Friday 11 August 2017

क्यों उखड़ते हैं नाखून के पोरों के मांस, जानिए क्या है इसका इलाज

क्यों उखड़ते हैं नाखून के पोरों के मांस, जानिए क्या है इसका इलाज



नाखून न केवल बाहरी चोटों से नाखून को बचाते हैं बल्कि यह हाथों और पैरों की सुंदरता बढ़ाने में भी अपना योगदान देते हैं। नाखून एक प्रकार के पोषक तत्व से बने होते हैं जो हमारे बालों और त्वचा में पाये जाते हैं। इस पोषक तत्व का नाम कैरटिन है। शरीर में पोषक तत्वों की भारी कमी की वजह से कैरटिन की सतह प्रभावित होती है और साथ ही साथ नाखूनों का रंग भी बदलने लगता है। नाखून की बनावट, उसका रंग और उसके बढ़ने की गति शरीर में पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोगों की ओर इशारा करते हैं, इसलिए नाखूनों की अच्छी तरह से देखभाल बहुत जरूरी है।
आयरन और विटामिन-बी 12 की कमी होने पर नाखून अंदर की तरफ धंस जाते हैं। एनीमिया की स्थिति में नाखूनों में उभरी हुई धारियां पड़ जाती हैं। विटामिन-सी की कमी होने के कारण नाखून कटने व फटने लगते हैं और पोरों के मांस उखड़ने लगते हैं। इसके साथ-साथ अगर नाखून की रंगत में कोई अंतर दिखे तो यह फंगस इन्फेक्शन का लक्षण हो सकता है। शुरुआत में नाखून सफेद और पीले जरूर दिखाई देते हैं, लेकिन बाद में संक्रमण बढ़ने पर बदरंग होने के साथ-साथ खुरदरे और पतले भी हो जाते हैं। ऐसे में नाखूनों के आस-पास सूजन और दर्द होने लगता है। बहुत अधिक स्वीमिंग करने वालों को या फिर अधिक देर तक जूते पहने रहने वालों में अक्सर यह समस्या देखी जाती है। इस तरह की किसी भी समस्या के होने पर तुरंत डॉक्टर से दिखाना बेहतर होता है। इसके अलावा इससे बचाव के लिए हाथ पैरों की गंदगी को अच्छी तरह साफ रखना भी जरूरी है।
नाखूनों की सेहत के लिए उनके पोषण पर पूरा ध्यान देना जरूरी है। नाखूनों की सुंदरता बढ़ाने के लिए विटामिन-बी का सेवन काफी लाभदायक है। इसके लिए आप घी, दूध, दही, मक्खन, आलू, बाजरा, मूली, शलगम, अरबी, शकरकंद आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा मछली, अंडा और चिकेन भी विटामिन-बी के अच्छे स्रोत हैं। नाखूनों के बाहरी त्वचा का खास ध्यान रखें। नाखूनों और आसपास की त्वचा को नमी देने के लिए मॉइश्चराइजर का उपयोग किया जा सकता है। विटामिन-सी के सेवन से नाखून को कटने फटने का खतरा कम होता है। आंवला, नारंगी, सेब, केला, अमरूद, बेल, बेर, कटहल, शलगम, पुदीना, मूली के पत्ते आदि विटामिन-सी के अच्छे स्रोत हैं। नाखूनों पर कम से कम रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल करें।

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