बिन तुम्हारे जो जिंदगी हमने गुज़ारी है
कैसे बताएं तुमको क्या हालत हमारी है
दिल कहीँ भी मेरा लगता नहीं है अब
अजब बेक़रारी सी मुझको बेक़रारी है
दिल की धड़कन भी मेरी अब बढ़ने लगी
शाम से ही जाने क्यूँ साँस मेरी ये भारी है
तुमसे मिलने की बची कोई उम्मीद भी नहीं
जिंदगी में आई मेरी जाने कैसी लाचारी है
रोग दिल को आखिर क्यूँ लगाया इस तरह मैंने
जिंदगी भर की मुझको लग गई कैसी बीमारी है
लगाया जब तेरे प्यार का काजल वही
दर्द के छा गए फिर से आँख में बादल वही
बरसी तब फिर झूम के आंसुओं की ये घटा
सब मुझे कहने लगे वो देखो पागल वही
हो गई मैं तो दीवानी प्यार में तेरे सनम
चोट खाकर हो गया दिल मेरा घायल वही
सो रही थी रात को मैं नींद थी गहरी मेरी
पांव में पहना गया वो मुझको फिर पायल वही
वो गुज़र कर जा रहा था पास से मेरे बहुत
एक हवा का झोंका बन लहरा गया आँचल वही
खामोश ये जुबाँ हो गई बोलते बोलते
बात कह ना सकी तौलते तौलते
जिंदगी ये मेरी यूँ गुजरती गई
कुछ कर ना सकी सोचते सोचते
जिंदगी से मुझे कुछ ना हासिल हुआ
उम्र बीती मेरी देखते देखते
रास्ता था बहुत ही काटों भरा
थक गई मैं बहुत भागते भागते
नींद आती नहीं मुझको रातों में भी
रात गुजरी मेरी जागते जागते
साथ मेरा जो तुम निभा देते
भूल मेरी थी वो भुला देते
हाथ तुमने जो न छोड़ा होता
मेरी बरबादियाँ बचा देते
बेवफ़ाई तुम्हारी फ़ितरत थी
काश थोड़ी वफ़ा निभा देते
क्या ख़ता थी जो हुई मुझसे
तुम मुझे भी जरा बता देते
दूर हो जाते सब गिले शिकवे
पास आकर मुझे रुला देते
No comments:
Post a Comment