अजीब खेल है ये मोहब्बत का,
किसी को हम न मिले, कोई हमें ना मिला।
किसी को हम न मिले, कोई हमें ना मिला।
उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी,
उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी।
तमाम नींदें गिरवी हैं हमारी उसके पास,
जिससे ज़रा सी मुहब्बत की थी हमनें।
कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ,
उसने जब पूछा.. कहो कैसे आना हुआ।
हाथों की लकीरे पढ़ कर रो देता है दिल,
सब कुछ तो है मग़र तेरा नाम क्यूँ नहीं है।
इश्क अभी पेश ही हुआ था इंसाफ के कटघरे में,
सभी बोल उठे यही कातिल है.. यही कातिल है।
ना जाने वो कितनी नाराज़ है मुझसे..
ख्वाब में भी मिलती है तो.. बात नहीं करती।
जी करता है तेरे संग भीगू मोहब्बत की बरसात मे,
और रब करे.. उसके बाद तुझे इश्क़ का बुखार हो जाए।
उनका इल्ज़ाम लगाने का अंदाज ही कुछ गज़ब का था,
हमने खुद अपने ही ख़िलाफ गवाही दे दी।
ज़िंदगी में मोहबत का पौधा लगाने से पहले ज़मीन परख लेना,
हर एक मिटटी की फितरत में वफ़ा नहीं होती दोस्तो।
सुना है तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते हैं लोग..
एक नज़र हमको भी देख लो.. ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती..!!
एक नज़र हमको भी देख लो.. ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती..!!
वो इतना रोई मेरी मौत पर मुझे जगाने के लिए..
मैं मरता ही क्यूँ अगर वो थोडा रो देती मुझे पाने के लिए..!!
खुद भी रोता है, मुझे भी रुला के जाता है..
ये बारिश का मौसम, उसकी याद दिला के जाता हैं।
बड रहा है दर्द गम उस को भूला देने के बाद
याद उसकी ओर आई खत जला देने के बाद!
निगाहों से भी चोट लगती है.. जनाब..
जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है..!!
वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती,
ऐ खुदा.. सुना है कि उनके तो कान होते है!!
आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया,
दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया
इश्क है या इबादत.. अब कुछ समझ नहीं आता,
एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता.
लोगो ने कुछ दिया, तो सुनाया भी बहुत कुछ
ऐ खुदा.. एक तेरा ही दर है, जहा कभी ताना नहीं मिला!!
कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते,
अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है !!
फ़िक्र तो तेरी आज भी है..
बस .. जिक्र का हक नही रहा।
बस .. जिक्र का हक नही रहा।
तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे?
दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।
काग़ज़ पे तो अदालत चलती है..
हमने तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर किये।
एम्बुलेंस सा हो गया है ये जिस्म,
सारा दिन घायल दिल को लिये फिरता है।
हम तो बिछडे थे तुमको अपना अहसास दिलाने के लिए,
मगर तुमने तो मेरे बिना जीना ही सिख लिया।
ताला लगा दिया दिल को.. अब तेरे बिन किसी का अरमान नहीं..
बंद होकर फिर खुल जाए, ये कोई दुकान नहीं।
सिखा दिया दुनिया ने मुझे अपनो पर भी शक करना
मेरी फितरत में तो गैरों पर भी भरोसा करना था..!!
जो इस दुनियाँ में नहीं मिलते , वो फिर किस दुनियाँ में मिलेंगे जनाब..
बस यही सोचकर रब ने एक दुनियाँ बनायी , जिसे कहते हैं ख्वाब।
जुनून, हौसला, और पागलपन आज भी वही है
मैंने जीने का तरीका बदला है तेवर नहीं..!!
हम ने भी कह दिया उनसे की बहुत हो गयी जंग बस..
बस ए मोहब्बत तुझे फ़तेह मुबारक मेरी शिक्स्त हुई।
मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए किस्से लिखना,
मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी महफ़िल सजाना सीख लो।
मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी महफ़िल सजाना सीख लो।
कल क्या खूब इश्क़ से मैने बदला लिया,
कागज़ पर लिखा इश्क़ और उसे ज़ला दिया..!!
ये ही एक फर्क है तेरे और मेरे शहर की बारिश में
तेरे यहाँ ‘जाम’ लगता है, मेरे यहाँ ‘जाम’ लगते हैं..!!
हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी,
ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।
रुकी-रुकी सी लग रही है नब्ज-ए-हयात,
ये कौन उठ के गया है मेरे सिरहाने से।
आंसू निकल पडे ख्वाब मे उसको दूर जाते देखकर..!!
आँख खुली तो एहसास हुआ इश्क सोते हुए भी रुलाता है..!!
यू तो अल्फाज नही हैं आज मेरे पास मेहफिल में सुनाने को,
खैर कोई बात नही, जख्मों को ही कुरेद देता हूँ।
मेरी आँखों में मत ढूंढा करो खुद को
पता है ना.. दिल में रहते हो खुदा की तरह।
तुम्हारा क्या बिगाड़, था जो तुमने तोड़ डाला है!!
ये टुकडे मैं नही लूँगा मुझे तुम दिल बना कर दो!!!!
मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए किस्से लिखना,
मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी महफ़िल सजाना सीख लो।
तुम दूर हो या पास फर्क किसे पड़ता है,
तू जँहा भी रहे तेरा दिल तो यँही रहता है..!!
तू जँहा भी रहे तेरा दिल तो यँही रहता है..!!
पहली बारिश का नशा ही कुछ अलग होता हैं,
पलको को छूते ही सीधा दिल पे असर होता हैं।
सुनो ये बादल जब भी बरसता है,
मन तुझसे ही मिलने को तरसता है..!!
मरहम लगा सको तो गरीब के जख्मो पर लगा देना
हकीम बहुत है बाजार में अमीरो के इलाज खातिर !!
मैंने अपने ख्वाहिशो को दिवार में चुनवा दिया,
खामखाँ जिंदगी में अनारकली बनके नाच रही थी !!
वो कहते हैं हम जी लेंगे खुशी से तुम्हारे बिना,
हमें डर है वो टूटकर बिखर जायेंगे हमारे बिना।
ज़िन्दगी ये चाहती है कि ख़ुदकुशी कर लूँ,
मैं इस इन्तज़ार में हूँ कि कोई हादसा हो जाए।
मोहब्बत रोग है दिल का इसे दिल पे ही छोड़ दो,
दिमाग को अगर बचा लो तो भी गनीमत हो..!!
ख्वाब मत बना मुझे.. सच नहीं होते,
साया बना लो मुझे.. साथ नहीं छोडेंगे..!!
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक,
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक..!!
जिन्दगी की राहों में मुस्कराते रहो हमेशा,
उदास दिलों को हमदर्द तो मिलते हैं, हमसफ़र नहीं !!
उदास दिलों को हमदर्द तो मिलते हैं, हमसफ़र नहीं !!
ना प्यार कम हुआ है ना ही प्यार का अहेसास,
बस उसके बिना जिन्दगी काटने की आदत हो गई है !!
तेरी यादों ने मुझे क्या खूब मशरूफ किया है ऐ सनम..
खुद से मुलाकात के लिए भी वक़्त मुकर्रर करना पड़ता है।
तुम्हारी याद ऐसे महफूज़ है मेरे दिल मे,
जैसे किसी गरीब ने रकम रक्खी हो तिजोरी में.!!
इश्क़ है या कुछ और ये तो पता नहीं ,
पर जो तुमसे है वो किसी और से नही..!!
ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है
तो मेरा लहू लेले, यू कहानिया अधूरी न लिखा कर।
तेरी जगह आज भी कोई नहीं ले सकता ,
पता नहीं वजह तेरी खूबी है या मेरी कमी..!!
तुम्हारा साथ तसल्ली से चाहिए मुझे..
जन्मों की थकान लम्हों में कहाँ उतरती है !!
यूँ तो शिकायते आप से सैंकड़ों हैं मगर..
आप एक मुस्कान ही काफी है मनाने के लिये।
मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया हूँ ऐ खुदा..
किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे, जो मौत तक वफा करे।झे भी सिखा दो भूल जाने का हुनर..
मैं थक गया हूँ हर लम्हा हर सांस तुम्हें याद करते करते..!!
सिलसिला ये चाहत का दोनो तरफ से था,
वो मेरी जान चाहती थी और मैं जान से ज्यादा उसे।
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।
अपने वजूद पर इतना न इतरा ए ज़िन्दगी..
वो तो मौत है जो तुझे मोहलत देती जा रही है!!
होता अगर मुमकिन, तुझे साँस बना कर रखते सीने में,
तू रुक जाये तो मैं नही, मैं मर जाऊँ तो तू नही.
आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें,
सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है!
आज भी प्यारी है मुझे तेरी हर निशानी ..
फिर चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखो का पानी।
उम्र छोटी है तो क्या, ज़िंदगी का हरेक मंज़र देखा है,
फरेबी मुस्कुराहटें देखी हैं, बगल में खंजर देखा।
मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में, तू जरा हिम्मत तो कर…
खवाब बदलेगें हकीकत में.. तू ज़रा कोशिश तो कर।
वफ़ा के वादे वो सारे भुला गयी चुप चाप,
वो मेरे दिल की दीवारें हिला गयी चुप चाप।
मैं नींद का शोकीन ज्यादा तो नही..
लेकिन तेरे ख्वाब ना देखूँ तो.. गुजारा नही होता..!!
मुहब्बत नहीं है नाम सिर्फ पा लेने का..
बिछड़ के भी अक्सर दिल धड़कते हैं साथ-साथ..!!
मुश्किल भी तुम हो, हल भी तुम हो ,
होती है जो सीने में , वो हलचल भी तुम हो ..!!
चेहरे के रंग को देखकर दोस्त ना बनाना.. दोस्तों ..
तन का काला तो चलेगा लेकिन मन का काला नहीं।
दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही
माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही
तुझे भूलने के लिए मुझे सिर्फ़ एक पल चाहिए,
वह पल! जिसे लोग अक्सर मौत कहते हैं…!!
अब लोग पूछते हैं हमसे.. तुम कुछ बदल गए हो
बताओ टूटे हुए पत्ते अब .. रंग भी न बदलें क्या..!!
छोटा है मुहब्बत लफ्ज, मगर तासीर इसकी प्यारी है.
इसे दिल से करोगे तुम, तो ये सारी दुनियाँ तुम्हारी है.
क्या क्या रंग दिखाती है जिंदगी क्या खूब इक्तेफ़ाक होता है,
प्यार में ऊम्र नहीँ होती पर हर ऊम्र में प्यार होता है..!!
तुम्हारी याद की शिद्दत में बहने वाला अश्क
ज़मीं में बो दिया जाए तो आँख उग आए..!!
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