Monday, 31 July 2017

एक वैघ

वृंदावन शहर में एक वैघ थे, जिनका मकान भी बहुत पुराना था।

वैघ साहब अपनी पत्नी को कहते कि जो तुम्हें चाहिए एक चिठ्ठी में लिख दो दुकान पर आकर पहले वह चिठ्ठी खोलते। सामान के भाव देखते, फिर कानहा से दुआ करते कि सांवरे
मैं केवल तेरी इजाजत से तुझे छोड़कर यहाँ दुनिया में आ बैठा हूँ। 
तूँ मेरी आज की व्यवस्था कर देगा। उसी समय यहां से उठ जाऊँगा और फिर कभी सुबह साढ़े नौ, कभी दस बजे वाघ जी रोगियों की दवा देकर कर वापस अपने गांव चले जाते।

एक दिन वैघ जी ने दुकान खोली।फिर चिठ्ठी खोली तो देखते ही रह गए।
एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आंखों के सामने तारे चमकते हुए नजर आ गए लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने मन पर काबू पा लिया।
आटे दाल चावल आदि के बाद पत्नि ने लिखा था, बेटी के दहेज का सामान लाना है जी
कुछ देर सोचते रहे फिर बाकी चीजों की कीमत लिखने के बाद दहेज के सामने लिखा *'' यह काम मेरे कानहा का है, कान्हा ही जाने।''*
एक दो मरीज आए थे। उन्हें वैघ जी दवाई दे रहे थे।
इसी दौरान एक बड़ी सी कार उनके दुकान के सामने आकर रुकी

दोनों मरीज दवाई लेकर चले गए। वह साहब कार से बाहर निकले और राधे राधे करके बैंच पर बैठ गए।
वैध जी ने कहा कि अगर आप अपने लिए दवा लेनी है तो, आपकी नाड़ी देख लूँ उस आदमी ने कहा की वैघ जी
मुझे लगता है आपने मुझे पहचाना नहीं ?
मैं 15-16 साल बाद आप की दुकान पे आया हूँ
आप को पिछली मुलाकात की बात सुनाता हूँ फिर शायद आपको सारी बात याद आ जाएगी ।

वैघ जी मैं 5,6 साल से इंग्लैंड में रहता हूँ। इंग्लैंड जाने से पहले मेरी शादी हो गई थी लेकिन अब तक बच्चा नह़ीं हुआ। यहां भी इलाज किया और इंग्लैंड में भी करवाया लेकिन हमारी किस्मत में शायद बच्चा नहीं था आपने कहा, मेरे भाई! अपने भगवान से निराश ना हो
याद रखो ! उसके खज़ाने में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। औलाद, माल, धन दौलत और खुशी ग़मी जीवन मृत्यु सब कुछ उसी के हाथ में है।

किसी वैघ के हाथ में कुछ भी नहीं है । अगर औलाद होनी है तो मेरे सांवरे के आर्शिवाद से ही होनी है। औलाद देनी है तो उसी ने देनी है। मुझे याद है तुम बातें करते जा रहे थे और साथ साथ, पुड़ियाँ भी बना रहे थे। फिर आपने मुझसे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है? मैंने बताया कि मेरा नाम सतीश है। आपने एक लिफाफे पर कान्हा और दूसरे पर राधे लिखा। फिर दवा लेने का तरीका बताया।
लेकिन जब मैंने पूछा कितने पैसे?
आपने कहा बस ठीक है। मैंने जोर डाला, तो आपने कहा कि आज का खाता बंद हो गया है।
मैंने कहा मुझे आपकी बात समझ नहीं आई।
भाई आज के घर खर्च के लिए जितनी रकम वैध ने कान्हा जी से मांगी थी वह सांवरे ने इनको दे दी है।
अधिक पैसे वे नहीं ले सकते। मैं बहुत हैरान हुआ और शर्मिंदा भी हुआ कि मेरे कितने घटिया विचार थे और यह वैघ कितना महान व्यक्ति है।
मैंने जब घर जा कर बीवी को दवा दिखाई और सारी बात बताई तो उसके मुँह से निकला वो इंसान नहीं कोई फरिश्ता है और उसकी दी हुई दवा हमारे मनोकामना ज़रूर पूरी करेगी जी
वैघ जी आज मेरे घर में तीन बच्चे हैं।
हम पति पत्नी हर समय आपके लिए दुआये़ करते हैं।
जब भी वृदांवन में छुट्टी में आया। कार उधर रोकी लेकिन दुकान को बंद पाया। कल दोपहर भी आया था दुकान बंद थी। एक आदमी पास ही खड़ा हुआ था। उसने कहा कि अगर आपको वैघ जी से मिलना है तो सुबह 9 बजे अवश्य पहुंच जाएं वरना उनके मिलने की कोई गारंटी नहीं। इसलिए आज सवेरे सवेरे आपके पास आया हूँ।

वैघ जी हमारा सारा परिवार इंग्लैंड में बस चुका है। केवल एक विधवा बहन अपनी बेटी के साथ वृंदावन में रहती है।
हमारी भांजी की शादी इस महीने की 21 तारीख को होनी थी। इस भांजी की शादी का सारा खर्च मैं अपने ज़िम्मा लिया था। 10 दिन पहले इसी कार में उसे मैं पानीपत अपने रिश्तेदारों के पास भेजा कि शादी के लिए जो चीज़ चाहे खरीद ले। उसे पानीपत जाते ही बुखार हो गया लेकिन उसने किसी को नहीं बताया। बुखार की दवा खाती रही और बाजारों में फिरती रही। बाजार में फिरते फिरते अचानक बेहोश होकर गिरी। उसे अस्पताल ले गए। वह बेचारी इस दुनिया से चली गयी

इसके मरते ही न जाने क्यों मुझे और मेरी पत्नी को आपकी बेटी का ख्याल आया। हम ने और हमारे सभी परिवार ने फैसला किया है कि हम अपनी भांजी के सभी दहेज का साज़-सामान आपके यहां पहुंचा देंगे। शादी जल्दी है तो इन्तज़ाम खुद करेंगे और अगर अभी कुछ देर है तो सभी खर्चों के लिए पैसा आप को नकदी पहुंचा देंगे। आप कृपा करके मना मत करना।
अपना घर दिखा दें ताकि सारा सामान वहाँ पहुंचाया जा सके।

वैघ जी हैरान-परेशान हुए बोले '' सतीश जी आप जो कुछ कह रहे हैं मुझे समझ नहीं आ रहा, मेरा इतना मन नहीं है। मैं तो आज सुबह जब पत्नी के हाथ की लिखी हुई चिठ्ठी यहाँ आकर खोलकर देखा तो मिर्च मसाला के बाद जब मैंने ये शब्द पढ़े '' बेटी के दहेज का सामान '' तो तुम्हें पता है मैं क्या लिखा। आप खुद यह चिठ्ठी जरा देखें। सतीश जी यह देखकर हैरान रह गए कि '' बेटी के दहेज '' के सामने लिखा हुआ था *'' यह काम कान्हा का हे, कान्हा ही जाने।''*
सतीश जी यकीन करो आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ था कि पत्नी ने चिठ्ठी पर बात लिखी हो और मेरे सांवरे ने उसका उसी दिन व्यवस्था न कर दिया हो।
सारे बोलो राधे राधे
आपकी भांजी की मौत का मुझे सदमा है, अफसोस है लेकिन मैं सावंरे की कुदरत से हैरान हूँ कि वे कैसे अपने काम दिखाता है।
वैघ जी ने कहा जब से होश संभाला है, मैंने बस एक ही पाठ पढ़ा है '' *शुक्र है, मेरे सावंरे तेरा शुक्र है*।

#अमीर_कौन?

#अमीर_कौन?
6 महीने के एक बच्चे की माँ ने फाइव स्टार होटल के मैनेजर से पूछा
सर ...! एक कप दूध मिलेगा क्या?
प्रबंधक "हाँ ...! सौ रुपये में मिलेगा"
"ठीक है, दे दो ...!" महिला ने कहा।।
पिकनिक के दौरान इस होटल में ठहरी थी __
अगली सुबह जब वे कार में जा रहे थे तो बच्चे को फिर
भूख _ कार एक टूटी फूटी झोपड़ी वाली चाय
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की दुकान पर रोका गया _ बच्चे को दूध पिला कर उसकी भूख
को शांत किया ...
दूध के पैसे पूछने पर बूढ़ा दुकान मालिक बोला .. "
बेटी ...! हम बच्चे के दूध के पैसे नहीं लेते, अगर रास्ते
के लिए चाहिए तो अधिक दूध लेती जाओ _ "..
बच्चे की माँ के मन में एक सवाल बार बार घूम रहा था कि
अमीर कौन? ...
फाइव स्टार होटल वाला या टूटी झोपड़ी वाला?
"मिला है जीवन किसी के काम आने के लिए
समय बीत रहा है कागज के टुकड़े कमाने में
क्या करोगे इतना रुपया पैसा कमा कर ??
न कफन में जेब है, ना कब्र में अलमारी!"

Sunday, 30 July 2017

गरीबों की औकात ना पूछो...

गरीबों की औकात ना पूछो...

गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है,
इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है,
चेहरे कई बेनकाब हो जायेंगे,
ऐसी कोई बात ना पूछो तो अच्छा है।

खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से,
उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है,
बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके,
कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है।

भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें,
उनके तो हालात ना पूछो तो अच्छा है,
मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर,
क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है।

गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है,
इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है।

एक दोस्त ने मुझे से एक शादी में पूछा

Photo
एक दोस्त ने मुझे से एक शादी में पूछा
की
“आज कौन सा माल सबसे सुंदर
आया शादी में!!”
मैंने एक लडकी की तरफ इशारा
करते हुए कहा कि वह आज
सबसे सुंदर लग रही है।
उसने गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए
कहा “मूंह संभाल के बात कर
वो मेरी बहन है”
मैंने कहा वाह मेरे शेर सदके जाऊ
तेरी सोच के तेरी बहन, बहन
हो गई और दूसरो की बहन “माल”
हो गई। तुम्हें अपनी बहन
दिखती है और
बाकी लडकियां तुम्हें माल
दिखती है आखिर वह भी तो
किसी की बहन बेटी है। भाई
इज्जत सबको प्यारी होती है
अगर तुम्हें अपनी बहन प्यारी हैै
तो सबको अपनी बहन
प्यारी हैै। वैसे भी मैंने जान बूझ
कर तेरी बहन की तरफ
इशारा किया था ताकि तेरी
सोच को बदल सकू जैसी
सोच तू अपनी बहन के लिए रखता
हैै वैसे ही दूसरी लडकियों
के बारे में भी रख सके।
शिक्षा: :- कृपा करके अपनी
सोच को बदले अगर आप
किसी को इज्जत देंगे तभी
जमाना आपकी कदर करेंगा। हर
एक लडकी को गलत नजरों से मत
देखो। संसार में बहुत सी
ऐसी लडकियां है जिनका कोई
भाई नहीं होता वह अपने
भाई का प्यार पाने के लिए
तरसती रहती है। मुझे ज्यादा
कहने की जरूरत नहीं बाकी आप
मुझसे ज्यादा समझदार हैं।
सोच बदलो, बाकी सब कुछ अपने
आप ही बदल जाएगा

Saturday, 29 July 2017

#वो_मनहूस_लड़की...............

वो अठाइस साल की बहुत ही बदसूरत और काली लड़की थी दाँत भी निकले थे पर उसे अपने रंग और बदसूरती का जरा भी अफ़सोस नही था।
हमेशा खुश रहती और एक नंबर की पेटू और पढ़ने लिखने में महाभोंदू भी थी ।
पेटू होने की वजह से शरीर भी बेडौल हो गया था।
एक खूबी उसमें यह भी थी की जहाँ रहती हो हो हो कर हँसते मुस्कुराते रहती और सबको भी हँसाते रहती।
उस नेक दिल लड़की का एक शौक भी था,खाना बनाने का,खूब मन से खाना बनाती।
बड़े चाव से मसाला पिसती।
खाना बनाने की किताबे खूब ध्यान लगा कर पढ़ती ।
टीवी रेडियो पे भी पाक कला के प्रोग्राम को बड़े मनोयोग से देखती सुनती, उसे कोई भी खाना बनाना होता तो बड़े प्रेम से बनाती।
आटा गूँथती ,बड़े प्यार से गीत गुनगुनाते हुए कम आँच पे पूरियाँ तलती।
सब्जी चटनी खीर हो या मटर पनीर सब कुछ लाजबाब बनाती।
जो भी उसके खाने को टेस्ट करता बिना तारीफ किये ना रहता।
उसने पाक कला में अद्भुत और असाधारण प्रतिभा हासिल कर ली थी।
पर वह मनहूस थी उसके काले रंग और बदसूरत होने से कोई उसे प्यार न करता था पर माँ उसे बहुत प्यार करती थी।
आज तक माँ ने उसे डाँटा तक नही था और वह भी माँ से बहुत प्यार करती थी।
हर बार की तरह आज सुबह भी उसकी शादी के लिए जो लोग आये थे उन सबो ने खाने की बहुत तारीफ की लेकिन लड़की को देखकर नाक मुँह सिकोड़कर चले गए।
वह लड़की भी तैयार होकर किसी को बिना कुछ बताये कहीं चली गयी।
शाम में जब वो लौटी तो घर का माहौल बहुत गरम था।
पिता जी माँ पे बहुत गुस्सा थे बोल रहे थे पता नही कौन से पाप के बदले ये मनहूस लड़की मिली।
पिता से प्रायः यह सुब सुनती थी उससे उसे कोई असर न होता था।
वह बहुत खुश खुश माँ को कुछ बताने गई और कहा" बड़ी भूख लगी है कुछ खाने को दो पहले",उसके हाथों में एक सर्टिफिकेट और एक चेक भी था,पर माँ भी आज बहुत गुस्से में सब्जी काट रही थी उसके तरफ देखे बिना ही बोली "तू सचमुच मनहूस है काश पैदा लेते ही मर जाती तो आज ये दिन ना देखना पड़ता।
पचासों रिश्तों आये किसी ने तुझे पसंद न किया "।
उस मनहूस लड़की को माँ से ऐसी आशा ना थी उसका दिल बैठ गया और उसकी ख़ुशी उड़ गई और उदास होकर माँ से बोली क्या" मैं सचमुच मनहूस हूँं माँ क्या मैं मर जाऊँ?" बोलते बोलते उसका गला रुंध गया और चेहरा लाल हो गया।
माँ ने भी गुस्से में कहा "जा मर जा सबको चैन मिले"।
मनहूस लड़की ने अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
थोड़ी देर बाद जैसे ही माँ को अपनी गलती का अहसास हुआ वो दौड़ती हुई उसके कमरे के तरफ गयी।
आवाज़ देने पर भी दरवाजा जब नही खुला तो माँ ने जोर का धक्का दिया।
तेज धक्के से जैसे ही दरवाज़ा खुला माँ ने देखा सामने दुपट्टे के सहारे जीभ बाहर निकले उस मनहूस काली लड़की की लाश झूल रही थी वही पर एक चिट्ठी, सर्टिफिकेट और एक लाख का चेक रखा था ।
चिट्ठी में लिखा था"
माँ मैंने आज तक तुम्हारा कहना माना है आज तुमने मरने को बोला ये भी मान रही अब तुम मनहूस लड़की की माँ नही कहलाओगी।
मैंने पढ़ने की बहुत कोशिश की पर मेरे दिमाग मे कुछ जाता है नहीं पर भगवान ने मुझे ऐसा बनाया
इसमें मेरा क्या कसूर।
मुझे सबने काली मनहूस भोंदू सब कहा मुझे बुरा न लगा पर तुम्हारे मुँह से सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा
मेरी प्यारी माँ और हां आज नेशनल लेवल के खाना बनाने वाली प्रतियोगिता में मुझे फर्स्ट प्राइज और एक लाख रूपए का चेक मिला और साथ में फाइव स्टार होटल में मास्टर शेफ की नौकरी भी।
और पता है माँ आज मेरी जिंदगी की सबसे खुशी का दिन था क्योंकि पहली बार वहाँ सबने मुझे कहा था देखो ये है कितनी भाग्यशाली लड़की....
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आदमी को औरत ही घढ़ती है..


आदमी को औरत ही घढ़ती है...Image may contain: 1 person
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एक गांव में एक जमींदार था। उसके कई नौकरों में जग्गू भी था। गांव से लगी बस्ती में, दूसरे मजदूरों के साथ जग्गू भी अपने पांच लड़कों के साथ रहता था। जग्गू की पत्नी बहुत पहले गुजर गई थी। एक झोंपड़े में वह बच्चों को पाल रहा था। बच्चे बड़े होते गये और जमींदार के घर नौकरी में लगते गये।
सब मजदूरों को शाम को मजूरी मिलती। जग्गू और उसके लड़के चना और गुड़ लेते थे। चना भून कर गुड़ के साथ खा लेते थे।
बस्ती वालों ने जग्गू को बड़े लड़के की शादी कर देने की सलाह दी।
उसकी शादी हो गई और कुछ दिन बाद गौना भी आ गया। उस दिन जग्गू की झोंपड़ी के सामने बड़ी बमचक मची। बहुत लोग इकठ्ठा हुये नई बहू देखने को। फिर धीरे धीरे भीड़ छंटी। आदमी काम पर चले गये। औरतें अपने अपने घर। जाते जाते एक बुढ़िया बहू से कहती गई – पास ही घर है किसी चीज की जरूरत हो तो संकोच मत करना, आ जाना लेने।
सबके जाने के बाद बहू ने घूंघट उठा कर अपनी ससुराल को देखा तो उसका कलेजा मुंह को आ गया। जर्जर सी झोंपड़ी, खूंटी पर टंगी कुछ पोटलियां और झोंपड़ी के बाहर बने छः चूल्हे (जग्गू और उसके सभी बच्चे अलग अलग चना भूनते थे)। बहू का मन हुआ कि उठे और सरपट अपने गांव भाग चले, पर अचानक उसे सोच कर धचका लगा– वहां कौन से नूर गड़े हैं। मां है नहीं। भाई भौजाई के राज में नौकरानी जैसी जिंदगी ही तो गुजारनी होगी। यह सोचते हुये वह बुक्का फाड़ रोने लगी। रोते-रोते थक कर शान्त हुई। मन में कुछ सोचा। पड़ोसन के घर जा कर पूछा – अम्मां एक झाड़ू मिलेगा? बुढ़िया अम्मा ने झाड़ू, गोबर और मिट्टी दी और साथ में अपनी पोती को भेज दिया। वापस आ कर बहू ने एक चूल्हा छोड़ बाकी फोड़ दिये। सफाई कर गोबर-मिट्टी से झोंपड़ी और दुआर लीपा। फिर उसने सभी पोटलियों के चने एक साथ किये और अम्मा के घर जा कर चना पीसा। अम्मा ने उसे साग और चटनी भी दी। वापस आ कर बहू ने चने के आटे की रोटियां बनाई और इन्तजार करने लगी।....
....जग्गू और उसके लड़के जब लौटे तो एक ही चूल्हा देख भड़क गये। चिल्लाने लगे कि इसने तो आते ही सत्यानाश कर दिया। अपने आदमी का छोड़ बाकी सब का चूल्हा फोड़ दिया। झगड़े की आवाज सुन बहू झोंपड़ी से निकली। बोली –आप लोग हाथ मुंह धो कर बैठिये, मैं खाना परसती हूं। सब अचकचा गये! हाथ मुंह धो कर बैठे। बहू ने पत्तल पर खाना परोसा – रोटी, साग, चटनी। मुद्दत बाद उन्हें ऐसा खाना मिला था। खाकर अपनी अपनी कथरी ले वे सोने चले गये।
सुबह काम पर जाते समय बहू ने उन्हें एक एक रोटी और गुड़ दिया। चलते समय जग्गू से उसने पूछा – बाबूजी, मालिक आप लोगों को चना और गुड़ ही देता है क्या? जग्गू ने बताया कि मिलता तो सभी अन्न है पर वे चना-गुड़ ही लेते हैं। आसान रहता है खाने में। बहू ने समझाया कि सब अलग अलग प्रकार का अनाज लिया करें। एक देवर ने बताया कि उसका काम लकड़ी चीरना है। बहू ने उसे घर के ईंधन के लिये भी कुछ लकड़ी लाने को कहा। बहू सब की मजदूरी के अनाज से एक- एक मुठ्ठी अन्न अलग रखती। उससे बनिये की दुकान से बाकी जरूरत की चीजें लाती। जग्गू की गृहस्थी धड़ल्ले से चल पड़ी। एक दिन सभी भाइयों और बाप ने तालाब की मिट्टी से झोंपड़ी के आगे बाड़ बनाया। बहू के गुण गांव में चर्चित होने लगे।
जमींदार तक यह बात पंहुची। वह कभी कभी बस्ती में आया करता था।
आज वह जग्गू के घर उसकी बहू को आशीर्वाद देने आया। बहू ने पैर छू प्रणाम किया तो जमींदार ने उसे एक हार दिया। हार माथे से लगा बहू ने कहा कि मालिक यह हमारे किस काम आयेगा। इससे अच्छा होता कि मालिक हमें चार लाठी जमीन दिये होते झोंपड़ी के दायें - बायें तो एक कोठरी बन जाती। बहू की चतुराई पर जमींदार हंस पड़ा। बोला – ठीक, जमीन तो जग्गू को मिलेगी ही लेकिन यह हार तो तुम्हारा हुआ।
ऐसी ही कहानी मैरी नानी मुझे सुनाती थीं। फिर हमें सीख देती थीं -――औरत चाहे तो घर को स्वर्ग बना दे और चाहे नर्क!
मुझे लगता है कि देश, समाज, व्यक्ति या परिवार को औरत ही गढ़ती है।――

जागो जैन जागो

जागो जैन जागो
कहने को जैन भाई ,
नगर सेठ कहलाता है !
पर उसका हर 1 पैसा ,
दिखावेबाजी पcर जाता है !

जनम से लेकर मरण तक,
पैसे की होली है !
देना लेना अच्छा करना है,
समाज में नहींतो ठिठोली है!

जैन भाईके घर जिसदिन,
से सगाई हो जाती है !
उस दिन से पैसे की होली,
वही शुरू हो जाती है !

बेटी का बाप सगाई के लड्डू,
बनारस से मंगवाता है !
मेवा ज्यादा डालना भैया,
समाज में बाटा जाता है !

सारी बहु बेटिया घर की ,
शौपिंग में लग जाती है !
अलमारी में टंगी साड़ियां,
outdated कहलाती है !

समाज की बहुरानियो को,
gk की नहीं जानकारी है !
उससे क्या होता है उनका,
diamond necklace भारी है!

हर मोटी आंटी की साड़ी ,
रहती हजारो वाली है !
बिंदी चाहे दिखे नहीं पर ,
रहती stone वाली है !

पार्लर में कहती है जाकर,
gold facial करवाना है !
एड़िया चाहे फटी हुई हो पर,
उनको थोड़ी दिखाना है !

गहने कपडे पार्लर में घर का,
जितना खर्च हो जाता है !
उतने में दूसरे समाज का,
सामूहिक विवाह हो जाता है !

जैन की दुल्हन बेटी,
पारलर में जितना दे आती है !
उतने में गरीब की बेटी ,
अपने ससुराल चली जाती है !

बन्नी की माँ कदम कदम ,
पर नेग चुकाती जाती है !
वही घर की मामी मौसिया.
लिफाफे बदलती जाती है !

घर के बहुए नंन्दो को,
जो पगालाग्नि देती है !
बच्चों को भुआ हाथो में ,
वही लिफाफा देती है !

अपनी पार्टी में इंडिया का,
हर फेमस आइटम होता है !
चाहे घर का आधा मेंबर ,
शुगर पेशेंट होता है !

मीठा नमकीन हर आइटम,
का इतना मेला होता है !
कहाँ पर क्या लगा होता है,
किसी को पता नहीं होता है!

जितने में 1 गरीब का ,
रात्रि डिनर हो जाता है !
उतना खाना तो सेठजी ,
का फेंकने में चला जाता है !

शादी के कार्ड का खर्चा ,
कपड़ो जितना होता है !
मिठाई से भी मेहंगा ,
मिठाई का डब्बा होता है !

जहाँ हमारी शादी में लाखो ,
का turnover हो जाता है !
वही पंडित 10-20 के लिए,
श्री गणेशाय नमः चिल्लाता है !

शादी के बाद जब खर्च के,
बिल का नंबर आता है !
टेंशन से भाईसाहब का ,
bp हाई हो जाता है !

जैसे ही बहुरानी ने दादी ,
बनने के खबर सुनाई है !
क्या देना है क्या लेना है,
ये चिंता घिर आई है !

बहुरानी के मायके में भी ,
तैयारिया शुरू हो जाती है !
लड़का होगा या लड़की ,
सोचकर शौपिंग रुक जाती है !

पगलिये का क्या करना है,
नाना नानी से कहते है !
कहाँ कम करे कहाँ ज्यादा ,
अक्सर ये discuss करते है!

दोयते को पहलीबार समधी के,
घर जब भी देखने जाउंगा !
हाथो हाथ 10 ग्राम की गिन्नी,
वही खड़े खडे दे आऊंगा !

जलवे में अभी देरी है तुम,
चैन अंगूठी ले आना !
इनको कुछ हल्का करना,
नजरिया भारी बनवाना !

मुन्ना क्या चैन अंगूठी पहनेगा,
ये बात सोचने वाली है !
अब आप सभी बताओ भाई,
क्या ये नहीं दिखावेबाजी है !

जब ईश्वर ने जैन
लक्ष्मी का वरदान दिया है !
फिर क्यों हमने अपनाही नुक्सान,
कर दिखावेका सम्मान किया है!

लक्ष्मी के वरदान का अब ,
हमको नया धर्म निभाना है !
भैया अपने हर खर्च को ,
सही राह पर ले जाना है !

समाज के हर व्यक्ति को ,
अब हमने आगे बढ़ाना है !
हर गरीब की बेटी की ,
अब शादी करवाना है !

जिसदिन हर व्यक्ति का जीवन,
शिक्षा चिकित्सा पूर्ण रहेगा !
उस दिन वास्तव में जैन
लक्ष्मी का सम्मान करेगा !

ए मेरे जैनभाईयो
अब तो थोडा जाग जाओ !
दिखावे पर मत जाओ ,
अपनी अक्ल लगाओ !! जय जिनेद।। ।।जय महावीर ।।

Tuesday, 25 July 2017

जीवन साथी का दिल जीतने के टिप्स

जीवन साथी का दिल जीतने के टिप्स

त्यौहार करवा चौथ का हो या कजरी तीज का हो मूल रूप से पति-पत्नी के रिश्तों के बीच विश्वास की डोर को मज़बूत करना है। करवा चौथ के दिन पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती है और पति अपनी पत्नियों को उपहार देते है। लेकिन आजकल तो कुछ पति जी भी अपनी पत्नी की लंबी उम्र के लिए व्रत उपवास रखते हैं। यही प्रेम, उत्साह, एक दूसरे के प्रति समर्पण और प्याग धीरे धीरे इस रिश्ते की डोर को और भी मज़बूत बनाता है और एक दूसरे के लिए जीने की प्रेरणा देता है। आज हम भी आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बता रहे हैं जिनसे आप अपने जीवन साथी का दिल भी जीत सकते हैं और अपने इस प्यारे रिश्ते को और भी ख़ूबसूरत और मज़बूत बना सकते हैं।
जीवन साथी का दिल जीतने का सीक्रेट
Jeevan sathi ka dil khush to life mast

जीवन साथी का दिल जीतने का राज़

1. विश्वास

पति पत्नी शादी शुदा ज़िंदगी की गाड़ी के दो ऐसे पहिये होते हैं जो एक दूसरे के विश्वास पर टिके होते हैं। जैसे ही किसी एक का अपने दूसरे जीवन साथी पर से विश्वास कम होने लगता है वैसे ही गाड़ी का पहिया भी डगमगाने लगता है और गाड़ी पटरी पर से उतर जाती है। इसीलिए ज़िंदगी में कितने भी उतार चढ़ाव आए। एक दूसरे के प्रति अपने विश्वास को कभी कम ना होने दें। बल्कि हर पल उस विश्वास की डोर को अपने प्यार से मज़बूत बनाते जाएं। तभी ज़िंदगी की गाड़ी हमेशा खुशहाली के साथ अपनी पटरी पर चलती रहती है।

2. आपसी समझ

हर इंसान कितना भी अच्छा क्यों न हो, उसमें कुछ न कुछ बुराई अवश्य होती है और इन्हीं बुराइयों को लेकर अक्सर विवाद भी उत्पन्न होते है। जिससे खुशहाल जीवन में कलह और कलेश शुरू हो जाते है। इसीलिए रिश्तों में कमियों को ढूँढ़ने के बजाए उनकी अच्छाइयों पर ध्यान दें क्योंकि विचारों एवं स्वभावों का उचित सामंजस्य ही सुखी वैवाहिक जीवनका कारण बनता है।

3. आंखों का संपर्क बढ़ाएं

कहते हैं जब आपकी जुबां आपका साथ नहीं दे पाती तब आंखें ही बिन बोले दिल की हर एक बात कह जाती है। इसीलिए जितनी बार संभव हो सकें उतनी बार अपने पार्टनर की आंखों में आंखे डालकर देखें। इससे आप उनकी आँखों में छुपे प्यार और अपनेपन को भी महसूस कर सकते हैं।

4. बातचीत बंद न करें

अक्सर पति-पत्नी में जब झगड़ा होता है तो वो लोग एक दूसरे से बोलना बंद कर देते हैं। जबकि बातचीत बंद करने से बातें और ज़्यादा बिगड़ जाती है। जिससे समस्या सुलझने के बजाय उलझ जाती है। इसीलिए जब भी मनमुटाव हो तो बातचीत बंद न करें क्योंकि बातचीत करने से ही समस्या का हल निकलता है। यह जीवन साथी का दिल दुखाने वाला काम है। अपनी गलतियों को स्वीकार कर झुकने का नाम ही प्रेम है और ऐसा करने से एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्यार और भी बढ़ जाता है।

5. एक दूसरे के साथ समय बितायें

काम से फुर्सत निकालकर एक दूसरे के साथ कुछ लम्हें ज़रूर बिताएं या कहीं घूमने जाएं। इससे जहां एक दूसरे को जानने का अवसर मिलता है। वहीं रिश्तों में अपनापन भी बढ़ता है और इससे रिश्ते मज़बूत होते हैं।
Happy married couple
Happy married couple

6. अहंकार से दूर रहें

किसी भी रिश्ते के ख़तम होने का सबसे बड़ा कारण अहंकार है। आज बढ़ते हुए तलाक की वजह भी ये अहंकार और ईगो है। क्योंकि इन दोनों का ईगो ही इनके रिलेशनशिप के बीच आकर रिश्तों में दरारें खड़ा कर देता है। इसीलिए रिश्तों के बीच में ईगो को कभी भी न आने दें। बल्कि रिश्तों में झुकना सीखें। ऐसा करने से एक दूसरे के प्रति सम्मान बढ़ता है। इससे जीवन साथी का दिल आपसे बेहद खुश रहेगा।

7. कुछ नया करते रहें

रिश्तों में नयापन लाना बेहद ज़रूरी होता है। क्योंकि किसी एक राह पर चलते रहने से आपके रिश्‍तों में बोरियत आ सकती है। इसके लिए आप कुछ सरप्राइज़ प्लान कर सकते हैं। उन्हें बाहर घुमाने ले जाएं। ताकि आप दोनों एक बार फिर एक दूसरे के प्‍यार में खो जाएं।

8. सहयोग करें

एक दूसरे का हर मोड़ पर सहयोग करें। चाहें वो छोटे छोटे काम के समय हो या फिर किसी अन्य समय। क्योंकि एक दूसरे का सहयोग ही एक दूसरे की ताकत और हिम्मत को बांधता है और यही चीज़ रिश्तों में एक दूसरे के प्रति समर्पण भी सिखाता है।

अगर एक नए रिश्ते की शुरुआत इन बातों को ध्यान में रखकर की जाए तो यक़ीनन वो रिश्ते हमेशा महकते रहेंगे।

एक अच्छे पिता बनने के 10 रास्ते

एक अच्छे पिता बनने के 10 रास्ते

पिता बनना एक सुखद अनुभव है, जिसे हर पिता महसूस करना चाहता है, उस पल को क़ैद कर लेना चाहता है ताकि ज़िंदगी का सबसे ख़ूबसूरत एहसास उसके साथ ताउम्र बना रहे। बच्चे की देखभाल करना पिता के लिए थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि माँ तो हर पल बच्चे के साथ जुड़ी रहती है इसलिए वे आसानी से बच्चों की देखभाल कर लेती है, लेकिन पिता कार्यों में व्यस्त रहने के कारण समय अधिक दे नहीं पाते। जिससे बच्चे की देखभाल करना थोड़ा मुश्किल भरा रहता है, हालांकि पहली बार पिता बनने वालों को नए नए अनुभवों से होकर गुज़रना पड़ता है। तो आइए जानते हैं अच्छे पिता बनने के 10 रास्ते…

एक अच्छे पिता के गुणएक अच्छे पिता बनने के 10 रास्ते

1. एक्टिव बनें । Be more active

ये ज़रूरी है कि आप एक्टिव रहें ताकि आप यह समझ सकें कि आपके बच्चे को कब किस चीज़ की ज़रूरत है और यह तभी हो सकता है जब आप एक दूसरे को समय दें, उसे समझें ताकि जब आपका बच्चा भूख लगने या नैप्पी गीली होने या किसी अन्य कारण से रो रहा है?

2. अधिक समय बितायें । Spend more time

आज के व्यस्त समय में बहुत कम पिता हैं जो अपने बच्चों के लिए समय निकाल पाते हैं। एक अच्छे पिता बनने के लिए ये बेहद ज़रूरी है कि अपने व्यस्त समय में से बच्चों को समझने के लिए समय निकालें और उनको समझने का प्रयास करें – जैसे आपके पिता ने आपके साथ कुछ पल को बिताकर उन पलों को ख़ास बनाया वैसे आप भी अपने बच्चे के साथ कुछ ख़ास पल को बितायें ।

3. भावनात्मक रूप से जुड़ें । Develop an emotional bonding

चूँकि पुरुष अपनी भावनाओं को ज़ाहिर नहीं कर पाते हैं, लेकिन एक अच्छा पिता बनने के लिए ये बेहद ज़रूरी है कि वे बच्चों की छोटी छोटी चीज़ों से जुड़े। जैसे उनके साथ बैठकर खाना खाना, कुछ हँसी मज़ाक़ करना, साथ खेलना, बाहर घूमने जाना, बच्चों को स्कूल छोड़ने जाना आदि ऐसे कई पल है जिनमें आप बच्चों से जुड़ सकते हैं इससे वे आप पर विश्वास भी करेंगे और भावनात्मक रूप से भी जुड़ेंगे।

4. एक अच्छे जीवन साथी बनें । Be a good life partner

बेहद ज़रूरी है कि आप एक अच्छे साथी की तरह अपने जीवनसाथी का सम्मान करें क्योंकि जब आप अपने साथी का सम्मान करते हैं। तो बच्चा आपका और अपने से बड़ों का सम्मान करता है, क्योंकि आप जैसा व्यवहार बच्चे के सामने रखेंगें, बच्चा वैसा ही सीखता है और उसका अनुसरण करने लगता है।

5. बच्चे से अच्छे से पेश आयें । Respect your child

एक बच्चे के लिए माता पिता उसके रोल मॉडल होते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि आप बच्चों के सामने अच्छा आचरण करें। बच्चों का सम्मान करें ताकि वे दूसरों का सम्मान करें और अच्छी बातें सीखकर अच्छा आचरण करें।

6. पैरेंटिंग की कला सीखें । Learn art of parenting

एक अच्छे पिता बनने के लिए ये बेहद ज़रूरी है कि आप पैरेंटिंग की कला सीखें। पिता बनने के बाद हर दिन एक चुनौतियों भरा होता है, इसलिए उन चुनौतियों को स्वीकारें और उनसे सीखने का प्रयास करें।

7. ज़रूरतों को समझें । Be a responsible father

एक अच्छे पिता बनने के लिए ये बेहद ज़रूरी है कि आप अपने बच्चे को समझें और उसके प्रति आपकी जो भी जिम्मेदारी है, उसे अच्छे से निभायें।

8. बच्चे के अच्छे दोस्त बनें । Be a good friend

आप एक अच्छे पिता तभी बन सकते हैं, जब आप एक पिता की भूमिका से हटकर उसके दोस्त बनने का प्रयास करते है, उसकी ज़रूरतों को समझने का प्रयास करते है।

9. लोगों से बात करें । Talk with other parents

एक अच्छे पिता बनने के लिए ये आवश्यक है कि आप उन लोगों के अनुभवों को जानें जो पिता बनने के अनुभव से गुज़र चुके हैं और उनसे एक अच्छे पिता बनने के अनुभव को सीखें। उन लोगों से अपनी समस्या कहें, उन लोगों से अपने अनुभव को बाँटे। यह बच्चों के साथ आपके रिश्ते की डोर को मजबूत करने के लिए ये बेहद ज़रूरी है।

10. तलाक़ लेने के बाद भी बच्चों से जुड़ें । Meet your children after divorce

जब दो लोगों के रिश्ते टूटते है, तो इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित बच्चे होते है अक्सर बच्चे की कस्टडी माँ को मिलती है, ऐसे में यदि आप एक अच्छे पिता बनकर रहना चाहते है तो आप उनके साथ समय व्यतीत कर सकते है।आप उनसे फोन के माध्य्म से भी जुड़ सकते है।
लेकिन आज भी ऐसे कई माता पिता है जो सिर्फ़ अपनी इच्छाओं और भविष्य के लिए सोचते हैं। बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए ये ज़रूरी है कि माता पिता उनके प्रति सजग रहें और उनसे जुड़ने और उन्हें समझने के लिए इन दस बातों का अनुसरण ज़रूर करें, ताकि आप भी अपने पिता की तरह एक अच्छे पिता बनें, क्योंकि ये ख़ुशी सिर्फ़ आपकी है और यूँ जीने का हक़ भी आपका है।

Sunday, 23 July 2017

मिलें मुश्किल से जो पल वो सदा आबाद रहते हैं
सफर आसान हो तो रास्ते कब याद रहते हैं

कदर करते हैं जो जज्बात की,आँसू की,रिश्तों की
वो पिच पर जिन्दगी की अंत तक नाबाद रहते हैं

जो खा सकते हैं रोटी घास की सम्मान की खातिर
गुलामी की सलाखों से वही आजाद रहते हैं

बुझा न पायेंगी ये रूढ़ियाँ रोशन च़रागों को
हिरण्यकश्यप के घर में आज भी प्रह्लाद रहते हैं

करो मत भ्रूण की हत्या सरासर पाप है
कभी पूछो जरा उनसे जो बेऔलाद रहते हैं
Image may contain: bird and outdoor

Sunday, 16 July 2017

#छोड़ी_हुई_औरत_की_व्यथा.......

#छोड़ी_हुई_औरत_की_व्यथा...............
छोड़ी हुई हमेशा
औरत ही क्यों होती?
मर्द क्यों नहीं होता?
क्यों हमेशा यह त्रासदी
औरत के हिस्से रही
दुष्कर्म तो इंद्र ने किया
लेकिन सजा अहिल्या को मिली
परित्यक्ता! सीता क्यों
यह सवाल बेचैन करते हैं मुझे
हां छोड़ी हुई औरत हूं मैं
लेकिन इसमें मेरा दोष क्या?
मैंने तो हर कोशिश की 
तुम्हें खुश रखने की
एक आदर्श पत्नी बनने की
इच्छा-अनिच्छा जताये बिना
बिछी तुम्हारे बिस्तर पर
जो चाहा तुमने वो दिया
फिर भी मुझपर लगा
एक छोड़ी हुई औरत का ठप्पा
खुद पर यह मुहर 
ना लगने देने के लिए
कितना तड़पी मैं
कितनी मिन्नतें की
लेकिन तुमने क्या किया
मुझे बना दिया 
एक छोड़ी हुई औरत
जो सहज उपलब्ध मानी जाती है सबके लिए
क्या रिश्ते प्रेमवश बनते हैं
मैंने तो इसे स्वार्थवश बनते देखा
फिर भी थामे रखा
रिश्ते की उस डोर को
जो बेमानी थे तुम्हारे लिए
इसलिए नहीं कि रिश्तों में
गरमाहट शेष थी, बल्कि
इसलिए कि कही ना जाऊं
एक छोड़ी हुई औरत
लेकिन कम ना हुआ
तुम्हारा पुरूष दंभ
दंभी पुरूष से यह जवाब चाहती है
एक छोड़ी हुई औरत
कि
जब छोड़ दिया मुझे
तो अधिकार क्यों जताते हो
मैं जागीर नहीं तुम्हारी
एक इंसान हूं
और जानती हूं कि
छोड़ी हुई मैं हूं
लेकिन अभागी मैं नहीं
तुम हो, जिसने समझा नहीं मेरे प्रेम को...

Friday, 14 July 2017

#दिल_छू_लेगी ये कहानी

#दिल_छू_लेगी ये कहानी
एक बार जरूर पढें.......*.
#Next.
एक लड़का एक लड़की को बहुत प्यार
करता था.
लड़के ने लड़की को प्रपोज़ किया..
लड़की :- जितनी तेरी एक महीने की कमाई
है,
उतना मेरा हफ्ते का खर्चा है, इसलिए मैँ
तुमसे मोहब्बत
नहीं कर सकती..
फिर भी वो लड़का मन ही मन
उसी लड़की को चाहता है...
20 साल बाद वो दोनों संयोग से एक मॉल
(दुकान) में मिलते
है,
बातो ही बातो में लड़की ने
कहा मेरा पति आज एक बहुत बड़ी
कंपनी में नौकरी करता है.
उसकी सेलरी एक 80 हजार रुपये
प्रति महिना है.
वो बहुत होशियार है, अब तुम ही बताओ,..
मैंने उस दिन तुम से शादी न कर के कोई
गलती की क्या...?
.
लड़के की आँखे नम हो जाती हैं,...
और उसके बाद दोनों अपने काम के लिए जाने
लगे..
.
थोड़ी देर में लड़की का पति उसे लेने
आया और लड़की के
पति की नजर उस लड़के पर पड़ी और कहा -
सर, आप
यहाँ ?,
बाद में अपनी पत्नी से मिलते हुए
कहा कि :- ये मेरी कंपनी के
मालिक है
और एक साल का 500 करोड़ का टर्न-ओवर
है,
और सर एक लड़की को चाहते हैं, इसलिए आज
तक सर ने
शादी नहीं की...लड़की Emotional
हो गयी यह है
जिन्दगी बस एक पल की मोहताज़
नहीं होती,बस
वक़्त उसे मोहताज बना देता है....
"प्यार को समझें और उसे महत्व दें,
उसे तोले नहीं... क्योकि प्यार अनमोल है"
जो लोग सच्चा प्यार करते हैं पढने के बाद
शेयर जरुर करें
"गुजरी हुई जिंदगी को
कभी याद न कर,
तकदीर मे जो लिखा है
उसकी फर्याद न कर...
जो होगा वो होकर रहेगा,
तु कल की फिकर मे
अपनी आज की हसी बर्बाद न कर...
हंस मरते हुये भी गाता है
और
मोर नाचते हुये भी रोता है....
ये जिंदगी का फंडा है बॉस
दुखो वाली रात
नींद नही आती
और
खुशी वाली रात
.कौन सोता है...
Nice Line....
इन्सान कहेता हे की पैसा आये तो
में कुछ करके दिखाऊ,
और
पैसा कहेता हे की तू कुछ करके दिखा तो में आऊ ।।Shashi raj

Thursday, 13 July 2017

नारी जीवन

नारी जीवन


नारी के जीवन को कविता के माध्म से बताने की छोटी सी कोशिश !


बाबुल तुम बगिया के माली, हम तरुवर के फुल रे 
खिलते ही हम पिया संग चले, जाएँ तो लोट न आयें,

आँखों से आँसू निकले तो पीछे बाबुल रोये,
घर की कन्या बगिया का फुल,फिर  ना डाली से जुड़े  
बाबुल तुम बगिया के माली.......

 सुध ना हमको  जनम के पहले , अपनी कहाँ थी क्यारी
 जब आँख खुली तो, हम थे और गोद थी  तुम्हारी 

बाबुल तुम बगिया के माली......

ऐसा था वह संसार हमारा जहाँ शाम भी लगे सवेरा 
बाबुल तुम थे विशाल वक्ष, हम कोमल केसर क्यारी रे 
बाबुल तुम बगिया के माली.......

दुःख में भी हमने सुख देखा तेरी आचल के छाव मे 
बाबुल तुम कुलवंश कमल हो , हम कोमल पंखुड़ियां रे 
बाबुल तुम बगिया के माली.......


बचपन बिता भोलेपन मे पर अब झलके  रंग जवानी के
बाबुल ढूढ़ते फिरो तुम हमको,हम ढूंढें अपना सावरिया रे
बाबुल तुम बगिया के माली.......

बदती उमर लोक-लाज  से जा टकराई
इज्जत गिरने के डर से, दुनिया  डोली ले आई
 बाबुल तुम बगिया के माली.....

गूंजी शहनाई तो  मन रोया और नयन बहे  बाबुल
ओढ़ चुनरी सुहाग की, हाथो मे डाली हथकड़ियां रे
बाबुल तुम बगिया के माली.....

तन का सौदा कर के भी तो , मिला ना मन का मीत रे
 रीत निभाई प्रीत की,  पर वो ही निकला हरजाई  रे
बाबुल तुम बगिया के माली.....

ब्याह नाम की  यह लीला  करवाई लाखों पर
मांग रखी मंडप पर मन ही मन बाबुल रोये रे
बाबुल तुम बगिया के माली.....

प्यार बताकर पीड  मिली तो नीर निकला अंखियाँ से
सखियाँ बिछुड़ी तो प्रीत मिली पिया की  रे
बाबुल तुम बगिया के माली....


जब  ससुराल पहुंच कर देखा तो दुनिया ही न्यारी थी
फूलों की सी थी हरी भरी क्यारी पर थी वो कांटो की फुलवारी
बाबुल तुम बगिया के माली

 दुल्हन बनकर दिया कुलदीपक, दासी बन घर चलाया
माँ बनकर ममता बांटी तो ,झोंपड़िया बनी महल  रे
बाबुल तुम बगिया के माली.....


जनम लिया तो जले पिता -माँ ,जब यौवन खिला ननद -भाभी
ब्याह रचा तो जला मोहल्ला , पुत्र हुआ तो बंध्या भी
बाबुल तुम बगिया के माली.....


जगत से छुड़ा कर अपने को , माथे बिंदु में बंद किया
कर्तव्यो में बाँधा तन को त्याग -तप से साधा मन को

बाबुल तुम बगिया के माली.....



गर पहले गए पिया जो हमसे तो जग जीने ना दे
अगर हम ही चल बसें , तो फिर जग बाटें रेवड़ियां रे
बाबुल तुम बगिया के माली...