Tuesday 5 September 2017

ये शीशे ये सपने ये रिश्ते यह धागे


ये शीशे ये सपने ये रिश्ते यह धागे
किसे क्या खबर है कहां टूट जायें
मोहब्बत के दरिया मे तिनके वफ़ा के
न जाने यह किस मोड पर डूब जायें


अजब दिल की वादी अजब दिल की बस्ती
हर एक मोड मौसम नयी ख्वाइशों का
लगाये हैं हमने यह सपनों के पौधे
मगर क्या भरोसा यहां बारिशों का

मुरादों की मंज़िल के सपनों मे खोये
मोहब्बत की राहों पे हम चल पडे थे
ज़रा दूर चल कर जब आंखे खोला तो
कडी धूप मे हम अकेले खडे थे

जिन्हे दिल से चाहा जिन्हें दिल से पूजा
नज़र आ रहे हैं वोही अजनबी से
रवायत है शायद यह सदियों पुरानी
शिकायत नही है कोई ज़िन्दगी से





मै चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले
उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले

किताब-ए-माज़ी के पन्ने उलट के देख ज़रा
ना जाने कौन सा पन्ना मुड़ा हुआ निकले


किताब-ए-माज़ी के औराक़ उलट के देख ज़रा
ना जाने कौन सा सफ़हा मुड़ा हुआ निकले

जो देखने में बहुत ही करीब लगता है
उसी के बारे में सोचो तो फ़ासला निकले..




उनको भूले हुए अपने ही सितम याद आए
जब उन्हें ग़ैर ने तड़पाया तो हम याद आए

हम ज़माने के मसाइल का गिला भूल गए
जब हमें आपके बख़्शे हुए ग़म याद आए


बेवफ़ा याद कभी तो उन्हें कर ले जिनको
बंदगी में भी तेरे नक़्श-ए-क़दम याद आए

आज की रात बहुत ज़ुल्म हुआ है हम पर
आज की रात हमें आप भी कम याद आये..

-Sudarshan Faakir

मसाइल - समस्याएँ
बख़्शे -प्रदान किये हुए
नक़्श-ए-क़दम - पाँव के निशान




मेरी ज़िन्दगी किसी और की 
मेरे नाम का कोई और है
मेरी ज़िन्दगी किसी.....
मेरे नाम का.....
मेरा अक्स है सर-ए-आईना 
पसे आईने कोई और है 
मेरी ज़िन्दगी की.......
मेरे नाम का.........


मेरी धड़कनो में है चाप सी 
ये जुदाई भी है मिलाप सी
मुझे क्या पता मेरे दिल बता 
मेरे साथ क्या कोई और है 
मेरी ज़िन्दगी किसी.....
मेरे नाम का.......

ना गए दिनों को ख़बर मेरी
न शरीक़े हाल नज़र तेरी
तेरे देश में मेरे भेष में
कोई और था कोई और है
मेरी ज़िन्दगी किसी.....
मेरे नाम का......

वो मेरी तरफ निगरां रहे
मेरा ध्यान जाने कहाँ रहा
मेरी आँख में कई सूरते
मुझे चाहता कोई और है 
मेरी ज़िन्दगी किसी........
मेरे नाम का......

मेरा अक्स है सर-ए-आईना 
पसे आईना कोई और है 
मेरी ज़िन्दगी किसी और की
मेरे नाम का कोई और है

तुम पूछो और मैं न बताऊं ऐसे तो हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं

ग़म के अन्धियारे में तुझको अपना साथी क्यूँ समझूँ 
तू फिर तू है, मेरा तो साया भी मेरे साथ नहीं

ख़त्म हुआ मेरा अफ़साना अब ये आंसू पोंछ भी लो
जिस में कोई तारा चमके आज की रात वो रात नहीं__Image may contain: sky, tree, night, outdoor and nature
#अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।।

#तू ख़ुदा है न मेरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा,
दोनों इंसाँ हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें।।

#ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती,
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें ।।

#आज हम दार पे खेंचे गये जिन बातों पर,
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें ।।

#ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो,
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें ।।

#अब न वो मैं हूँ, न वो तू है, न वो माज़ी है 'फ़राज़'
जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें ।।Image may contain: 1 person
आजकल आप साथ चलते नहीं,
आजकल लोग मुझसे जलते नहीं...

उनको पत्थर भी किस तरह कह दूँ,
वो किसी तौर ही पिघलते नहीं...

उनको दुनिया कहेगी दीवाना,
रुत बदलती है जो बदलते नहीं......😒Image may contain: 1 person, close-up

ये क्या जाने में जाना है, जाते हो ख़फ़ा हो कर,
मैं जब जानूं मेरे दिल से चले जाओ जुदा हो कर..

क़यामत तक उड़ेगी दिल से उठकर ख़ाक आँखों तक,
इसी रस्ते गया है हसरतों का क़ाफ़िला हो कर..

तुम्ही अब दर्द-ऐ-दिल के नाम से घबराए जाते हो,
तुम्ही तो दिल में शायद आए थे दर्द-ऐ-आशियाँ हो करImage may contain: 1 person
मै चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले
उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले

किताब-ए-माज़ी के पन्ने उलट के देख ज़रा
ना जाने कौन सा पन्ना मुड़ा हुआ निकले

किताब-ए-माज़ी के औराक़ उलट के देख ज़रा
ना जाने कौन सा सफ़हा मुड़ा हुआ निकले

जो देखने में बहुत ही करीब लगता है
उसी के बारे में सोचो तो फ़ासला निकले

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घर से निकले थे हौसला करके,
लौट आए ख़ुदा ख़ुदा करके।

दर्दे-दिल पाओगे वफ़ा करके,
हमने देखा है तजुर्बा करके।

ज़िन्दगी तो कभी नहीं आई,
मौत आई ज़रा ज़रा करके।

लोग सुनते रहे दिमाग की बात,
हम चले दिल को रहनुमा करके।

किसने पाया सुकून दुनिया मे,
ज़िन्दगानी का सामना करके।Image may contain: 1 person, smiling

अधूरी बात है लेकिन 
मेरा कहना जरूरी है।
कि मेरी साँस चलने को 
तेरा होना जरूरी है।
ये दिल बेताब है बहुत
के तेरा मिलना जरूरी है।
नजर मेरी तरसती है
के तेरा जलवा जरूरी है।
अगर तू आग है तो फिर
मेरा जलना जरूरी है।
जिदंगी अगर अधुरी हो
तो इश्क करना जरूरी है।
गर तू मौत है तो फिर
मेरा मरना जरूरी है।Image may contain: 1 person
मैं तेरे दर्द जीना चाहता हूँ,
छलकते अश्क पीना चाहता हूँ.

कभी ना सुर्ख हो आँखें तेरी,
मैं वो तस्बीर जीना चाहता हूँ.

रिसता है लहू जिन ज़ख्मों से,
वो सारे दाग सीना चाहता हूँ.

मेरी पहचान फकत नाम तेरा,
होके गुमनाम जीना चाहता हूँ.

कभी नादानी तेरी आगोशे-गैर,
वो मंजरे-जहर पीना चाहता हूँ.

रही ख्वाहिश न बकाया बेशक,
लज्जते-दीदार जीना चाहता हूँ.

कोई मेरा दर्द न समझे न सही,
मैं अकेला ज़हर पीना चाहता हूँ.

तू मुझसे दूर और गैरों के करीब,
न यूं घुट-घुट के जीना चाहता हूँ.

है निराली ये तमन्ना मेरी
चंद साँसे और जीना चाहता हूँ.Image may contain: 1 person, smiling

तेरे सीने से लगकर, तेरी आरजू बन जाऊँ, 
तेरी साँसो से मिलकर, तेरी खुशबू बन जाऊँ, 

फासले ना रहें कोई हम दोनों के दरमियाँ, 
मैं, मैं ना रहूँ, बस तू ही तू बन जाऊँ।....Image may contain: 1 person, sky, outdoor, water and nature

किसी के इश्क का तू बुतकदा सा लगता है
हरेक रस्ता तेरा रास्ता सा लगता है।

ख्याल आपका इस मोड मुझको ले आया
हवा का छूना भी अब तो दुआ सा लगता है।

तुम्हारी बातों में खुश्बू नहीं वफाओं की
तुम्हारा लहजा भी अब कुछ जुदा सा लगता है।

हमारे इश्क का आलम न पूछिये साहब
सिवा खुदा के कोई कब खुदा सा लगता है।
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मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है 
सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखे हैं 
और मेरे एक ख़त में लिपटी रात पड़ी है 
वो रात बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो 

पतझड़ है कुछ, है ना ... 
पतझड़ में कुछ पत्तों के गिरने की आहट 
कानों में एक बार पहन के लौटाई थी 
पतझड़ की वो शाख अभी तक काँप रही है 
वो शाख गिरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो 

एक अकेली छत्री में जब आधे आधे भीग रहे थे 
आधे सूखे, आधे गीले, सूखा तो मैं ले आई थी 
गीला मन शायद बिस्तर के पास पडा हो 
वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो 

एक सौ सोलह चाँद की रातें, एक तुम्हारे काँधे का तिल 
गीली मेहंदी की खुशबू, झूठमूठ के शिकवे कुछ
झूठमूठ के वादे भी, सब याद करा दूँ 
सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो 

एक इजाज़त दे दो बस 
जब इस को दफ़नाऊँगी

 मैं भी वही सो जाऊँगी

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तुम मन भावन हिय हार प्रिये
मेरी जीवन-आधार प्रिये
कर दूं सब कुछ तुझ पर अर्पण
है मेरा यह इक़रार प्रिये
मेरे मन की तुम मीत सखि
तुम ही हो मेरा प्यार प्रिये
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हो खुशियों का संसार तुम्हीं
हर धडकन की झंकार तुम्हीं
तुम हो मेरे पुण्यों का फल
अभिशापों का उपहार तुम्हीं
ये तन-मन सब तेरी दौलत
सांसों का तुम संचार प्रिये
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तिरछे नयनों की चितवन व
तेरे मृदु अधरों की लाली
बाहें हैं पुष्प-लताओं-सी
लहराती केश-घटा काली
इन नयनों पर,इन अधरों पर
अब मेरा ही अधिकार प्रिये
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कंचन-सी देह दमकती है
यौवन का जाम छलकता-सा
रंग-रूप-छटा को देख सखि
मन मेरा आज बहकता-सा
तू अलंकार है छंद कौन
या ख़ुद ही रस श्रंगार प्रिये
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तुम चुम्बकीय,तुम चुम्बनीय
स्पर्शों का आभास तरल
अब मम मन-तन दोनों तेरे
आलिंगन हेतु विकल-विह्वल
बह चले प्रेम-रस-धार प्रिये
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मम भक्ति तुम,मम शक्ति तुम
मम जीवन की आराध्य तुम्हीं
तुम मानो चाहे न मानो
मेरी हो शाश्वत साध्य तुम्हीं
बस तुम ही तुम,बस तुम ही तुम
तुम आर प्रिये,तुम पार प्रिये
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तुम स्वर्ग-अप्सरा-सी सुन्दर
हूं अचरज में तुझको लखकर
अब स्वप्न मेरा साकार करो
तुम मेरे पास चली आकर
हम इक़ दूजे में समा जाएं
हो जाएं एकाकार प्रियेImage may contain: one or more people and close-up

अनोखी ग़ज़ल, अनोखे स्वर, अनोखे बोल:-

तमन्नाओं के बहलावे में,अक्सर आ ही जाते हैं
कभी हम चोट खाते हैं, कभी हम मुस्कुराते हैं
तमन्नाओं के बहलावे में,,,,,,,,,,

हम अक्सर दोस्तों की बेवफ़ाई सह तो लेते हैं
मगर हम जानते हैं दिल हमारे टूट जाते हैं
तमन्नाओं के बहलावे में,,,,,,,,

किसी के साथ जब बीते हुए, लम्हों की याद आई
खुली आंखों में अश्कों के सितारे झिलमिलाते हैं
तमन्नाओं के बहलावे में अक्सर आ ही जाते हैंImage may contain: 1 person, close-up

तेरे आने की जब ख़बर महके,
तेरे खुश्बू से सारा घर महके,

शाम महके तेरे तसव्वुर से,
शाम के बाद फिर सहर महके,

रात भर सोचता रहा तुझ को,
ज़हन-ओ-दिल मेरे रात भर महके,

याद आए तो दिल मुनव्वर हो,
दीद हो जाए तो नज़र महके,

वो घड़ी दो घड़ी जहाँ बैठे,
वो ज़मीं महके वो शजर महकेImage may contain: one or more people, people standing and flower

यूं ही बेसबब न फिरा करो , शाम को घर में रहा करो
वह गजल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो

कोई हाथ भी ना मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो

अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हे जिसने दिल से भुला दिया बस उसे भुलाने की दुआ करोImage may contain: one or more people and outdoor
मंज़िलें क्या हैं रास्ता क्या है
हौसला हो तो फ़ासला क्या है

वो सज़ा देके दूर जा बैठा
किससे पूछूँ मेरी ख़ता क्या है

जब भी चाहेगा छीन लेगा वो
सब उसी का है आपका क्या है

तुम हमारे क़रीब बैठे हो
अब दवा कैसी अब दुआ क्या है

चाँदनी आज किस लिए नम है
चाँद की आँख में चुभा क्या है
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फ़ासला तो है मगर कोई फ़ासला नहीं 
मुझसे तुम जुदा सही दिल से तो जुदा नहीं 
फ़ासला तो है मगर कोई फ़ासला नहीं 

आसमां की फ़िक्र क्या आसमां खफ़ा सही 
आप यही बताईये आप खफ़ा तो नहीं 

कश्तियाँ नहीं तो क्या हौसले तो पास है 
कह दो ना खुदा उसे तुम कोई खुदा नहीं 

लीजिए बुला लिया आपको ख्यालों में 
अब तो देखिये हमें कोई देखता नहीं 

आईये चराग-ए-दिल आज ही जलाये हम 
कैसी कल हवा चली कोई जानता नहीं 
फ़ासला तो है मगर कोई फ़ासला नहीं 
मुझसे तुम जुदा सही दिल से तो जुदा नहीं
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