Wednesday, 27 March 2019

मेरी क्या ख़ता है तू मुझे सजा देदे, क्यों तेरे अंदर इतना दर्द है



किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है

तन्हाई की यह कुछ ऐसी अजब रात



आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने



हम भी कभी मुस्कुराया करते थे




जो कभी ना रूठे ऐसे दोस्त की जरूरत

















जो कभी ना रूठे ऐसे दोस्त की जरूरत है




इस जमीन से तो हम रिश्ता तोड़ जाएंगे,
बस यादों का एक शहर छोड़ जाएंगे,
वेबफा तू मुझे सताएगा कितना,
एक दिन तुझसे हमेशा के लिए मुह मोड़ जाएंगे।




आज फिर तन्हाईयो ने तुझे पुकारा है,
ये तो मेरा दिल बेचारा है,
तू इस दिल से दूर हो गया है,
आज फिर इस दिल को यक़ीन नही आया है।







आज फिर गुमनाम चेहरों में तू नज़र आया है, आज “फिर” तेरी यादों ने मुझे रुलाया है, तेरी मोहब्बत ने मुझे चकना चूर किया है, क्यों आज फिर तूने वेबफा का इल्ज़ाम लगाया है।








तेरी मोहब्बत में इस जहां को भूल गए,
हम औरों को अपनाना भूल गए,
सारे जहां को बताया तुझ से मोहब्बत है,
सिर्फ तुझे ही बताना भूल गए।



जब कोई दिल तोड़ कर चला जाता है,
तब दरिया का पानी आँखों मे उतर जाता है,
कोई बना लेता है रेत पर आशियाना,
कोई लहरों में बिखर जाता हैं।






जो प्यार करतें है वो बड़े अजीब होतें हैं,
उन्हें खुशी के बदले गम नसीब होते है,
न करना तू प्यार कभी किसी से,
क्योंकि प्यार करने वाले बड़े बदनसीब होतें है।





अरमानों के रंग बदले कई अर्से हो गए,
ऐसा लगता है तेरे लिए हम पुराने हो गए।






हमारी खुशियों में वो शामिल होतें हैं ,
जिसे हम चाहतें हैं,
लेकिन हमारे दुःखों में वो शामिल होतें है,
जो हमे चाहते है।








 तुमसे जुदा होके ऐसा लगता है ज़िन्दगी ये मेरी सज़ा है,
बस मुझे ऐसा लगता है मेरी सासें ही मुझ से अब खफा हैं।




दर्द भी अपनी अदा में है इस वक्त,
लगता है वो हम पे फिदा है इस वक्त।




मुझे उससे कोई शिकवा है न गिला है,
मेरे दर्द की बस न ही कोई दवा है,
बहुत आँसू बह है उसके लिए,
जिसे कुदरत ने मेरे लिये बनाया ही नही है।


























जब कभी मोहब्बत ही नही की तो रोकते क्यों हो,
खामोशियों में मेरे लिए सोचते क्यों हो,
जब रास्ते हो गए अलग अब जाने दो मुझे,
कब लौटकर आओगे पूछते क्यों हो।

ज़िन्दगी की भीड़ में अकेले रहे गए,
उसकी जुदाई में आँसुओ के दरिया बह गए,
अब हमें कौन चुप कराने वाला है,
जो चुपाते थे वही रोने को कहे गए।










इस दुनिया मे जरूरी नहीं जिसे तुम चाहो वो तुम्हारा हो,
जीने के लिए तुम्हें उसी का सहारा हो,
कश्तियाँ टूट जाया करती हैं,
ज़रूरी तो नही होता कि हर कश्ती को किनारे हो।

ऐ बेवफा थाम ले मुझको मजबूर हूँ कितना,
मुझको सजा न दे मैं बेकसूर हूँ कितना,
तेरी बेवफ़ाई ने कर दिया है मुझे पागल,
और लोग कहतें हैं मैं मगरूर हूँ कितना।
इलाज इश्क का क्या है हमें बताये कोई,
जो दर्द दिल में उठा है उसे मिटाए कोई,
तलाश उसकी मुझे हर जगह रहती है,
मिलेगा मुझको कहाँ वो जरा बताये कोई।























नज़रे मिले तो प्यार हो जाता है,
पलके उठे तो इज़हार हो जाता है,
ना जाने क्या कशिश है चाहत मैं के कोई..
अंजान भी हमारी ज़िंदगी का हक़दार हो जाता है।


खुबसूरत सा एक पल​ ​क़िस्सा बन जाता है,
​जाने कब कौन ज़िन्दगी का​ ​हिस्सा बन जाता है,
​कुछ लोग ज़िन्दगी में ऐसे मिलते हैं ​जिनसे​..
​कभी ना टूटने वाला रिश्ता बन जाता है!!

उनके गम में मेरी आँखें नम हो जाती हैं,
लेकिन फिर भी होटों पे हंसी लानी पड़ती है,
मोहब्बत तो हमने बस एक से की थी,
लेकिन ये मोहब्बत जमाने से छुपानी पड़ती है।
फूलों में भी काटें होते हैं,
क्यों मोहब्बत करने वाले रोते हैं,
ज़िन्दगी भर तड़पते है इश्क करने वाले,
और तड़पाने वाले चैन से सोते हैं।

इश्क में हमने तो दर्द से हाथ मिला लिया,
हर गम को आंखों में छुपा लिया,
उसने तो बस हमसे रोशनी की ख्वाहिश की,
इसलिए हमने तो अपने दिल को जला लिया।
कभी किसी को पाने के लिए दिल से मत सोचना,
रात की तन्हाईयो में अपने दिल को मत कचोटना,
यादें तो बहुत आएंगी उस वेबफा की,
लेकिन बस एक ज़िन्दगी में ही इन्हें समेटना।
जो एक नज़र देखोगे देखते रहे जाओगे,
हम जैसा प्यार करने वाला कहां पाओगे,
जान देने की बात तो सभी करतें है,
लेकिन बात बनाने वाला कहां पाओगे
तू मुझे क्यों इतना याद आता है,
तू मुझे क्यों इतना तड़पाता है,
माना के ज़िन्दगी है सिर्फ तेरे लिए,
फिर मुझे तू क्यों इतना रुलाता है।

आज फिर दिल से मेरे सदा आयी है,
आज फिर दिल को तेरी बफा याद आयी है,
हम तो बहा चुके अश्कों के समुंदर तेरे इश्क़ में,
तो क्यों आज फिर चाहत ने ली अंगड़ाई है।















गलतफहमी का एक लम्हा भी दिलो के बीच होता है,
तो खुशियो के सौ लम्हे भी तोड़ दिया करता है।
हम आपको याद न कर पाएं तो माफ़ करने की कोशिश करना,
हमसे कोई गलती हो जाये तो माफ करने की कोशिश करना,
हम आपको वैसे तो कभी भूला नही पाएंगे,
लेकिन सांसें थम जाएं तो माफ करने की कोशिश करना।
वो इश्क ही क्या, जो “इश्क” ज़िन्दगी बर्बाद न कर दे, मरा भी “न” जाये, जिया भी न जाये, ऐसे हालात न कर दे।
मेरी क्या ख़ता है तू मुझे सजा देदे,
क्यों तेरे अंदर इतना दर्द है इसकी तू वजह देदे,
कुछ देर हो गयी तुझे याद करने में मुझसे,
लेकिन मुझे छोड़ कर न जाने का इशारा देदे।
न जाने कब अनजाने में हमने आपको रुला दिया,
लेकिन आपने तो ज़माने के कहने पर हमें भूल दिया,
ऐ वेबफा हम तो वैसे ही जमाने मे अकेले थे,
तो क्या हुआ हमे आपने इस बात का एहसास दिला दिया।


मोहब्बत करने वालों का मुकद्दर बुरा होता है,
हर जुदाई का किस्सा उसी से जुड़ा होता है,
कभी उन किताबों पर गौर करके पड़ना,
हर मोहब्बत का किस्सा अधूरा होता है।







मोहब्बत करने वालों का मुकद्दर बुरा होता है,
हर जुदाई का किस्सा उसी से जुड़ा होता है,
कभी उन किताबों पर गौर करके पड़ना,
हर मोहब्बत का किस्सा अधूरा होता है।







मोहब्बत करने वालों का मुकद्दर बुरा होता है,
हर जुदाई का किस्सा उसी से जुड़ा होता है,
कभी उन किताबों पर गौर करके पड़ना,
हर मोहब्बत का किस्सा अधूरा होता है।



मेरी क्या ख़ता है तू मुझे सजा देदे,
क्यों तेरे अंदर इतना दर्द है इसकी तू वजह देदे,
कुछ देर हो गयी तुझे याद करने में मुझसे,
लेकिन मुझे छोड़ कर न जाने का इशारा देदे।

मोहब्बत करने वालों का मुकद्दर बुरा होता है,
हर जुदाई का किस्सा उसी से जुड़ा होता है,
कभी उन किताबों पर गौर करके पड़ना,
हर मोहब्बत का किस्सा अधूरा होता है।


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