Saturday, 4 March 2017

sayri


यूँ ही "गुज़र" जाती है मेरी हर शाम "अंजुमन" में...!
कुछ तेरी "आँखों" के बहाने कुछ तेरी "यादों" के बहाने...!
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आब की दौलतें भर ले भी तो किनारा है
प्यार की नदियों में मिलने का कब इशारा है

इन मुलाकातों का अंजाम भी जुदाई है
लाख इनमें कहीं चाहत का उजियारा है

मुजरिमे वक्त ही बरपायेगा कहर दिल में
बेगुनाह आदमी इसके सितम ने मारा है

मोहलतें प्यार की मिलती है मगर हमने ही
होके मसरूफ यहाँ फासला गुजारा है

सूफ़ी का प्यार फिज़ाओं की अमानत मानिंद
जैसे रातों में चमकता हुआ सितारा है 
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6h
#सुना है तेरे शहर में #वफ़ा मिलती है
#टूटे हुए दिलों को #दवा मिलती है
#बस यही सुन कर आए थे #तेरे शहर में
#मगर यहाँ तो दिल लगाने की भी #सजा मिलती है ।
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आज कुछ कमी सी है तेरे बगैर...
ना रंग ना रोशनी है तेरे बगैर...
वक्त अपनी रफ्तार से चल रहा है....
बस धडकने थम सी गई है तेरे बगैर.
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6h
अाज टूटा हूँ बहुत ज्यादा य़ारा
जारा दुर रहना टूकडे चुभ जायेगे
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6h
मुझे मालूम नहीं मेरी आखों को तलाश
किसकी है,,
तुझे देखती हूँ तो मंजिल का एहसास
होता है...!!
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7h
ख़ुशी मेरी तलाश में दिन रात यूँ ही भटकती रही…. कभी उसे मेरा घर ना मिला कभी उसे हम घर ना मिले….!
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7h
एक दिन हम भी कफ़न ओढ़ जाएँगे हर एक रिश्ता इस ज़मीन से तोड़े जाएँगे जितना जी चाहे सतालो यारो एक दिन रुलाते हुए सबको छोड़ जाएँगे
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7h
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती दिल में क्या है वो बात नही समझती तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती…
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6h
दोस्तों जिन्दगी को हमेशा एक फूल की तरह जिया करो,

_जो खुशबु भी दूसरों को देता है और टूटता भी दूसरों के लिए ही है..
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6h
अाज टूटा हूँ बहुत ज्यादा य़ारा
जारा दुर रहना टूकडे चुभ जायेगे
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