसे अन्य लोगों के साथ शेयर भी करें।

प्रेगनेंसी में एच.आई.वी(HIV) से जुड़े आम भ्रम






HIV का वायरस आम तौर पर असुरक्षित सेक्स में योनि द्वार के माध्यम से या फिर मल के छेद से अंदर से शरीर में प्रवेश करता है। यह मुखमैथुन से नहीं होता, परन्तु अगर मुँह से संक्रमित दाने,रक्त या फिर वीर्य संपर्क में आ जाये तो HIV हो जाता है।

अगर कोई HIV से संक्रमित हो जाये तो इसके लक्षण दिखने में 10 साल तक लग सकते हैं। सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाये तो इंसान के बचने और ठीक होने की उम्मीद बढ़ जाती है वरना बीमारी भीषड़ रूप धारण कर लेती है।

HIV के इर्द-गिर्द कई मिथ्यायें तैरती हैं। इसलिए आपको पुख्ता जानकारी देकर हम आपका स्वास्थ्य सुरक्षित रखना चाहते हैं।

1. मुख मैथुन से HIV नहीं होता

पति के लिंग को मुँह में लेने से खतरा कम ज़रूर होता है परन्तु पूरी तरह से मिटता नहीं है। अगर आपके मुँह में संक्रमित रक्त या वीर्य आ जाता है तो उसमें मौजूद HIV वायरस आपपर हमला कर देते हैं। आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है।

2. HIV होने पर उसके लक्षण देख कर जल्दी पता लगा सकते हैं

यह झूट है। HIV के लक्षण पूर्ण रूप से विक्सित होकर शरीर में दिखने के लिए दस साल तक ले सकते हैं। शुरुवात में तो आप खुद उन्हें किसी मामूली बीमारी का लक्षण समझ कर नज़रअंदाज़ कर देंगी।

फ्लू या ठण्ड लगने जैसे लक्षण बीमारी लगने के 2 से 4 हफ़्तों के अंदर दिखने लगते हैं। आपको बुखार चढ़ेगा, रात में बदन से पसीना बहेगा, मांसपेशियों में दर्द होगा, गले में खराश और टॉन्सिल की शिकायत आ जाएगी।

सबसे सही जानकारी आपको भरोसेमंद डॉक्टर की मेडिकल जाँच से प्राप्त हो जाएगी।

3. HIV होने के बाद स्वस्थ्य यौन सम्बन्ध नहीं बनाये जा सकते

दरअसल यह गलत है। जब मरीज़ एंटी-रेट्रोवायरल दवाइयां लेने लगता है तो वो एक साथी के साथ ही शारीरिक सम्बन्ध रखे। इससे उसे तकलीफ नहीं होगी। उसे अन्य मरीज़ के साथ यौन सम्बन्ध नहीं रखने चाहिये।

4. HIV Positive महिलाएं बच्चे पैदा नहीं कर सकतीं

झूट। एंटी-रेट्रोवायरल दवाइयां लेने से HIV वायरस माँ से शिशु तक नहीं पहुँच पाता है। इन दवाइयों को जितना जल्दी लेना शुरू कर दिया जाता है उतना ही माँ और शिशु के लिए बेहतर रहेगा।

5. गुदा मैथुन से आपको HIV नहीं होता

गलत। गुदा जब संक्रमित वीर्य के समपर्क में आता है, तो वह इंसान के शरीर के अंदर प्रवेश पा लेता है और मनुष्य में बीमारी वाले कीटाणु ले आता है। यह बीमारी धीरे धीरे शरीर में बढ़ने लगती है।

6. HIV संक्रमित व्यक्ति से गले लगने से AIDS हो सकता है।

यह बिलकुल गलत है क्योंकि HIV कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है।

7. HIV संक्रमित व्यक्ति जिस कमरे में है वहां पर साँस लेने से HIV संक्रमण फैल सकता है।

नहीं। यह आरोप गलत है क्योंकि HIV संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध रखने के कारण, या फिर संक्रमित रक्त या सुई से रक्त चढ़वाने के कारण फैलता है। यह साँस के माध्यम से नहीं फैलता।

याद रखें की सही और सच्ची जानकारी ही करेगी आपका बचाव। सावधानी बरतें और अपने प्रियजनों का ख्याल रहें। असुरक्षित व्यवहार करने से परहेज़ करें और कई लोगों के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से बचें।

सेहत पर ध्यान देना सुखी जीवन के लिए अनिवार्य है। इस ब्लॉग को ज़रूर शेयर करें।

पति-पत्नी की उम्र का फासला उनके विवाहिक जीवन को कैसे प्रभावित करता है






भारत में विवाह के लिए कुछ नियम कानून बनाये गए हैं और उनका दंपत्ति के वैवाहिक जीवन पर कैसे फर्क पड़ सकता है इसके पीछे के कारण भी बताये गए हैं। इस ब्लॉग में पति-पत्नी के बीच में उम्र के अंतर के बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बताया जायेगा।

हमने सभी जोड़ों में पति की अधिक उम्र को ही दर्जा दिया है। इस लेख को इस बात को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

पति पत्नी के बीच एक साल का अंतर

अगर ऐसे जोड़े होते हैं तो महिला थोड़ी उम्रदार नज़र आती है। पति उनका तुलना अधिक युवा नज़र आता है। इसलिए दोनों की मानसिक मच्योरिटी भी एक समान होती है। उनमें बहस हो सकती है और दोनों की ज़िद के कारण उनमें सुलह होने में समय लग जाता है। दोनों में बचकानापन ज़्यादा होने के कारण मनमुटाव आ जाते हैं। इसलिए शादी को संभालना ध्यान से चाहिए।

पति पत्नी के बीच दो साल का अंतर

ये जोड़े पहली श्रेणी की भांति ही अल्हड़ होते हैं। इनमें साझेदारी लाना उतना ही ज़रूरी होता है जितना की पहले श्रेणी के जोड़े में। दो साल का उम्र में अंतर वैवाहिक जोड़े में खास मायने नहीं रखता।

पति पत्नी के बीच तीन साल का अंतर

इस तरह के जोड़े में मानसिक तालमेल होता है। क्योंकि पति पत्नी से अधिक समझदार होता है और पत्नी की ग़ल्तियों को सुधार लेता है और घर के महत्वपूर्ण फैसले लेने के काबिल होता है।

पति पत्नी के बीच चार-पांच साल का अंतर

इस तरह के जोड़े में पति-पत्नी साथ में अच्छे दिखते हैं और चूँकि महिलायें पुरुषों से जल्दी उम्रदार दिखने लगती हैं, इसलिए पति पत्नी के बीच में इतना फासला अधिक मायने नहीं रखता है और ठीक दिखता है।

पति पत्नी के बीच पांच साल से अधिक का अंतर

इस तरह के जोड़े थोड़े अटपटे दिख सकते हैं। उनमें मानसिकता और सोच में भी अंतर हो जाता है। क्योंकि एक खुद को अधिक समझदार समझता है और दूसरा अपने बचपने से बाहर नहीं आ पाता। दोनों को अपनी बातें और नजरिया सही लगता है इसलिए आप अपने बेटर हाफ का नजरिया समझें।
साइंस क्या कहती है युवा स्त्री को पत्नी बनने के बारे में?

दरअसल महिलाओं को जल्दी शादी इसलिए कर लेनी चाहिए क्योंकि 20 से 30 वर्ष में उनमें अधिक फर्टिलिटी होती है। वह स्वस्थ्य बच्चों को जन्म दे सकती हैं और उनमें गर्भ धारण करने में ज़्यादा दिक्कत नहीं आती।

बढ़ती उम्र में उनके अण्डों की स्वास्थ्य घटने लगती हैं और जब वे स्पर्म के साथ जुड़ते हैं तो जो गर्भ धारण होता है, वह शिशु के रूप में अल्पविकसित या बर्थ डिफेक्ट का शिकार हो सकता है।

महिलाओं में माहवारी जल्दी शुरू होती है और आजकल तो उनमें मेनोपॉज़ भी 45 वर्ष से पहले ही आने लगता है। इसलिए उन्हें जल्दी उम्र में हदी कर लेनी चाहिए ताकि वे नार्मल डिलीवरी के द्वारा शिशु को जन्म दे सकें वरना बड़ी उम्र में उन्हें सिजेरियन सेक्शन से बच्चा पैदा करना पड़ता है।

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