Friday 9 June 2017

sayri emaz4

चीज़ बेवफ़ाई से बढ़कर क्या होगी ग़म-ए-हालात जुदाई से बढ़कर क्या होगी जिसे देनी हो सज़ा उम्र भर के लिए सज़ा तन्हाई से बढ़कर क्या होगी।
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टूटा हो दिल तो दुःख होता है करके मोहब्बत किसी से ये दिल रोता है दर्द का एहसास तो तब होता है जब किसी से मोहब्बत हो और उसके दिल में कोई और होता है।
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ज़ख्म जब मेरे सीने के भर जाएंगे आंसू भी मोती बन के बिखर जाएंगे ये मत पूछना किसने दर्द दिया वरना कुछ अपनों के सर झुक जाएंगे।
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किया इश्क़ ने मेरा हाल कुछ ऐसा ना अपनी खबर ना ही दिल का पता है कसूरवार थी मेरी ये दौर-ए-जवानी मैं समझता रहा सनम की खता है।
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ग़म के दरियाओं से मिलकर बना है यह सागर आप क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा आप क्यों इस ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो।
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मोहब्बत करने वालों का यही हश्र होता है दर्द-ए-दिल होता है, दर्द-ए-जिगर होता है बंद होंठ कुछ ना कुछ गुनगुनाते ही रहते हैं खामोश निगाहों का भी गहरा असर होता है।
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​शहर क्या देखें, के हर मंज़र में जाले पड़ गए​ ​ ऐसी गर्मी है, कि पीले फूल काले पड़ गए​ ​ मैं अँधेरों से बचा लाया था अपने आप को​ ​ मेरा दुख ये है, मेरे पीछे उजाले पड़ गए।
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हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
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तेरी यादों के सितम सहते हैं हम आज भी पल-पल तेरी यादों में मरते हैं हम तुम तो चले गए बहुत दूर, हमको इस दुनियां में तन्हा छोड़कर पर तुम क्या जानो, बैठकर तन्हाई में किस कदर रोते हैं हम।
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उल्फत का यह दस्तूर होता है जिसे चाहो वही हमसे दूर होता है दिल टूट कर बिखरता है इस क़द्र जैसे कांच का खिलौना गिरके चूर-चूर होता है!
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सबने कहा इश्क़ दर्द है हमने कहा यह दर्द भी क़बूल है सबने कहा इस दर्द के साथ जी नहीं पाओगे हमने कहा इस दर्द के साथ मरना भी क़बूल है।
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दोस्ती जब किसी से की जाये तो दुश्मनों की भी राय ली जाये मौत का ज़हर है फिज़ाओं में अब कहाँ जा कर सांस ली जाये बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ कि ये नदी कैसे पार की जाये मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे हैं आज फिर कोई भूल की जाये।
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जो नजर से गुजर जाया करते हैं वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते, बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं।
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धड़कन बिना दिल का मतलब ही क्या रौशनी के बिना दिये का मतलब ही क्या क्यों कहते हैं लोग कि मोहब्बत न कर दर्द मिलता है वो क्या जाने कि दर्द बिना मोहब्बत का मतलब ही क्या।
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बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की कोई किसी को टूट कर चाहता है और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।
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समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया ये मंज़र भी देखे हमने इस दुनिया के मेले में टूटा-फटा ​ बचा​ रहा है, अच्छा ख़ासा टूट गया।
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दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का कैसे बना था घौंसला वो तूफान क्या जाने।
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आज फिर तेरी याद आयी बारिश को देख कर दिल पे ज़ोर न रहा अपनी बेबसी को देख कर रोये इस कदर तेरी याद में कि बारिश भी थम गयी मेरी बारिश को देख कर।
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हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।
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कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते हर एक ने धोखा दिया, किस-किस को भुला देते अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा बयां करते तो महफ़िल को रुला देते।
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कभी कभी मोहब्बत में वादे टूट जाते हैं इश्क़ के कच्चे धागे टूट जाते हैं झूठ बोलता होगा कभी चाँद भी इसलिए तो रुठकर तारे टूट जाते हैं।
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बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है तड़प उठता हूँ दर्द के मारे, ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
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हर सितम सह कर कितने गम छिपाए हमने तेरी ख़ातिर हर दिन आँसू बहाए हमने तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।
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रोने की सज़ा न रुलाने की सज़ा है ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है हँसते हैं तो आँखों से निकल आते हैं आँसू ये उस शख्स से दिल लगाने की सज़ा है।
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अपनी आँखों के समंदर में उत्तर जाने दे तेरा मुज़रिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको सोचता हूँ कहूँ तुझसे, मगर जाने दे।
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वक्त नूर को बेनूर कर देता है छोटे से जख्म को नासूर कर देता है कौन चाहता है अपनों से दूर होना लेकिन वक्त सबको मजबूर कर देता है।
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इसी से जान गया मैं कि वक़्त ढलने लगे मैं थक के छाँव में बैठा और पाँव चलने लगे मैं दे रहा था सहारे तो एक हजूम में था जो गिर पड़ा तो सभी रास्ता बदलने लगे।
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आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये कई बार पुकारा इस दिल ने तुम्हें और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये।
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दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता रोता है दिल जब वो पास नहीं होता बरबाद हो गए हम उनकी मोहब्बत में और वो कहते हैं कि इस तरह प्यार नहीं होता।
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एक अजीब सा मंजर नज़र आता है हर एक आँसूं समंदर नज़र आता है कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता है।
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जो आँसू दिल में गिरते हैं वो आँखों में नहीं रहते बहुत से हर्फ़ ऐसे होते हैं जो लफ़्ज़ों में नहीं रहते किताबों में लिखे जाते हैं दुनिया भर के अफ़साने मगर जिन में हकीकत हो किताबों में नहीं रहते।
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रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने हाँ मालूम है क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो अपना ही घर जला कर देखें हैं उजाले हमने।
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जाये है जी नजात के ग़म में ऐसी जन्नत गयी जहन्नुम में आप में हम नहीं तो क्या है अज़ब दूर उससे रहा है क्या हम में बेखुदी पर न 'मीर' की जाओ तुमने देखा है और आलम में।
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वक़्त के मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है ज़ख़्म दिल का ज़ुबाँ पर आया है न रोते थे कभी काँटों की चुभन से आज न जाने क्यों फूलों की खुशबू से रोना आया है।
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दिल मेरा जो अगर रोया न होता हमने भी आँखों को भिगोया न होता दो पल की हँसी में छुपा लेता ग़मों को ख़्वाब की हक़ीक़त को जो संजोया नहीं होता।
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मैंने पत्थरों को भी रोते देखा है झरने के रूप में मैंने पेड़ों को प्यासा देखा है सावन की धूप में घुल-मिल कर बहुत रहते हैं लोग जो शातिर हैं बहुत मैंने अपनों को तनहा देखा है बेगानों के रूप में।
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इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ।
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वो रात दर्द और सितम की रात होगी जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी।
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इस बहते दर्द को मत रोको यह तो सज़ा है किसी के इंतज़ार की लोग इन्हे आँसू कहे या दीवानगी पर यह तो निशानी है किसी के प्यार की।
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बिन बताये उसने ना जाने क्यों ये दूरी कर दी बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी मेरे मुकद्दर में ग़म आये तो क्या हुआ खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।
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मेरे दिल में न आओ वरना डूब जाओगे ग़म-ए-अश्कों के सिवा कुछ भी नहीं अंदर अगर एक बार रिसने लगा जो पानी तो कम पड़ जायेगा भरने के लिए समंदर।
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खुश रहे तू है जहाँ, ले जा दुआएं मेरी तेरी राहों से जुदा हो गयी हैं राहें मेरी कुछ नहीं पास मेरे अब खाली हाथ हैं किसी और की नहीं सब खतायें हैं मेरी।
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जमीन छुपाने के लिए गगन होता है दिल छुपाने के लिए बदन होता है शायद मरने के बाद भी छुपाये जाते हैं गम इसीलिए हर लाश पे कफ़न होता है।
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ऐ दिल मत कर इतनी मोहब्बत किसी से इश्क़ में मिला दर्द तू सह नहीं पायेगा एक दिन टूट कर बिखर जायेगा अपनों के हाथों से किसने तोडा ये भी किसी से कह नहीं पायेगा।
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वो हमें भूल भी जायें तो कोई गम नहीं जाना उनका जान जाने से भी कम नहीं जाने कैसे ज़ख़्म दिए हैं उसने इस दिल को कि हर कोई कहता है कि इस दर्द की कोई मरहम नहीं।
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तुम्हारा दुःख हम सह नहीं सकते भरी महफ़िल में कुछ कह नहीं सकते हमारे गिरते हुए आँसुओं को पढ़ कर देखो वो भी कहते हैं कि हम आपके बिन रह नहीं सकते।
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ग़म इसका नहीं कि तू मेरा न हो सका मेरी मोहब्बत में मेरा सहारा ना बन सका ग़म तो इसका भी नहीं कि सुकून दिल का लुट गया ग़म तो इसका है कि मोहब्बत से भरोसा ही उठ गया।
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उम्र की राह में रास्ते बदल जाते हैं वक़्त की आंधी में इंसान बदल जाते हैं सोचते हैं तुम्हें इतना याद ना करें लेकिन आँख बंद करते ही इरादे बदल जाते हैं।
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वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे हमारी तन्हाइयों से भी आँख चुराते रहे हमें ही मिल गया बेवफ़ा का ख़िताब क्योंकि हम हर दर्द मुस्कुरा कर छिपाते रहे।
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माना कि तुम्हें मुझसे ज्यादा ग़म होगा मगर रोने से ये ग़म कभी कम न होगा जीत ही लेंगे दिल की नाकाम बाजियां हम अगर महब्बत में हमारी दम होगा।
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कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गई दिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा।
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तेरे इश्क़ में सब कुछ लुटा बैठा मैं तो ज़िंदगी भी अपनी गँवा बैठा अब जीने की तमन्ना न रही बाकी सारे अरमान मैं अपने दफना बैठा।
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पा लिया था दुनिया की सबसे हसीन को इस बात का तो हमें कभी गुरूर न था वो रह पाते पास कुछ दिन और हमारे शायद यह हमारे नसीब को मंज़ूर नहीं था।
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हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए मंज़िल हमारी, हमारे करीब से गुज़र गयी हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।
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अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे उनसे क्या गिला करें, भूल तो हमारी थी जो बिना दिल वालों से ही दिल लगा बैठे।
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बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उस ने दवा के नाम से आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम से।
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तेरे इश्क़ में सब कुछ लुटा बैठे हम ज़िंदगी भी अपनी गँवा बैठे अब जीने की तमन्ना भी नहीं बाकी सारे अरमान हम अपने दफना बैठे।
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हर ख़ुशी के पहलू हाथों से छूट गए अब तो खुद के साये भी हमसे रूठ गए हालात हैं अब ऐसे ज़िंदगी में हमारी प्यार की राहों में हम खुद ही टूट गए।
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दुनिया में किसी से कभी प्यार मत करना अपने अनमोल आँसू इस तरह बेकार मत करना कांटे तो फिर भी दामन थाम लेते हैं फूलों पर कभी इस तरह तुम ऐतबार मत करना।
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खून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे दिल नहीं मानता कौन दिल से कहे तेरी दुनिया में आये बहुत दिन रहे सुख ये पाया कि हमने बहुत दुःख सहे।
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आज ये तन्हाई का एहसास कुछ ज्यादा है तेरे संग ना होना का मलाल कुछ ज्यादा है फिर भी काट रहे हैं जिए जाने की सज़ा यही सोचकर शायद इस ज़िंदगानी में मेरे गुनाह कुछ ज्यादा हैं।
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एक लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने ज़माने के लिए उनका मिलना ही मुक़द्दर में न था वर्ना क्या कुछ नहीं किया उनको पाने के लिए।
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दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता रोता है दिल जब वो पास नहीं होता बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
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दिल के दर्द छुपाना बड़ा मुश्किल है टूट कर फिर मुस्कुराना बड़ा मुश्किल है किसी अपने के साथ दूर तक जाओ फिर देखो अकेले लौट कर आना कितना मुश्किल है।
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मेरे दिल का दर्द किसने देखा है मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है हम तन्हाई में बैठे रोते हैं लोगों ने हमें महफ़िल में हँसते देखा है।
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उसे कह दो वो मेरा है किसी और का हो नहीं सकता बहुत नायाब है मेरे लिए वो कोई और उस जैसा हो नहीं सकता तुम्हारे साथ जो गुज़ारे वो मौसम याद आते हैं तुम्हारे बाद कोई मौसम सुहाना हो नहीं सकता।
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महफ़िल भी रोयेगी, महफ़िल में हर शख्स भी रोयेगा डूबी जो मेरी कश्ती तो चुपके से साहिल भी रोयेगा इतना प्यार बिखेर देंगे हम इस दुनिया में कि मेरी मौत पे मेरा क़ातिल भी रोयेगा।
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अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ इस दिल की झील सी आँखों में एक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ यह हिज्र-हवा भी दुश्मन है उस नाम के सारे रंगों की वो नाम जो मेरे होंठों पर खुशबू की तरह आबाद हुआ।
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लोगों से कह दो हमारी तक़दीर से जलना छोड़ दें हम घर से खुदा की दुआ लेकर निकलते हैं कोई न दे हमें खुश रहने की दुआ तो भी कोई बात नहीं वैसे भी हमें खुशियां रास नहीं अक्सर इस वजह से लोग छूट जाते हैं।
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कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का वो क्या समझे दर्द आंखों की इस नमी का उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब कि उन्हे अब एहसास ही नहीं हमारी कमी का।
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अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं​ ​रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं​ ​ ​​ ​​पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता हैं​ ​ ​अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं​।
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वो जज़्बों की तिजारत थी, यह दिल कुछ और समझा था उसे हँसने की आदत थी, यह दिल कुछ और समझा था मुझे देख कर अक्सर वो निगाहें फेर लेते थे वो दर-ए-पर्दा हकारत थी, यह दिल कुछ और समझा था।
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मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना।
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एक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा।
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खुलेगी इस नज़र पे चश्म-ए-तर आहिस्ता आहिस्ता किया जाता है पानी में सफ़र आहिस्ता आहिस्ता कोई ज़ंजीर फिर वापस वहीं पर ले के आती है कठिन हो राह तो छूटता है घर आहिस्ता आहिस्ता।
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अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गये जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गये मुड़-मुड़ कर देखा था जाते वक़्त रास्ते में उन्होंने जैसे कुछ जरुरी था, जो वो हमें बताना भूल गये वक़्त-ए-रुखसत भी रो रहा था हमारी बेबसी पर उनके आंसू तो वहीं रह गये, वो बाहर ही आना भूल गये।
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बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता।
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आओ किसी शब मुझे टूट के बिखरता देखो मेरी रगों में ज़हर जुदाई का उतरता देखो किस किस अदा से तुझे माँगा है खुदा से आओ कभी मुझे सजदों में सिसकता देखो।
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फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की तुम भी छोड़कर चले गए हमें अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।
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जब रूह किसी बोझ से थक जाती है एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन ज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है।
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दिल की हालात बताई नहीं जाती हमसे उनकी चाहत छुपाई नहीं जाती बस एक याद बची है उनके चले जाने के बाद हमसे तो वो याद भी दिल से निकाली नहीं जाती।
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उन गलियों से जब गुज़रे तो मंज़र अजीब था दर्द था मगर वो दिल के करीब था जिसे हम ढूँढ़ते थे अपनी हाथों की लकीरों में वो किसी दूसरे की किस्मत किसी और का नसीब था।
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निकले हम कहाँ से और किधर निकले हर मोड़ पे चौंकाए ऐसा अपना सफ़र निकले तूने समझाया क्या रो-रो के अपनी बात तेरे हमदर्द भी लेकिन बड़े बे-असर निकले।
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लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में किसकी बनी है आलम-ए-ना पैदार में कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दागदार में।
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दर्द दे गए सितम भी दे गए ज़ख़्म के साथ वो मरहम भी दे गए दो लफ़्ज़ों से कर गए अपना मन हल्का और हमें कभी ना रोने की कसम दे गए।
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साँस थम जाती है पर जान नहीं जाती दर्द होता है पर आवाज़ नहीं आती अजीब लोग हैं इस ज़माने में ऐ दोस्त कोई भूल नहीं पाता और किसी को याद नहीं आती।
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वो नाराज़ हैं हमसे कि हम कुछ लिखते नहीं कहाँ से लाएं लफ्ज़ जब हमको मिलते नहीं दर्द की ज़ुबान होती तो बता देते शायद वो ज़ख्म कैसे दिखाए जो दिखते नहीं।
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रोते रहे तुम भी, रोते रहे हम भी कहते रहे तुम भी और कहते रहे हम भी ना जाने इस ज़माने को हमारे इश्क़ से क्या नाराज़गी थी बस समझाते रहे तुम भी और समझाते रहे हम भी।
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सब कुछ मिला सुकून की दौलत न मिली एक तुझको भूल जाने की मोहलत न मिली करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत न मिली।
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मोहब्बत में किसी का इंतजार मत करना हो सके तो किसी से प्यार मत करना कुछ नहीं मिलता मोहब्बत कर के खुद की ज़िन्दगी बेकार मत करना।
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एक पल में ज़िन्दगी भर की उदासी दे गया वो जुदा होते हुए कुछ फूल बासी दे गया नोच कर शाखों के तन से खुश्क पत्तों का लिबास ज़र्द मौसम बाँझ रुत को बे-लिबासी दे गया।
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न वो सपना देखो जो टूट जाये न वो हाथ थामो जो छूट जाये मत आने दो किसी को करीब इतना कि उसके दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये।
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1 comment:

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