Sunday 23 July 2017

मिलें मुश्किल से जो पल वो सदा आबाद रहते हैं
सफर आसान हो तो रास्ते कब याद रहते हैं

कदर करते हैं जो जज्बात की,आँसू की,रिश्तों की
वो पिच पर जिन्दगी की अंत तक नाबाद रहते हैं

जो खा सकते हैं रोटी घास की सम्मान की खातिर
गुलामी की सलाखों से वही आजाद रहते हैं

बुझा न पायेंगी ये रूढ़ियाँ रोशन च़रागों को
हिरण्यकश्यप के घर में आज भी प्रह्लाद रहते हैं

करो मत भ्रूण की हत्या सरासर पाप है
कभी पूछो जरा उनसे जो बेऔलाद रहते हैं
Image may contain: bird and outdoor

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