Wednesday, 29 March 2017

सिर्फ मैं हाथ थाम सकूँ उसका,
मुझ पे इतनी इबादत सी कर दे...!!
वो रह ना पाऐ एक पल भी मेरे बिन, 
ऐ खुदा तु उसको ,मेरी आदत सी कर दे...!!

Wednesday, 22 March 2017

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मिल गया था जो मुकद्दर वो खो के निकला हूँ, मैं वो लम्हा हूँ हर बार रो के निकला हूँ, मुझे राहे दुनिया में अब कोई भी दुशवारी नहीं, मै तेरे खंजर के वार से हो के गुजरा हूँ।। 

Tuesday, 7 March 2017

ख्याल तुम्हारे खुशबू है या नशा




ख्याल तुम्हारे खुशबू है या नशा
हम समझ नहीं पाते है

कभी साँसे महक उठती है
कभी हम मदहोशी से भर जाते है
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सबसे छुपाकर तन्हाई से बोल रक्खी है
दिल ही दिल में तेरे एहसास मोल रक्खी है
हर पल हर लम्हा तुम्हें महसूस कर सकूँ
तेरी इश्क की महक साँसों में घोल रक्खी है

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खुशबुओं को बोतलों में बंद कर दो
मौसम ये बहारों का चार दिन होगा
जब दस्तक देगा पतझड़ दर पे तेरे
मुस्कान यही यादों का सावन होगा
पंखुड़ी गुलाब की किताब मे रखना
पन्नों के साथ महकता जेहन होगा





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खामोशी से दिल का हाल कह गये
नजर भर देखा भी न मेरी तरफ
छुपाकर रखा था हथेलियों मे जो
मेरे आँचल मे वो सुर्ख गुलाब रख गये

#श्वेता🍁
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सुर्ख गुलाब ने शहर भर में हंगामा कर दिया
जुल्फों से उलझाया था,किसी के उंगलियों मे सज गया
मदहोश खुशबू का नशा कोई दिवाना बन गया
राज जो छुपाया था धड़कनो ने आँखों ने सारा कह दिया
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सुर्ख गुलाब की खुशबुएँ उतरने लगी
रूठी ज़िदगी फिर से अब सँवरने लगी

बाग में तितलियाँ फूलों को चूमे है जब
लेकर अँगड़ाईयाँ हर कली बिखरने लगी

एक टुकड़ा धूप जबसे आँगन मेरे उतरा
पलकों की नमी होंठों पे सिहरने लगी

दूर जाकर भी इन आँखों मे मुस्कुराते हो
दो पल के साथ को हसरतें तड़पने लगी

तुम मेरी ज़िदगी का हंसी किस्सा बन गये
एहसास को छूकर दीवानगी गुजरने लगी

#श्वेता🍁


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महकती भोर ने अंखियाँ खोली है
आप भी साथ कलियों के मुस्कुराईये
एक खूबसूरत सुबह ने दस्तक दी है
आप भी स्वागत में बाहें फैलाईये
व्यर्थ की चिंता रब पर छोड़ कर
खुशियों का अपने घर का पता बताईये
जो मिला है जिंदगी से एक और दिन
इसके हर लम्हें में जीवन के रंग भर जाईये

#श्वेता🍁


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अंगडाईयाँ कलियों की देखकर भौरें मचलने लगे
खुशबुओं के पिटारे खुले मन फिर बहकने लगे
सुर्ख दुपट्टे के गुलाब में ओस सितारों से चमकने लगे
सर्द हवाओं ने छुआ ख्याल फिर से महकने लगे

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उनींदी पलकों पे
अधखुले झरोखे से
दबे पाँव आती
हौले से लबों को छू जाती
एक मुस्कान दे जाती
शबनमी कतरों मे लिपटी
सुर्ख पैरहन मे सिमटती
साँसों में मीठे महकती
आँखों से दिल मे उतरती
गरमाहट भर जाती
खुशबू भरी फिजांओ से
चूमकर नशीली हवाओ को
एक याद उड़कर परिंदों सी
घटाओं मे फिसलती
ये सुरूर जाने क्यों चढ़े
जब कोई ख्यालों मे गुनगुनाए
मन गुलाब बन जाता फिर
एक एक पंखुड़ी बिखरती
दिनभर चुनते सहेजते
अनजानी संदली कसक
मन बौराये रहती


#श्वेता


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*अपने एहसास की खुशबू से तरबतर एक गुलाब भेजा है
भूल जाओ ज़माने के गम आँखों को महकता ख्वाब भेजा है
तुम गुनगुनाओ लब पे सजाओ गीत प्रेम का लाज़वाब भेजा है
हर सुबह तेरे पहलू को रौशन करे एक सुर्ख आफताब भेजा है*

#श्वेता

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शबनमी बूँदों में भींगे गुलाब, नज़रों को भा गये
खुशबूओं मे लिपटे ख्याल, होठों पे छा गये
ठंडी हवाओ ने छुआ तन, मन तक सिहरा गये
गुनगुनी धूप की अगड़ाईयाँ, तपिश यादों को पिघला गये


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*गुनगुन भँवर मचाये शोर ,छूकर सुर्ख गुलाब के पोर
पी जाऊँ सब शहद पराग, हिय मारे है प्रेम हिलोर
महके सारा बाग आज तो, खुशबू मन को करे विभोर
रह रह आऊँ दूर न जाऊँ,तुम संग बाँधे नेह की डोर *


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*खामोश सदा आपकी हवाएँ लेकर आयी है
मुस्कुराते ख्यालों ने आपकी तस्वीर बनायी है
महक रहे एहसास खुशबू आपकी भर आयी है
न छूटे साथ आपका दिल मे हसरत हो आयी है*


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दिल की हर बात जो
हम कह नही पाते है
कभी फूल कभी बादल
कभी चाँद कभी तारों से
अपने दिल का हाल सुनाते है
हवाओं को चूमकर
हज़ारों पैगाम भिजवाते है
सुर्ख गुलाब बेताबियों की
खूबसूरत निशानी है

लजीली पलकों की
धड़कते सीने की
बेताबी भरे सुबह
बेचैन करती शामों
कश्मकश में उलझे
नेह डोर में बंधते
रेशमी एहसास की
अनकही कहानी है

रख कर पंखुड़ियों में
सारे अनकहे लफ्ज़
भरकर प्यार की
खुमारी से लबरेज़
हाल ए दिल भेजा है
शायद वो समझ पाए
लरजते जज़्बातों को
गुलाब एक फूल नहीं
एक प्यार भरे दिल की
बेजुबान कहानी है

#श्वेता🍁



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रंग गुलाब का थोड़ा मौसम में घोल दो
महक जाए फिजा़ तुम मुस्का के बोल दो



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चढ़कर पलकों के जीने एक ख्वाब महकने लगा
खुमार इश्क का घुला रूत मदहोश बहकने लगा
खामोश लबों से खिलकर मुस्कान बिखरी फिजां मे
छूकर गुल हवा महकी भौंरों का दिल धडकने लगा


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हथेलियों मे भरकर पंखुड़ियाँ गुलाब की
हवाओं में भर दी महकने को
रंग सुर्ख मल दिया आसमान के कोरो मे
सूरज के होठों को चमकाने को
पराग से गूँथ दिया डोर रेशमी किरणों की
तितलियों का मन ललचाने को
सुर्ख गलाब के खुशबू सा भींगा दिन निकला
भरने को रंग जीवन मे आपके
आप भँवर सा सारा रस पीकर इतराईये
हर पल को खुश हो जी जाईये

#श्वेता🍁




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मौसम कोई भी हो गुलाब की खुशबू कम नही होती
रंग खिला रहता है कडी धूप में भी हंसी नम नही होती
टूटकर भी कुछ काम ही आते है कीमत बेदम नही होती
फितरत इंसान सी नही वरना ये पत्थर से कम नही होती


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सारी रात फूलों का दामन भिंगोती रही चाँदनी
सुबह के नम रूखसार पर बिखरे है मोती सारे



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सुर्ख गुलाब के दामन मे लिपटे कुछ रेशमी एहसास लिखे है
एक अनकही दास्तां के जज़्बात कुछ लफ्ज खास लिखे है
जो कह न सके कभी आपसे बस ख्यालों.मे महकते रहे मेरे
लफ्ज़ लफ़्ज़ बिखरने लगे पराग से दिल के सब राज़ लिखे है

#श्वेता🍁

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खुशबू की फितरत और बिखरने का शौक रखते है
हम मिटने से नहीं डरते,उनसे बिछड़ने का खौफ रखते है


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सुप्रभात

आपके मनमुताबिक खुशियों से भरा
रहे दिन आपका
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दिल की खामोश दुआओं मे
रब्ब से एक ही गुजारिश की है
आप मुस्कुरायें हर पल जीवन मे
जुड़े हाथों ने यही एक ख्वाहिश की है
हर गम आपके राह के चुन लूँ दामन में
सिर्फ आपकी खुशी की फरमाईश की है
कोई फर्क नहीं पड़ता हम है कि नही
आपके रूह को मिलता हो सुकून जिससे
ऐसे हमराह की रब्ब से सिफारिश की है

** #श्वेता




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नज़रो के इशारे उनके, दिल बेहाल हो गया
खुशबुओं से महका मन,तन गुलाब हो गया
ठंडी हवा की सरगोशी ,मौसम शराब हो गया
झुकी पलकें,हर सवाल का जवाब हो गया



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न भाए मुझे अब रंग
चुभ रहे काँटे सुर्ख गुलाब के
ले जा अपनी यादें संग
पलकों से टूटे बिखरे ख्वाब के

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दिनभर गुलाब से महकते रहे ख्याल आपके
न इक पल गये याद छाये रहे बेहिसाब आपके
बहुत चुभ रही है काँटों सी तन्हाईयाँ शाम की
बेबस.दिल फिजांओ से पूछे है सवाल आपके
हाल ए दिल समझकर भी न समझे है आप, फिर
किस पिटारे बंद रखूँ न सताये हमें ख्याल आपके

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*कलियाँ सुर्ख गुलाब.की ,आँखो मे उतरी लब पे *छा गयी *
हवा मे बिखरी खुशबू ,लम्हा लम्हा खुशनुमा *बना गयी
काँटों के बीच मुस्कुराती जिंदगी ,एक एहसास *जगा गयी
बेशकीमती है हर पल,गम से न घबराने का सबक सिखा गयी

#श्वेता