Wednesday, 22 March 2017

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मिल गया था जो मुकद्दर वो खो के निकला हूँ, मैं वो लम्हा हूँ हर बार रो के निकला हूँ, मुझे राहे दुनिया में अब कोई भी दुशवारी नहीं, मै तेरे खंजर के वार से हो के गुजरा हूँ।। 

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