Saturday 10 February 2018

शब्दों में जिम्मेदारी झलकनी चाहिए आपको बहुत से लोग पढ़ते हैं

शब्दों में जिम्मेदारी झलकनी चाहिए आपको बहुत से लोग पढ़ते हैं


कोई आदत कोई बात या फिर खामोशी मेरी कभी तो कुछ तो याद उसे भी आता होगा





उसने मुझे देखा कुछ इस सलीके से जैसे मुझे देखा...और देखा भी नही

झूँठ के रिश्तेदार बहुत हैं इस दुनिया में सच का क्या, वो तो ख़ुद अपना नहीं है 

शब्दों में जिम्मेदारी झलकनी चाहिए आपको बहुत से लोग पढ़ते हैं Good morning 



तस्वीर तेरी ख़ूब है लेकिन कहीं कहीं धब्बे लगे हुए हैं मेरे इंतज़ार के



दिल अगर शिकायत न करे धड़कनें समझदार हो जाती है


चाहत का एक मीठा मीठा दर्द जगाने शाम ढले तेरी यादें याद आती है मुझको रुलाने शाम ढले



ये इश्क़ किसी गूँगे का ख्वाब हो जैसे के मेरी ज़ुबाँ ही मेरी हालत बता नही सकती




आ जाए किसी दिन तू ऐसा भी नहीं लगता लेकिन वह तेरा वादा झूठा भी नहीं लगता



आँखों में रात आ गई लेकिन नही पता में किस की हूँ ख्वाहिश मेरी जुस्तजू है क्या 
मयकदे बंद करे लाख ज़माने वाले शहर में कम नही आँखों से पिलाने वाले


चाहत का एक मीठा मीठा दर्द जगाने शाम ढले तेरी यादें याद आती है मुझको रुलाने शाम ढले



हम अल्फाज ढूढते रह गए और वो आँखों से गज़ल कह गए



नज़रे तुम्हारा जिक्र करती है और सांसे फ़िक्र


रकम तो उतनी इक्कठी हो गई थी मगर वो चीज़ महँगी हो गई थी



आगे जाने वाले लोग पीछे रह गए लोगो को कभी याद नही करते 


लगा रखा रखा है आंखों में काजल नजर को नजर से बचाना चाहती हो



सलामत रहे वो दुनियाँ जिस में तू बसता है हम तेरी ख़ातिर सारी दुनियाँ को दुआ देते है




बस...दो घड़ी भी मुमकिन हो तेरा हमसफर होना फिर हमें गवारा है...अपना दरबदर होना




मेरे सीने में तेरी धडकन चलती रही यु सारी रात मुहब्बत बढती रहीT



तुझ को देखा नही, महसूस किया है मैंने आ किसी दिन मेरे एहसास को साबित कर दे 




ऐ! गमे-दिल तू मुझे दूर, कहीं भी ले चल, ~ इस जहां से हूँ मैं मजबूर, कहीं भी ले चल 

कुछ अमल भी ज़रूरी है इबादत के लिए, सिर्फ सजदा करने से किसी को जन्नत नहीं मिलती .




कुछ अमल भी ज़रूरी है इबादत के लिए, सिर्फ सजदा करने से किसी को जन्नत नहीं मिलती .


एक इसी बात का था डर उस को मुझ में इंकार की भी हिम्मत न थी


छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मे क्या मांगनाT


इशारों में बात करनी थी, तो पहले बताते हम शायरी को नही, आँखों को सजाते


दिल फ़कत इन्कार ही करता रहा और मोहब्बत होते -होते हो गई



मेरा हँसना तो पहले ही इक जुर्म था मेरा रोना भी उनको गंवारा नही



उन की नाकामियों को भी गिनिये जिन की शौहरत है कामयाब लोगो में


खुदा जाने क्या था उन अजनबी आंखों में मैंने बस एक नज़र में ज़िन्दगी खो दीT




हर किसी से मुस्कुरा के मिलो हो सकता है वो चंद लम्हो के लिए अपने दुःख भूल जाए


मेरा वजूद हर उस टूटते तारे की तरह है जिसके शुरुवात और अंत का पता नही



मेरी पलके भीगों के वो बेहद मुस्कुराएं



मेरी आँखों को तेरी आदत है, तू ना दिखे तो इन्हें शिकायत है

इश्क़ की हद्द तक प्यार करते है एक तुमने ख़ुद को बंदिशों में बांधे रखा है



फुरसतों को वक़्त नहीं मिलता कभी कभी वक़्त को फुरसत नहीं मिलतीT




फिर उसको याद किया तो मूँद ली आँखे की उसके बाद नजर कौन आने वाला है







No comments:

Post a Comment