Monday, 27 August 2018

जिन्दा हूं पर जिन्दगी हि अब मुझसे रूठ गई

जिन्दा हूं पर जिन्दगी हि अब मुझसे रूठ गई
क्या रख्खा है अब इस दुनिया में..,
जब सारे रिश्ते -नाते हि टूट गए....!

पिरोए थे जो मोती मैंने प्यार के धागे में
वो माला हि अब टूट गई..!

कभी बसते थे जो हमारी पलकों में
वहीं आज आँखों में आँसू छोड़ गए...!

खुश रहेना तुम मेरे प्यरो यही दुआ करता हूं,
बस है पास मेरे तुम्हारी याद उसीके सहारे मैं जिन्दा हूं..!

तुम सब बहोत याद आते हो..!

अलविदा 

मेरे बाद किधर जायेगी तन्हाई



मेरे बाद किधर जायेगी तन्हाई 
मैं जो मरा तो मर जायेगी तन्हाई,
मैं जब रो रो के दरिया बन जाऊँगा 
उस दिन पार उतर जायेगी तन्हाई,
तन्हाई को घर से रुखसत कर तो दो
सोचो किस के घर जायेगी तन्हाई,
वीराना हूँ आबादी से आया हूँ 
देखेगी तो डर जायेगी तन्हाई,
यूं आओ कि पांव की भी आवाज ना हो 
शोर हुआ तो मर जायेगी तन्हाई .

--------घर बुलाता है-----------

उस पुराने घर में जब भी मैं जाता हूँ ,
यादों के इक भँवर में स्वयं को घिरा पाता हूँ !
दीवारों की उखड़ी ईटों के पीछे से कई चेहरे झाँकते हैं!
कितना बदल गया हूँ मैं, अंचभित हो कर ताकते हैं !
हवा चलती सर्द सी, कोई दरवाजा चरमराता है ,
किसी दरवाजे के पीछे से माँ का चेहरा झाँकता है !
खिड़कियों के मैले और टूटे काँच, कहानी पुरानी सुनाते हैं !
दिखते हैं उनमे यादों के प्रतिबिंब, दिल छलनी कर जाते है !
बरामदे में पड़ी चिर-परिचित कुर्सी में, पिताजी बैठे नजर आते हैं !
बढ़ जाती है उनकी आँखों की चमक, मुझे देख कर मुस्कुराते है,
बुढ़ी टागों की कंपन को वे छिपा लेना चाहते हैं,
बेटा दोषी अनुभव करे, वे भूल के भी नहीं चाहते हैं ,
हाथ बढ़ाता हूँ उन्हें छुने को, तभी हवा सी कुछ चलती 
ले जाती उन्हें उड़ाकर न कुर्सी है न पिताजी !
दिल को चीरने वाली ठिठुरन एकाएक बढ़ जाती ,
सुखे पते फड़फड़ाते, सर्द सी हवायें चलती!
भारी कदमों से मैं पहुँचा हूँ घर के भीतर ,
वो फर्श कभी चमचमाता था, ओढ़े बैठा है मैल की चादर!
छोटे-छोटे भाई-बहन हम ,यहाँ मिल के खेला करते थे ,
नन्ही बातें, नन्हे बटँवारे यहीं बैठ किया करते थे !
माँ-पिताजी के चेहरों पर था रंग भी, रौनक और रोशनी, 
खुशियाँ बसती थी इस घर में, बसती थी तब यहाँ जिदँगी !
बढ़ा कारवाँ, उठे काफिले, जिदँगी आगे बढ़ गई !
घर सुना पीछे रह गया, रौनक भी गुम हो गई !
इस घर से जुड़े सनहरे पल, मैं भूल नहीं पाता हूँ !
रोता है दिल यहाँ आकर, पर खिचाँ चला आता हूँ ।

ना तुम भूले ना हम भूले 
मगर, कुछ याद अब नहीं है.. 
हाथों में हाथ है फिर भी 
मगर, अब वो बात नहीं है..
तुम्हारी याद के आँसू भी 
हम दिखलाये किसको..?
कहने को कई है लोग 

मगर, कोइ साथ अब नहीं है.
.

दुख जितना भी दे, खुशी से पेश आते हैं 
हम तो यूँ ही जिदंगी से पेश आते हैं.. 

चढ़ने लगे खुमार सा हर मुलाकात में, 
वो कुछ ऐसी सादगी से पेश आते हैं.. 

इंसान हो इंसानियत की आस रखो हमसे, 
जो खुदा हो, तो बन्दगी से पेश आते हैं.. 

सब के सब हुए हुस्न-ए-गुलाब पर फिदा,
लो, काँटे तक नाजुकी से पेश आते हैं.. 

जहान के हर सितम पे हम आशिक लोग, 
सिर्फ, सिर्फ और सिर्फ, आशिकी से पेश आते हैं.. 

सिखाया है हमें ये इश्क ने फन 'जैफ' 
रोते पल भी हम, हंसी से पेश आते हैं.. 

उदास आँखें, खुरदरा चेहरा क्यों भला 
केवल मेरी खुशियों पे पहरा क्यों भला

वर्षों से हो रही है बस आंसू की खेती 
दुःख का बीज इतना गहरा क्यों भला

अतीत, वर्तमान और भविष्य काले हैं 
मुझसे दूर ही रहा सुनहरा क्यों भला 

देने वाला अजीज होता है ज़माने को 
सब लुटाने के बाद अखरा क्यों भला

ऊपर बैठा सुनता है सबकी सदा ‘मधु’ 
मेरी दुआ के वक्त ही बहरा क्यों भला

ठोकरों को न कोस, जमीं को सलाम कर 
फिर से चल पड़, तू तनिक न विश्राम कर

धरती देती है सहारा, हर गिरने वाले को 
पत्थरों से बेपरवाह हो, तू अपना काम कर

फर्श की धुल अर्श पर बन जाती है सितारा 
गिरकर उठने वालों में रोशन जरा नाम कर

अवरोधों पर हावी रहे जीजिविषा सदा तेरी
मनुज अपराजेय है, फिर से ये पैगाम कर 

सांस के रुकते. ही सब थम जाएगा ‘मधु’
जब तक जिन्दा है, तब तक धूमधाम कर


गम-ओ-दुख के ये इशारे तुम ना समझोगे 
जो दिन हम ने तुम बिन गुजारे तुम ना समझोगे

तुम्हें कैसे बताये तुम हमारे वास्ते क्या हो ? 
समंदर की कहानी में किनारे तुम ना समझोगे 

इतना जान लो एक शख्स से हमने मोहब्बत की थी, 
हमारे टूटने का खेल प्यारे तुम ना समझोगे 

हजारों मुश्किलों से खेल कर भी जाने वाले, 
ये आखिर किस जगह पर हारे तुम ना समझोगे

उसके बिना अब चुप-चुप रहना अच्छा लगता है 
खामोशी से दर्द को सहना अच्छा लगता है 

जिस हस्ती की याद में आँसूं बरसते हैं 
सामने उस के कुछ ना कहना अच्छा लगता है 

मिल के उस से बिछड़ ना जाऊं डरता रहता हूँ 
इसलिये बस दूर ही रहना अच्छा लगता है 

जानता हूँ कि चाहत में बस आँसूं मिलते हैं 
कुछ भी हो अब इस जहर को पीना अच्छा लगता है 

जी चाहे सब खुशियां ले कर उस को दे दूँ 
उस के प्यार में सब कुछ खोना अच्छा लगता है




जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई

लोग माज़ी* का भी अन्दाज़ा लगा लेते हैं
मुझको तो याद नहीं कल का भी क़िस्सा कोई

बेसबब* आँख में आँसू नहीं आया करते
आपसे होगा यक़ीनन मेरा रिश्ता कोई

याद आने लगा एक दोस्त का बर्ताव मुझे
टूट कर गिर पड़ा जब शाख़ से पत्ता कोई

बाद में साथ निभाने की क़सम खा लेना
देख लो जलता हुआ पहले पतंगा कोई

उसको कुछ देर सुना लेता हूँ रूदादे-सफ़र*
राह में जब कभी मिल जाता है अपना कोई

कैसे समझेगा बिछड़ना वो किसी का "राना"
टूटते देखा नहीं जिसने सितारा कोई








आओ! 
खुशियों का कारोबार करते हैं
धकेल के दुखों को दूर
हंसी को मेहमान करते हैं
थोड़ी सी तुम ले के आओ
थोड़ी मुस्कुराहट मैं भी लाता हूँ
बाँट कर इक दूसरे से
खुद को साँझीदार करते हैं.. 
ये कैसी दुनियादारी है कि
जंग बेधड़क हो के और 
हो प्यार डर डर के
आओ! मिटा के नफ़रतें दिल से
मोहब्बतों को सरे-आम करते हैं

'तुम' जानते हो
मुझे क्या पसंद है?
बरसती बारिश
समंदर की लहरें
फुलों की खुश्बू
चाँदनी रातें
अच्छी शायरी
और
और सबसे ज्यादा
इस तहरीर का
पहला लफ्ज़


जाने कितने दर्द को हमने खुद में समाया
तब जा कर जिन्दगी को थोड़ा समझ पाया

आइना दीवार से टंगा बदसूरत सा हो गया
जाने कितनों के चेहरे को उसने था सजाया

फूल अब कभी खिलने की जिद नहीं करते
जिसे तोड़ कर हमने किसी से प्यार जताया

हालात में बहकर जो दरिया अब सुख गया है
उन आंसूओं ने ही तो मुझे हंसना सिखाया 


कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं?
तुम कह देना कोई खास नहीं..
एक दोस्त है पक्का कच्चा सा
एक झूठ है आधा सच्चा सा,
जज़्बात से ढका एक पर्दा है
एक बहाना है कोई अच्छा सा.
जीवन का ऐसा साथी है जो,
पास हो कर भी पास नहीं!
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं?
तुम कह देना कोई खास नहीं..
एक साथी जो अनकही सी,
कुछ बातें कह जाता है
यादों में जिसका धुंधला सा
एक ही चेहरा रह जाता है
यूँ तो उसके ना होने का
मुझको कोई ग़म नहीं
पर कभी कभी वो आँखों से, 
आंसू बन के बह जाता है
यूँ रहता तो मेरे ज़हन में है
पर नज़रों को उसकी तलाश नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं?
तुम कह कोई खास नहीं..
साथ बन कर जो रहता है
वो दर्द बांटता जाता है
भूलना तो चाहूं उसको पर
वो यादों में छा जाता है
अकेला महसूस करूँ कभी जो
सपनों में आ जाता है
मैं साथ खड़ा हूँ सदा तुम्हारे
कह कर साहस दे जाता है
ऐसे ही रहता है साथ मेरे की
उसकी मौजूदगी का आभास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं
तुम कह देना कोई खास नहीं..


Friday, 13 July 2018

खुद को ख़ुदा कहा और खुद ही ख़ुदा हो गए,


खुद को ख़ुदा कहा और खुद ही ख़ुदा हो गए,
रिश्तों की कशमकश में खुद से जुदा हो गए !
बांचते रहे तमाम उम्र आईने में अपनी सूरत,
तन्हा रहे जिंदगी में और भीड़ में ही खो गए 

इश्क़ के ख़याल बहुत हैं..
इश्क़ के चर्चे बहुत हैं..
सोचते हैं हम भी कर ले इश्क़..
पर सुनते हैं इश्क़ में खर्चे बहुत हैं..

खुशहाली में इक बदहालीतू भी है और मैं भी हूँ
हर निगाह पर एक सवालीतू भी है और मै भी हूँ
दुनियां कुछ भी अर्थ लगाये,हम दोनों को मालूम है
भरे-भरे पर ख़ाली-ख़ाली , तू भी है और मै भी हूँ


इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेराकभी लगा नहीं
लिखी थी कवितायेँ ,
संजोये थे कई सपने
मिलेगी कोई शह्जादी ख्वाबों की
सुनाता जिसे अरमान अपने
मुद्दतों से तलाश में हूँ मगर,
इस तरह से अपना कोई लगा नहीं
इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेराकभी लगा नहीं



तन्हाईयों में मुस्कुराना इश्क है;
एक बात को सबसे छुपाना इश्क है;
यूं तो नींद नहीं आती हमें रात भर;
मगर सोते-सोते जागना और जागते-जागते सोना इश्क है।



कुछ रिश्ते इस जहाँ में खास होते हैं
हवा के रूख से जिनके एहसास होते हैं
यह दिल की कशिश नहीं तो और क्या है
दूर रहकर भी वो दिल के कितने पास होते हैं


वो मिल जाते हैं कहानी बन कर,
दिल मे बस जाते हैं निशानी बन कर,
जिन्हें हम रखते हैं अपनी आँखों मे,
क्यूँ निकल जाते हैं वो पानी बनकर.





दर्द का साज़ दे रहा हूँ तुम्हे,
दिल का हर राज़ दे रहा हूँ ‍‌तुम्हे,
ये गज़ल-गीत सब बहाने हैं,
मैं तो आवाज़ दे रहा हूँ ‍‌तुम्हे.....।





लोग पूछते है क्यू सुर्ख है तुम्हारी आँखे, 
हंस के कह देती हूँ रात को सो ना सकी 
लाख चाहूं भी मगर यह कह ना सकी, 
रात को रोने की हसरत थी मगर रो ना सकी..



बहुत चाहेंगे तुम्हे, मगर भुला ना सकेगे,
ख्यालों में किसी ओर को ला ना सकेंगे,
किसी को देखकर आँसु तो पोंछ लेंगे,
मगर कभी आपके बिना मुस्कुरा ना सकेंगे..



तमन्ना जब किसी की नाकाम होती है,
 जिन्दगी उस की एक उदास शाम होती है,
दिल के साथ दौलत ना हो जिस के पास,
 महोब्बत उस गरीब की निलाम होती है .. ...


उनकी महोब्बत के अभी निशान बाकी है,
 नाम लब पर है और जान बाकी है,
क्या हुआ अगर देख कर मुँह फेर लेते है,
 तसल्ली है की शकल की पहचान बाकी है. .



किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा

कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा

काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा

किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा

देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा

और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा

कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा

अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा

ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा

जानता हूँ अकेला हूँ फिलहाल
पर उम्मीद है कि दूसरी और ज़िन्दगी का कोई ओर ही किनारा होगा .


मौत माँगते है तो जिन्दगी खफा हो जाती है,
जहर लेते है तो वो भी दवा हो जाती है,
तू ही बता ऐ दोस्त क्या करूँ,
जिसको भी चाहा वो बेवफा हो जाती है..


जमाने से कब के गुजर गए होते ।
ठोकर न लगी होती हम बच गए होते ।
बंधे थे तेरी दोस्ती के धागे में ।
वर्ना कब के हम बिखर गए होते ।




किसी को मोहब्बत कि अच्छाई ने मार डाला,
किसी को मोहब्बत कि गहराई ने मार डाला,
बच ना सका हे मोहब्बत में कोई,
जो बच गया हे उसको ज़िन्दगी कि तन्हाई ने मार डाला...



किसने भीगे हुऐ बालों से ये झटका पानी,
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी,
कोई मतवाली घटा पीके जवानी की उमंग,
दिल बहा ले गया बरसात का पहला पानी





नज़रें झुकी तो पैमाने बने;
दिल टूटे तो मैख़ाने बने;
कुछ तो जरुर ख़ास है आप में;
हम यूँ ही नहीं आपके दीवाने बने।




यादों की किम्मत वो क्या जाने,
जो ख़ुद यादों के मिटा दिए करते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिया करते हैं…






आओ साथ मैं दुनिया को बाँट लें,
समुन्दर आप का, लहरें हमारी!
आसमान आपका, सितारे हमारे,
सूरज आप का रौशनी हमारी!!
चलो एसा करते हैं, सुब कुछ आप का
और आप हमारे!!!






हर मुलाकात पर वक्त का तकाजा हुआ,
हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ,
सुनी थी सिर्फ गजलों में जुदाई की बातें,
जब खुद पर बीती तो हकीकत का अंदाज़ा हुआ...



आरज़ू


जब तुम थे तो कुछ ग़म ना था
हम थे एक बेख़बर परिंदे के तरह
कभी इस कदर तन्हा होके याद करेंगे तुम्हे 
सोचा ना था 
ज़िंदगी तुम्हारे बिना भी जियेंगे सोचा ना था
आज आलम ये है की तुम्हारा नाम तक याद नही रहता
हम कभी तुम्हारे थे इसका इल्म तक नही रहता 
लोंगो के सामने अदाकारी करते करते हक़ीकत ही बन गयी है ये
की ना तुम हो ना तुम्हारी यादें है बस एक धुंधला सा
कोहरा आ जाता है आखों के सामने कभी कभी 
और कभी कभी मोह्बब्त के गानो पे आँखों के कोने मैं
कुछ हल्का सा पानी आ जाता है 
अक्सर तो सबसे छुपा लेते हैं पैर कभी कभी जैसे 
ये दिल बैठ जाता है, तब इससे समझा नही पाते
कुछ इतना बेज़ार हो जाता है की कुछ भी आरज़ू नही करता
एक वक़्त था दिल कीई बेवक़्त आरज़ू से परेशन थे हम 
और एक आज का दौर है आरज़ू की कमी से हैरान है हम...





लोग कहते हैं किसी के चले जाने से;

जिन्दगी अधूरी नहीं होती;

लेकिन लाखों के मिल जाने से भी तो;

उस एक की कमी पूरी नहीं होती है।



छोड़ दिया हमारा साथ कोई गम नहीं;
भूल जायेंगे आप हमें, पर भूलने वाले हम नहीं; 
आप से मुलाक़ात ना हो पाई तो कोई बात नहीं; 
आपकी एक याद मुलाकात से कम नहीं।







छोड़ दिया हमारा साथ कोई गम नहीं;
भूल जायेंगे आप हमें, पर भूलने वाले हम नहीं; 
आप से मुलाक़ात ना हो पाई तो कोई बात नहीं; 
आपकी एक याद मुलाकात से कम नहीं।
कभी दूर जा के रोये कभी पास आके रोये;
हमें रुलाने वाले हमें रुला के रोये;
मरने को तो मरते हैं सभी यारों;
पर मरने का तो मजा ही तब है;
जो दुश्मन भी जनाजे पे आ के रोये।
 टूट गया दिल पर अरमां वही है;

दूर रहते हैं फिर भी प्यार वही है;
जानते हैं कि मिल नहीं पायेंगे;
फिर भी इन आँखों में इंतज़ार वही है।



और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा

कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा

अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा

ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा

जानता हूँ अकेला हूँ फिलहाल
पर उम्मीद है कि दूसरी और ज़िन्दगी का कोई ओर ही किनारा होगा ...


 किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा

कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा

काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा

किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा

देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा




बहुत चाहेंगे तुम्हे, मगर भुला ना सकेगे,
ख्यालों में किसी ओर को ला ना सकेंगे,
किसी को देखकर आँसु तो पोंछ लेंगे,
मगर कभी आपके बिना मुस्कुरा ना सकेंगे..
 लोग पूछते है क्यू सुर्ख है तुम्हारी आँखे, 
हंस के कह देती हूँ रात को सो ना सकी 
लाख चाहूं भी मगर यह कह ना सकी, 
रात को रोने की हसरत थी मगर रो ना सकी..



खुशहाली में इक बदहालीतू भी है और मैं भी हूँ
हर निगाह पर एक सवालीतू भी है और मै भी हूँ
दुनियां कुछ भी अर्थ लगाये,हम दोनों को मालूम है
भरे-भरे पर ख़ाली-ख़ाली , तू भी है और मै भी हूँ




खुद को ख़ुदा कहा और खुद ही ख़ुदा हो गए,
रिश्तों की कशमकश में खुद से जुदा हो गए !
बांचते रहे तमाम उम्र आईने में अपनी सूरत,
तन्हा रहे जिंदगी में और भीड़ में ही खो गए !!


दर्द का साज़ दे रहा हूँ तुम्हे,
दिल का हर राज़ दे रहा हूँ ‍‌तुम्हे,
ये गज़ल-गीत सब बहाने हैं,
मैं तो आवाज़ दे रहा हूँ ‍‌तुम्हे.....।




खुद को ख़ुदा कहा और खुद ही ख़ुदा हो गए,
रिश्तों की कशमकश में खुद से जुदा हो गए !
बांचते रहे तमाम उम्र आईने में अपनी सूरत,
तन्हा रहे जिंदगी में और भीड़ में ही खो गए !!


यादों की किम्मत वो क्या जाने;
जो ख़ुद यादों को मिटा दिए करते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिया करते हैं!



 इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेराकभी लगा नहीं
लिखी थी कवितायेँ ,
संजोये थे कई सपने
मिलेगी कोई शह्जादी ख्वाबों की
सुनाता जिसे अरमान अपने
मुद्दतों से तलाश में हूँ मगर,
इस तरह से अपना कोई लगा नहीं
इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेराकभी लगा नहीं


इश्क़ के ख़याल बहुत हैं..
इश्क़ के चर्चे बहुत हैं..
सोचते हैं हम भी कर ले इश्क़..
पर सुनते हैं इश्क़ में खर्चे बहुत हैं..

 वो मिल जाते हैं कहानी बन कर,
दिल मे बस जाते हैं निशानी बन कर,
जिन्हें हम रखते हैं अपनी आँखों मे,
क्यूँ निकल जाते हैं वो पानी बनकर.
 कुछ रिश्ते इस जहाँ में खास होते हैं
हवा के रूख से जिनके एहसास होते हैं
यह दिल की कशिश नहीं तो और क्या है
दूर रहकर भी वो दिल के कितने पास होते हैं
 तन्हाईयों में मुस्कुराना इश्क है;
एक बात को सबसे छुपाना इश्क है;
यूं तो नींद नहीं आती हमें रात भर;
मगर सोते-सोते जागना और जागते-जागते सोना इश्क है।

इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेराकभी लगा नहीं
लिखी थी कवितायेँ ,
संजोये थे कई सपने
मिलेगी कोई शह्जादी ख्वाबों की
सुनाता जिसे अरमान अपने
मुद्दतों से तलाश में हूँ मगर,
इस तरह से अपना कोई लगा नहीं
इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेराकभी लगा नहीं
ज़िन्दगी में लोग मोहब्बत के सहारे जीते है ... मैं आपकी नफरत के सहारे जीऊंगी


सबर का फल मीठा होता है, और उससे भी ज़्यादा मीठा होता है ... सबेरे का फल


कभी कभी ऐसा क्यों होता है ... की अपने पराये हो जाते हैं
दौलत तो विरासत में मिलती है, लेकिन पहचान अपने दम पर बनानी पड़तीहै